कौन हैं हरियाणा के Ex DGP शत्रुजीत कपूर? IPS वाई पूरन सुसाइड केस में आया नाम, एसीबी हेड रहते हुए भी लगा था गंभीर आरोप
हरियाणा के वरिष्ठ आईपीएस अधिकारी वाई पूरन कुमार की आत्महत्या ने पूरे प्रशासनिक ढांचे को हिला दिया है. नौ पन्नों के सुसाइड नोट में उन्होंने डीजीपी शत्रुजीत कपूर सहित कई वरिष्ठ अधिकारियों पर मानसिक उत्पीड़न, जातिगत भेदभाव और करियर बर्बाद करने के आरोप लगाए हैं. इस घटना के बाद हरियाणा सरकार ने डीजीपी कपूर को छुट्टी पर भेज दिया है. आइए जानते हैं कि आखिर कौन हैं शत्रुजीत कपूर...

हरियाणा पुलिस के वरिष्ठ आईपीएस अधिकारी वाई. पूरन कुमार की आत्महत्या केवल एक निजी त्रासदी नहीं है. यह उस सिस्टम की करारी आलोचना है, जो अपने ही अफसरों को न्याय नहीं दे पाता. 7 अक्टूबर को चंडीगढ़ के सेक्टर-11 में अपने सरकारी आवास के बेसमेंट में उन्होंने सर्विस रिवॉल्वर से खुद को गोली मार ली. उनकी जेब से मिला 9 पन्नों का सुसाइड नोट अब हरियाणा प्रशासन की नींव हिला चुका है, क्योंकि उसमें सिर्फ दर्द नहीं, आरोपों का पूरा दस्तावेज है.
पूरन कुमार के सुसाइड नोट में हरियाणा के डीजीपी शत्रुजीत कपूर का नाम प्रमुखता से दर्ज है. उन्होंने लिखा, “मुझे जानबूझकर अपमानित किया गया, मेरे प्रमोशन रोके गए और हर मीटिंग में मेरी जाति को लेकर ताने दिए गए.” नोट में आठ वरिष्ठ अधिकारियों के नाम हैं, जिन पर उन्होंने मानसिक उत्पीड़न, सार्वजनिक अपमान और जातिगत भेदभाव जैसे गंभीर आरोप लगाए. पूरन कुमार ने यह भी लिखा कि उन्होंने बार-बार मुख्यमंत्री, गृह सचिव और पुलिस मुख्यालय को अपनी शिकायतें भेजीं, लेकिन किसी ने सुनवाई नहीं की.
ईमानदार अफसर या सिस्टम से हारा इंसान?
पूरन कुमार 2001 बैच के आईपीएस अधिकारी थे. वे SC कैटेगरी से आते थे और हरियाणा पुलिस में अपनी दक्षता, सादगी और जनसंपर्क के लिए जाने जाते थे. वह कई बार डीजीपी ऑफिस तक गए, अपने खिलाफ हो रहे भेदभाव के खिलाफ लिखित शिकायतें दीं. यहां तक कि एक लेटर में उन्होंने लिखा, "मैं अपने ही सिस्टम से लड़ते-लड़ते थक गया हूं." उनकी यह पंक्ति आज सोशल मीडिया पर उस अफसर की आखिरी चीख बन गई है, जिसे सिस्टम ने सुनने से इंकार कर दिया.
सरकार की त्वरित कार्रवाई, पर सवाल अब भी बाकी
पूरन कुमार की मौत के बाद मुख्यमंत्री नायब सिंह सैनी ने तुरंत बयान जारी किया, “जांच निष्पक्ष होगी, किसी को छोड़ा नहीं जाएगा.” सरकार ने डीजीपी शत्रुजीत कपूर को छुट्टी पर भेज दिया, और रोहतक के पूर्व एसपी नरेंद्र बिजरनिया का तबादला कर दिया. लेकिन सवाल यह है कि क्या यह “छुट्टी पर भेजना” पर्याप्त है? या फिर यह केवल जनदबाव को कम करने की एक औपचारिक कवायद है?
कौन हैं DGP शत्रुजीत कपूर?
शत्रुजीत सिंह कपूर हरियाणा कैडर के 1990 बैच के आईपीएस अधिकारी हैं. उनका जन्म 21 अक्टूबर 1966 को हरियाणा के जींद जिले में हुआ. पंजाब के फगवाड़ा से ताल्लुक रखने वाले कपूर ने अपनी शुरुआती पढ़ाई हरियाणा में की और बाद में नेशनल इंस्टीट्यूट ऑफ टेक्नोलॉजी (NIT) कुरुक्षेत्र से मैकेनिकल इंजीनियरिंग में बी.टेक किया. पढ़ाई के दौरान ही उनका झुकाव सिविल सर्विसेज की ओर हुआ और उन्होंने यूपीएससी परीक्षा में सफलता हासिल कर आईपीएस बने. इंजीनियरिंग के बाद पुलिस सेवा में उनका चयन एक ऐसी सोच के साथ हुआ था, “प्रशासन को तकनीकी दक्षता और मानवीय संवेदना दोनों की जरूरत होती है.”
