Begin typing your search...

कौन है नक्‍सली नेता भूपति? माओवादी विद्रोह का मास्टरमाइंड, अब हथियार डालकर मुख्यधारा में लौटा

माओवादी कमांडर मल्लोजुला वेणुगोपाल राव उर्फ भूपति ने मंगलवार को 60 साथियों के साथ महाराष्ट्र के गढ़चिरौली में आत्मसमर्पण कर दिया, जिससे 50 साल पुराने नक्सल आंदोलन को बड़ा झटका लगा है. पांच राज्यों में हमलों के मास्टरमाइंड रहे भूपति पर 10 करोड़ रुपये तक का इनाम था. 69 वर्षीय भूपति, मारे गए नक्सली नेता किशनजी का भाई है. एनकाउंटर के डर, घटते जनसमर्थन और पत्नी के सरेंडर के बाद उसने हथियार डाल दिए.

कौन है नक्‍सली नेता भूपति? माओवादी विद्रोह का मास्टरमाइंड, अब हथियार डालकर मुख्यधारा में लौटा
X
( Image Source:  X/CMOMaharashtra )
नवनीत कुमार
Edited By: नवनीत कुमार

Published on: 15 Oct 2025 2:50 PM

महाराष्ट्र, छत्तीसगढ़, तेलंगाना, ओडिशा और आंध्र प्रदेश में लंबे समय से सक्रिय माओवादी कमांडर मल्लोजुला वेणुगोपाल राव उर्फ भूपति ने हाल ही में अपने 60 से अधिक साथियों के साथ सरेंडर कर दिया. यह कदम न केवल संगठन के लिए बल्कि पूरे रेड कॉरिडोर के लिए ऐतिहासिक मोड़ माना जा रहा है. भूपति को पांच राज्यों में नक्सली हमलों का मास्टरमाइंड और रणनीतिकार कहा जाता था.

भूपति का असली नाम मल्लोजुला वेणुगोपाल राव है, लेकिन उसे नक्सली दुनिया में कई नामों से जाना जाता है - सोनू, सोनू दादा, वेणुगोपाल, अभय, मास्टर, विवेक और वेणु. 69 वर्षीय भूपति ने बी.कॉम तक की पढ़ाई पूरी की और 40 वर्षों से संगठन में सक्रिय रहा. वे भाकपा (माओवादी) की केंद्रीय कमेटी और पोलित ब्यूरो का फायरब्रांड सदस्य रहा है. संगठन में उसकी हैसियत इतनी ऊंची थी कि वे सैन्य फैसलों और नरसंहारों की योजना बनाने वाली शीर्ष कमेटी का हिस्सा माना जाता था.

पांच राज्‍यों की पुलिस ने सिर पर रखा था इनाम

उसके खिलाफ महाराष्ट्र, छत्तीसगढ़, तेलंगाना, ओडिशा और आंध्र प्रदेश में अलग-अलग राज्यों ने 1 करोड़ से लेकर 10 करोड़ रुपये तक का इनाम घोषित किया था. भूपति को माओवादी आंदोलन के सबसे वरिष्ठ और प्रभावशाली नेताओं में गिना जाता था. वह रेड कॉरिडोर में अभियानों का संचालन करता और संगठन का प्रवक्ता भी रहा.

नक्सली कमांडर मल्लोजुला कोटेश्वर राव उर्फ किशनजी का भाई

भूपति के नेतृत्व में कई रेड कॉरिडोर और सुरक्षा बलों पर हमलों की योजना बनाई गई. इनमें सीआरपीएफ, एसटीएफ और डीआरजी के दर्जनों जवान शहीद हुए. वे महाराष्ट्र और छत्तीसगढ़ की सीमा पर लंबे समय तक प्लाटून अभियानों का संचालन करते थे, जो छोटे-बड़े हमलों को सीधे अंजाम देते थे. भूपति मारे गए कुख्यात नक्सली कमांडर मल्लोजुला कोटेश्वर राव उर्फ किशनजी का भाई भी है. दोनों भाई लंबे समय तक माओवादी आंदोलन के मुख्य चेहरे रहे.

भूपति ने हाल ही में अपने साथियों के साथ महाराष्ट्र के गढ़चिरौली जिले में पुलिस मुख्यालय में सरेंडर किया. सरेंडर के समय उन्होंने 50 से अधिक हथियार, जिनमें AK-47 और INSAS राइफलें शामिल थीं, पुलिस को सौंप दिए. उनके आत्मसमर्पण के पीछे कई आंतरिक और बाहरी कारण बताए जा रहे हैं.

नक्‍सली संगठन में टूट

भूपति ने अपने पत्र में लिखा कि एनकाउंटर और सुरक्षाबलों की लगातार कार्रवाई के चलते हथियार डालना उनका आखिरी विकल्प बन गया. उसने संगठन में हिंसा छोड़कर शांति और संवाद की दिशा में जाने की अपील की थी. हालांकि, माओवादी केंद्रीय कमेटी ने इस प्रस्ताव को खारिज कर भूपति के खिलाफ चेतावनी जारी की. उसके साथ सरेंडर करने वाले 60 से अधिक कैडर ने उनके शांति प्रस्ताव का समर्थन किया, जिससे संगठन में विभाजन स्पष्ट हुआ.

क्‍या बीवी के सरंडेर की वजह से डाले हथियार?

भूपति ने अपने बयानों में यह भी कहा कि जनसमर्थन में कमी और सैकड़ों कार्यकर्ताओं की मौत ने उन्हें आत्मसमर्पण के लिए मजबूर किया. उनकी पत्नी तारका यानी विमला चंद्र सिदाम, जो खुद एक करोड़ की इनामी नक्सली थी, ने करीब एक साल पहले सरेंडर किया था. इसे भी भूपति के आत्मसमर्पण के पीछे एक महत्वपूर्ण कारण माना जा रहा है.

भूपति का यह कदम गृह मंत्री अमित शाह के ‘नक्सल मुक्त भारत 2026’ लक्ष्य के लिए भी बेहद महत्वपूर्ण है. यह सरेंडर माओवादी आंदोलन और विशेषकर गढ़चिरौली जिला में 50 साल पुराने विद्रोह का अंत का संकेत देता है. उसके सरेंडर से अन्य नक्सली, खासकर निचले स्तर के कैडर, यह संदेश पाएंगे कि उनके सबसे अनुभवी और बड़े नेता भी हथियार डाल सकते हैं.

विशेषज्ञों का मानना है कि भूपति का मुख्यधारा में लौटना छत्तीसगढ़, महाराष्ट्र, तेलंगाना और ओडिशा जैसे नक्सल प्रभावित क्षेत्रों में शांति और विकास की उम्मीदें बढ़ाएगा. इस सरेंडर से न केवल सुरक्षा बलों को राहत मिलेगी, बल्कि यह माओवादी विद्रोह के लंबे इतिहास में एक निर्णायक मोड़ साबित होगा.

India News
अगला लेख