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बुजुर्ग ने 44 साल बाद लिया तलाक, 18 साल तक लड़ी कानूनी लड़ाई, 3 करोड़ में हुआ समझौता

हरियाणा से एक खबर आ रही है, जहां पर दंपति ने अपने रिश्ते से परेशान होकर अलग होने का फैसला लिया. यह बुजुर्ग दंपति 18 साल की कानूनी लड़ाई लड़ने के बाद अलग हो गए. पति के कहना है कि वह अपनी पत्नी के व्यवहार से तंग आ चुके थे और अब अलग होकर शांति से रहना चाहते थे.

बुजुर्ग ने 44 साल बाद लिया तलाक, 18 साल तक लड़ी कानूनी लड़ाई, 3 करोड़ में हुआ समझौता
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( Image Source:  Meta AI )

इन दिनों तलाक के बहुत से मामले सुनने को मिल रहे हैं. अक्सर इन मामलों में पति दोषी ठहराया जाता है कि ससुराल वालों ने दहेज की मांग कि या पति मारता है, इन वजहों से तलाक होता है. लेकिन इन दिनों कुछ अलग ही मामले सुनने को मिल रहे हैं, हाल में अतुल सुभष का मामला चल रहा है, सुभाष ने अपनी पत्नी से परेशान होकर आत्महत्या कर ली तो अब एक और मामला सुनने को मिल रहा है पति ने पत्नी से परेशान होकर शादी के 44 साल बाद अलग तलाक ले लिया. दंपति ने 18 साल तक लड़ाई लड़ी.

हरियाणा के करनाल जिले में एक ऐसा मामला सामने आया है जो रिश्तों की कठिनाई को दिखाता है. जीवन के सातवें दशक में एक बुजुर्ग दंपति ने अपनी 44 साल पुरानी शादी को खत्म कर दिया. 70 साल के पति और 73 साल की पत्नी के बीच यह तलाक 18 साल की लंबी कानूनी लड़ाई के बाद हुआ. पति ने अपनी पत्नी पर "मानसिक क्रूरता" का आरोप लगाया और आखिरकार 3 करोड़ रुपये का सेटलमेंट देकर रिश्ते को खत्म करने का फैसला लिया.

44 साल का रिश्ता और बढ़ती कड़वाहट

27 अगस्त 1980 को इस दंपति की शादी हुई थी. शुरू के 25 सालों तक उनका रिश्ता एक दम सही तरीके से चला. इस बीच उनके तीन बच्चे हुए - दो बेटियां और एक बेटा. लेकिन समय के साथ उनके रिश्ते में कड़वाहट आने लगी. 8 मई 2006 को दोनों के बीच ऐसी स्थिति उत्पन्न हुई कि वे अलग-अलग रहने लगे. इसके बाद पति ने 2013 में मानसिक उत्पीड़न का आरोप लगाते हुए तलाक का केस फाइल किया. जिला कोर्ट से याचिका खारिज होने के बाद मामला हाई कोर्ट पहुंचा

सेटलमेंट के लिए दिए इतने पैसे

पंजाब और हरियाणा हाई कोर्ट ने इस मुकदमे में सुनवाई करते हुए आखिरकार तलाक को मंजूरी दी. अदालत के फैसले के अनुसार पति को पत्नी के गुजारे के लिए 3 करोड़ रुपये देने पड़े. यह रकम उन्होंने अपनी संपत्ति बेचकर जुटाई. बुजुर्ग ने 2.16 करोड़ रुपये की खेती की जमीन बेच दी, 50 लाख रुपये उन्होंने अपनी फसल बेचकर इकट्ठा किए और करीब 40 लाख रुपये के गहने भी दिए. सेटलमेंट की रकम को पूरा करने के लिए नकद, डिमांड ड्राफ्ट और सोने-चांदी के रूप में किया जाएगा.

इस समझौते में एक और शर्त जोड़ी गई है कि यदि पति की मृत्यु हो जाती है तो पत्नी और बच्चों को उसकी संपत्ति पर कोई अधिकार नहीं रहेगा. यह फैसला हाई कोर्ट के जस्टिस सुधीर सिंह और जस्टिस जसजीत सिंह बेदी की बेंच ने सुनाया.

जीवन के अंतिम समय में तलाक की वजह क्या?

इस मामले ने समाज में बुजुर्गों के रिश्तों की कठिनाई को उजागर किया है. जहां जीवन के अंतिम पड़ाव में लोग साथ रहना चाहते हैं, वहीं यह बुजुर्ग दंपति 18 साल की कानूनी लड़ाई लड़ने के बाद अलग हो गए. पति के अनुसार, वह अपनी पत्नी के व्यवहार से तंग आ चुके थे और अब अलग होकर मानसिक शांति चाहते थे.

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