CBI से लेकर UN मिशन तक
कपूर का करियर हरियाणा पुलिस के सबसे अनुभवी और विविधतापूर्ण अफसरों में गिना जाता है. उन्होंने राज्य में कानून व्यवस्था बनाए रखने से लेकर CBI, एंटी-करप्शन ब्यूरो (ACB) और संयुक्त राष्ट्र शांति मिशन (UN Mission in Kosovo) तक में सेवा दी. ACB के महानिदेशक रहते हुए उन्होंने भ्रष्टाचार के कई हाई-प्रोफाइल मामलों की जांच की और अपनी छवि एक “कठोर लेकिन ईमानदार अफसर” के रूप में बनाई. 2023 में उन्हें हरियाणा का पुलिस महानिदेशक (DGP) नियुक्त किया गया, जहाँ उन्होंने अपराध नियंत्रण, तकनीकी सुधार और पुलिस प्रशासन में पारदर्शिता पर जोर देने की बात कही.
पहले भी लगे हैं आरोप
हालांकि, डीजीपी बनने के कुछ ही महीनों बाद शत्रुजीत कपूर का नाम विवादों में आ गया. वरिष्ठ आईपीएस अधिकारी वाई. पूरन कुमार की आत्महत्या के बाद उनके खिलाफ मानसिक उत्पीड़न, जातिगत भेदभाव और करियर बर्बाद करने की साजिश जैसे गंभीर आरोप लगे. पूरन कुमार के सुसाइड नोट में कपूर का नाम प्रमुखता से दर्ज है. इस प्रकरण के बाद उन्हें हरियाणा सरकार ने छुट्टी पर भेज दिया है और उनके खिलाफ जांच चल रही है. इससे पहले भी, एसीबी हेड रहते हुए कपूर पर “दबंग शैली” और “अत्यधिक हस्तक्षेप” के आरोप लगे थे, हालांकि कोई मामला सिद्ध नहीं हुआ. आज वे हरियाणा पुलिस के सबसे प्रभावशाली, लेकिन सबसे विवादित अफसरों में शुमार हैं.
पूरन कुमार की शिकायतों की अनसुनी कहानी
जानकारी के अनुसार, 2021 से 2024 तक पूरन कुमार ने कुल 9 शिकायतें दर्ज कराईं. इनमें प्रमोशन प्रक्रिया में भेदभाव, अनुचित ACR रेटिंग, मीटिंग में अपमान और छुट्टी न मिलने जैसे बिंदु शामिल थे. उनकी एक शिकायत में यह भी लिखा था कि पिता के निधन के समय उन्हें शोक-अवकाश देने से मना किया गया. उन्होंने यह भी आरोप लगाया था कि कुछ सीनियर अधिकारी “जाति आधारित पूर्वाग्रह” के तहत उनके खिलाफ लॉबी बना रहे हैं.
पत्नी बोलीं- मेरा परिवार टूट गया
पूरन कुमार की पत्नी, IAS अधिकारी अमनीत पी. कुमार, ने FIR दर्ज कराई है. उन्होंने डीजीपी शत्रुजीत कपूर और नरेंद्र बिजरनिया पर “आत्महत्या के लिए उकसाने” और SC/ST एक्ट के उल्लंघन का आरोप लगाया है. उन्होंने मुख्यमंत्री को पत्र में लिखा, “यह सिर्फ मेरे पति की मौत नहीं है, यह सिस्टम की संवेदनहीनता का नतीजा है. हमारे परिवार को सिस्टेमेटिक ह्यूमिलिएशन से तोड़ दिया गया.” अब यह केस या तो CBI या स्पेशल इन्वेस्टिगेशन टीम (SIT) को दिया जा सकता है.
48 घंटे का अल्टीमेटम
पूरन कुमार की मौत ने समाज में गहरा रोष पैदा किया है. चंडीगढ़ और रोहतक में वाल्मीकि समाज की महापंचायत हुई, जिसमें कहा गया कि “यह सिर्फ एक अधिकारी की मौत नहीं, बल्कि एक समुदाय की अस्मिता पर हमला है.” महापंचायत ने सरकार को 48 घंटे का अल्टीमेटम दिया है कि डीजीपी कपूर को तुरंत हटाया जाए, वरना आंदोलन तेज़ किया जाएगा.
अब जांच की दिशा क्या होगी?
राज्य सरकार जल्द एक SIT गठित करेगी. CBI जांच की संभावना से इनकार नहीं किया गया है. इस बीच, डीजीपी कपूर ने किसी भी गलत काम से इनकार किया है और कहा है कि वे जांच में सहयोग करेंगे. लेकिन अब जांच सिर्फ अपराध की नहीं, बल्कि “संवेदनशीलता बनाम सत्ता” की परीक्षा भी है.
यह सिर्फ एक केस नहीं, बल्कि चेतावनी है
वाई. पूरन कुमार की आत्महत्या एक सिग्नल है कि सिस्टम में इंसाफ और सम्मान की कमी कितनी खतरनाक हो सकती है. अगर इस केस में सख्त और पारदर्शी कार्रवाई नहीं हुई, तो यह हरियाणा पुलिस के लिए एक स्थायी दाग बन जाएगा. क्योंकि किसी भी राज्य की असली ताकत उसके अफसर नहीं, उसकी नैतिकता होती है और वही आज सवालों में है.