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पूर्व जस्टिस निर्मल यादव फिर आफत में... CBI ने पंजाब और हरियाणा HC में दायर की याचिका, जानें मामला

Punjab-Haryana HC: पंजाब और हरियाणा हाई कोर्ट की पूर्व जस्टिस निर्मल यादव को भ्रष्टाचार मामले में बरी कर दिया गया था. अब सीबीआई ने हाई कोर्ट में उनके खिलाफ याचिका दायर की. फिर कोर्ट ने उन्हें और तीन अन्यों को नोटिस जारी किया. मामले की अगली सुनवाई 15 दिसंबर को होगी.

पूर्व जस्टिस निर्मल यादव फिर आफत में... CBI ने पंजाब और हरियाणा HC में दायर की याचिका, जानें मामला
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( Image Source:  @DeadlyLaw )

Punjab-Haryana HC: पंजाब और हरियाणा हाई कोर्ट की पूर्व जस्टिस निर्मल यादव की मुश्किलें बढ़ गई हैं. सीबीआई ने उन्हें बरी किए जाने के खिलाफ बड़ा कदम उठाते हुए हाई कोर्ट का दरवाजा खटखटाया है. उन पर चंडीगढ़ की एक अदालत ने साल 2008 में भ्रष्टाचार के आरोप लगने के बाद भी बरी कर दिया था.

हाई कोर्ट ने सोमवार (8 सितंबर) को निर्मल यादव और रविंदर सिंह भसीन, राजीव गुप्ता और निर्मल सिंह को नोटिस जारी किया. यह कार्रवाई CBI की याचिका के आधार पर की गई. मामले की अगली सुनवाई 15 दिसंबर को होगी.

क्या है मामला?

अगस्त 2008 में एक बैग जिसमें 15 लाख रुपये कैश थे. कथित पैसों से भरा बैग हाई कोर्ट की एक अन्य जज निर्मलजीत कौर के घर से मिला था. उनके स्टाफ ने पुलिस को इसकी जानकारी दी. इसके बाद जांच हुई और सीबीआई ने 2011 में एक आरोपी के खिलाफ आरोप पत्र दायर किया.

कैसे हुए निर्मल यादव के नाम का खुलासा?

सीबीआई के आरोप पत्र में बताया गया कि निर्मलजीत कौर के घर पर पैसे हरियाणा के वकील संजीव बंसल के एक क्लर्क ने पहुंचाएं थे, जो कि निर्मल यादव के लिए थे. नाम एक जैसा होने की वजह से यह गड़बड़ी हो गई और पैसे निर्मलजीत कौर के घर पर पहुंच गए. CBI ने दावा किया कि यह पैसे जस्टिस यादव ने धार्मिक रुप से भेजे गए थे. क्योंकि उन्होंने एक संपत्ति विवाद में उनके पक्ष में फैसला सुनाया था, लेकिन में गड़बड़ी हुई और बैग गलत जगह पहुंच गया.

CBI की चार्जशीट में क्या?

CBI ने 2011 में चार्जशीट दायर की जिसमें बताया गया कि 78 गवाह जांच में शामिल थे और फोन रिकॉर्ड, 164 CrPC के तहत बयान और कैश की बरामदगी जैसे ठोस सबूत मौजूद थे, लेकिन मार्च 2025 में चंडीगढ़ की विशेष CBI अदालत ने सभी अभियुक्तों को बरी कर दिया. न्यायाधीश अल्का मलिक ने कहा कि CBI ने भरोसेमंद सबूत तैयार नहीं किए, खासकर मुख्य गवाह आर.के. जैन के बयान को अविश्वसनीय, अनुमान और सुधारों से भरा बताया.

CBI ने हाईकोर्ट में अपील दायर करते हुए कहा कि स्थानीय अदालत ने सभी सबूत को नजरंदाज कर दिया और केवल 10–12 गवाहों के बयान पर ध्यान केंद्रित किया. बाकियों के साक्ष्यों को कोई उचित कारण न बताते हुए अस्वीकार कर दिया गया. इस फैसले को CBI पौराणिक और सुप्रीम कोर्ट के सिद्धांतों के विपरीत मान रही है.

हरियाणा न्‍यूज
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