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बिहार चुनाव से पहले था दहशत फ़ैलाने का प्लान! कौन थे 'सिग्मा गैंग' के चारों गैंगस्टर्स जिनका दिल्ली में हुआ एनकाउंटर

दिल्ली के रोहिणी में हुई मुठभेड़ में बिहार की कुख्यात ‘सिग्मा गैंग’ का अंत हो गया. रंजन पाठक समेत चार मोस्ट वॉन्टेड अपराधी पुलिस एनकाउंटर में मारे गए. यह संयुक्त ऑपरेशन दिल्ली और बिहार पुलिस ने मिलकर किया. बिहार चुनाव से पहले इस कार्रवाई ने अपराधियों में डर और जनता में भरोसा बढ़ाया है.

बिहार चुनाव से पहले था दहशत फ़ैलाने का प्लान! कौन थे सिग्मा गैंग के चारों गैंगस्टर्स जिनका दिल्ली में हुआ एनकाउंटर
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( Image Source:  X/pappu_farishta )
नवनीत कुमार
Curated By: नवनीत कुमार

Updated on: 23 Oct 2025 7:27 AM IST

बिहार विधानसभा चुनाव की आहट के बीच दिल्ली में हुई एक हाई-वोल्टेज मुठभेड़ ने अपराध की दुनिया में हलचल मचा दी है. बुधवार और गुरुवार की दरमियानी रात दिल्ली के रोहिणी इलाके में पुलिस ने बिहार की कुख्यात ‘सिग्मा गैंग’ का सफाया कर दिया. बिहार से फरार चार मोस्ट वॉन्टेड अपराधी, जिनमें गैंग का सरगना रंजन पाठक भी शामिल था, एनकाउंटर में ढेर हो गए. दिल्ली पुलिस की क्राइम ब्रांच और बिहार पुलिस की संयुक्त टीम ने इस ऑपरेशन को बेहद गोपनीय तरीके से अंजाम दिया.

यह मुठभेड़ 22 और 23 अक्टूबर की रात करीब 2:20 बजे रोहिणी के बहादुर शाह मार्ग से लेकर पंसाली चौक के बीच हुई. पुलिस के मुताबिक, अपराधियों ने गिरफ्तारी से बचने के लिए अंधाधुंध फायरिंग शुरू कर दी. जवाबी कार्रवाई में चारों बदमाशों को गोली लगी. बाद में उन्हें डॉ. बीएसए अस्पताल ले जाया गया, जहां डॉक्टरों ने मृत घोषित कर दिया. ऑपरेशन में पुलिस के किसी जवान को गंभीर चोट नहीं आई.

कौन थे चारों अपराधी?

एनकाउंटर में मारे गए चारों अपराधियों की पहचान हो चुकी है. रंजन पाठक (25), बिमलेश महतो उर्फ बिमलेश साहनी (25), मनीष पाठक (33) और अमन ठाकुर (21). इनमें से तीन सीतामढ़ी, बिहार के निवासी थे, जबकि अमन ठाकुर दिल्ली के करावल नगर के शेरपुर गांव का रहने वाला था. चारों पर हत्या, लूट, रंगदारी और अपहरण जैसे दर्जनों संगीन मुकदमे दर्ज थे.

गैंग का लीडर था रंजन

गैंग का सरगना रंजन पाठक, बिहार के अपराध जगत का जाना-पहचाना नाम था. बताया जाता है कि सीतामढ़ी में एक हाई-प्रोफाइल हत्या के बाद उसने मीडियाकर्मियों को अपना ‘क्रिमिनल बायोडाटा’ तक भेज दिया था. उसका मकसद था डर और पहचान दोनों बनाना. बिहार पुलिस के मुताबिक, हाल ही में इस गैंग की एक ऑडियो कॉल सामने आई थी, जिसमें रंजन अपने साथियों से बिहार चुनाव से पहले दहशत फैलाने की बात कर रहा था.

दूसरा आरोपी बिमलेश महतो उर्फ बिमलेश साहनी, रंगदारी और हथियार तस्करी में सक्रिय था. वह रंजन का दायां हाथ माना जाता था. तीसरा अपराधी मनीष पाठक कई हत्या और अपहरण मामलों में वांटेड था. चौथा अपराधी अमन ठाकुर, दिल्ली में रहते हुए गैंग को राजधानी से लॉजिस्टिक सपोर्ट प्रदान करता था. वह अपराधियों के ठिकाने और हथियारों की व्यवस्था करता था.

‘सिग्मा गैंग’ की क्राइम कुंडली

‘सिग्मा एंड कंपनी’ के नाम से कुख्यात यह गिरोह बिहार-नेपाल सीमा तक फैला हुआ था. रंजन पाठक इसका मास्टरमाइंड था, जो सोशल मीडिया के जरिए भी अपना प्रभाव बढ़ाने की कोशिश करता था. गैंग के सदस्य बिहार, झारखंड और उत्तर प्रदेश में रंगदारी, सुपारी किलिंग और हथियार सप्लाई जैसे अपराधों में लिप्त थे. सूत्रों के मुताबिक, गैंग की फंडिंग नेपाल के रास्ते होती थी और इसकी जड़ें सीमावर्ती जिलों में गहरी थीं.

पुलिस के अनुसार, इस गिरोह की निगरानी पिछले कई महीनों से की जा रही थी. गुप्त सूत्रों से मिली जानकारी के आधार पर दिल्ली में उनका ठिकाना चिन्हित किया गया. ऑपरेशन की योजना पूरी तरह से चुनावी सुरक्षा को ध्यान में रखकर बनाई गई थी ताकि बिहार में चुनाव से पहले किसी बड़े अपराध को रोका जा सके. दिल्ली पुलिस और बिहार पुलिस की इस संयुक्त कार्रवाई को अब तक की बड़ी सफलता माना जा रहा है. अधिकारियों का कहना है कि इस ऑपरेशन से न सिर्फ ‘सिग्मा गैंग’ का अंत हुआ, बल्कि चुनाव के दौरान राज्य में शांति बनाए रखने में भी मदद मिलेगी. पुलिस ने दावा किया है कि गैंग के बचे हुए सदस्यों की पहचान कर ली गई है और जल्द ही उन्हें भी गिरफ्तार किया जाएगा.

पुलिस ने क्या कहा?

घटना के बाद इलाके में सुरक्षा व्यवस्था और गश्त बढ़ा दी गई है. पुलिस ने लोगों से अपील की है कि किसी भी संदिग्ध गतिविधि की तुरंत सूचना दें. यह कार्रवाई अपराधियों के लिए कड़ा संदेश है कि कानून से बचना अब नामुमकिन है. एनकाउंटर ने पुलिस के दृढ़ संकल्प और त्वरित कार्रवाई की मिसाल पेश की है. यह ऑपरेशन बिहार चुनाव से पहले अपराध के खिलाफ सरकार और पुलिस की जीरो टॉलरेंस नीति का साफ संकेत देता है. जनता में अब यह विश्वास मजबूत हुआ है कि अपराधी चाहे जहां छिप जाएं, न्याय उनका पीछा नहीं छोड़ेगा.

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