हरियाणा में पूर्व पाकिस्तानी PM की ₹4000 करोड़ की संपत्ति पर बवाल! फर्जी वारिसों ने कर दिया खेला
Haryana News: हरियाणा में पाकिस्तान के पहले प्रधानमंत्री लियाकत अली खान की संपत्ति को लेकर विवाद हो रहा है. अब पंजाब व हरियाणा हाई कोर्ट ने मामले में 5 लोगों से रिपोर्ट मांगी है. शिकायत में आरोप लगाया गया है कि कुछ नेता, तत्कालीन उच्च अधिकारी और भू-माफियाओं के साथ मिलकर जमीन के हिस्से अपने नाम करवाने में शामिल थे.

Haryana News: हरियाणा में पिछले कुछ दिनों से पाकिस्तान के पहले प्रधानमंत्री लियाकत अली खान की संपत्ति को लेकर विवाद हो रहा है. पंजाब और हरियाणा हाई कोर्ट ने के एसपी समेत 5 लोगों से स्टेटस की रिपोर्ट मांगी है. इस मामले की अगली सुनवाई 12 जनवरी 2026 को होने वाली है.
जानकारी के अनुसार, कोर्ट में एडवोकेट रामकिशन, करुणा शर्मा समेत अन्य ने बताया कि पाकिस्तान के पूर्व पीएम के नाम पर करनाल में 82 दुकान और एक हवेली है. साथ ही इंद्री इलाके में डबकौली खुर्द गांव में 1200 एकड़ जमीन है. ग्रामीणों ने कोर्ट में इसको लेकर याचिका दायर की.
क्या है मामला?
साल 2005 से ही लियाकत अली खान की संपत्ति को लेकर केस कोर्ट में है. आरोप है कि भूमाफियाओं ने फर्जी वारिस बनाने के जरिए पूर्व प्रधानमंत्री नवाबजादा लियाकत अली खान की जमीन पर कब्जा कर लिया. इस संबंध में कस्टोडियन विभाग पर भी आरोप है कि उन्होंने अभी तक कोई ठोस कदम नहीं उठाया.
एडवोकेट के अनुसार, डबकौली गांव के सोनू, धनप्रकाश, वेदप्रकाश, विष्णु, लखमीर, सतपाल सरपंच और विक्रम ने 4 मई 2022 को अनिल विज को शिकायत दी थी. जिसमें 1935 में उमरदराज अली खान के निधन के बाद लगभग 1,200 एकड़ जमीन उनके पांच बेटों नवाबजादा शमशाद अली खान, इरशाद अली खान, एजाज अली खान, मुमताज अली खान और इम्तियाज अली खान के नाम हुई थी.
जमीन के बनाए फर्जी पेपर बनाए
शिकायत में यह भी कहा गया कि भूमाफियाओं ने दस्तावेजों में इन नामों का गलत इस्तेमाल किया और अपने लोगों को घुसपैठ कर जमीन अपने नाम पर करवाते रहे. लगभग 4,000 करोड़ रुपए कीमत की इस जमीन पर मिलीभगत से अवैध कब्जे हो रहे हैं. ग्रामीणों की मांग है कि कस्टोडियन विभाग इस जमीन को अपने अधीन ले और कब्जा मुक्त कराए. कोर्ट ने 12 सितंबर 2025 इस मामले की सुनवाई की और CBI, करनाल एसपी और इंद्री थाना के एसएचओ को पक्ष बनाया.
बता दें कि वर्ष 1950 में इस जमीन को कस्टोडियन की जमीन घोषित किया गया था और 1951 में इसके लिए भारत सरकार ने आधिकारिक नोटिफिकेशन भी जारी किया. इसके बावजूद उत्तर प्रदेश के कुछ लोगों ने खुद को लियाकत अली परिवार का फर्जी वारिस बताकर इस जमीन पर कब्जा कर लिया और फिर इसे एक दर्जन से अधिक भू-माफियाओं को बेच दिया. शिकायत में आरोप लगाया गया है कि कुछ नेता, तत्कालीन उच्च अधिकारी और भू-माफियाओं के साथ मिलकर जमीन के हिस्से अपने नाम करवाने में शामिल थे. अब कोर्ट ने हरियाणा सरकार से जवाब मांगा है.