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अगर मान ली गई होती संसदीय पैनल की बात, तो 15 घंटे से ज्‍यादा के लिए ठप नहीं होता दिल्‍ली एयरपोर्ट...

दिल्ली एयरपोर्ट पर एयर ट्रैफिक कंट्रोल (ATC) सिस्टम में आई तकनीकी खराबी के एक दिन बाद पता चला कि संसद की स्थायी समिति ने अगस्त में ही भारत के ATC सिस्टम के आधुनिकीकरण की सिफारिश की थी. रिपोर्ट में कहा गया था कि पुरानी तकनीक सुरक्षा और संचालन दोनों के लिए खतरा है. समिति ने AI-आधारित टूल्स, अंतरराष्ट्रीय मानकों के अनुरूप सिस्टम, और तत्काल तकनीकी ऑडिट की सिफारिश की थी.

अगर मान ली गई होती संसदीय पैनल की बात, तो 15 घंटे से ज्‍यादा के लिए ठप नहीं होता दिल्‍ली एयरपोर्ट...
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( Image Source:  ANI )
प्रवीण सिंह
Edited By: प्रवीण सिंह

Updated on: 8 Nov 2025 1:00 PM IST

दिल्ली के इंदिरा गांधी अंतरराष्ट्रीय हवाई अड्डे (IGIA) पर हुई एयर ट्रैफिक कंट्रोल (ATC) की बड़ी तकनीकी गड़बड़ी के एक दिन बाद अब यह खुलासा हुआ है कि संसद की स्थायी परिवहन समिति ने तीन महीने पहले ही इसी खतरे की चेतावनी दी थी.

अगस्त 2025 में समिति ने अपनी रिपोर्ट में साफ कहा था कि भारत का ATC सिस्टम अब पुराना पड़ चुका है और यह सुरक्षा के लिए बड़ा जोखिम बनता जा रहा है, खासकर दिल्ली और मुंबई जैसे हाई-ट्रैफिक हवाई अड्डों पर. समिति ने सरकार से “समयबद्ध, व्यापक तकनीकी ओवरहॉल” की सिफारिश की थी ताकि हवाई यातायात संचालन को अंतरराष्ट्रीय मानकों के अनुरूप बनाया जा सके.

अब जब दिल्ली एयरपोर्ट पर सैकड़ों उड़ानें घंटों देरी से रवाना हुईं, तब यह रिपोर्ट एक बार फिर चर्चा में है और यह सवाल उठ रहा है कि क्या सरकार ने चेतावनी को नजरअंदाज कर दिया?

“पुराने सिस्टम से बढ़ रहा खतरा” - समिति की चेतावनी

रिपोर्ट में कहा गया था कि भारत के हवाई अड्डों पर इस्तेमाल हो रहे कई ऑटोमेशन सिस्टम धीरे-धीरे अपनी कार्यक्षमता खो रहे हैं. एयर ट्रैफिक कंट्रोलर्स के संघ - एयर ट्रैफिक कंट्रोलर्स गिल्ड (India) - ने समिति को बताया था कि सिस्टम में डाटा प्रोसेसिंग में देरी, धीमापन, और फैसले लेने में तकनीकी सहायता की कमी जैसी समस्याएं लगातार बढ़ रही हैं. इससे न सिर्फ काम की गति पर असर पड़ रहा है, बल्कि यह सुरक्षा जोखिम भी पैदा कर रहा है क्योंकि कई बार नियंत्रकों को सॉफ्टवेयर की जगह मैनुअल कैलकुलेशन पर निर्भर रहना पड़ता है.

समिति की मुख्य सिफारिशें

संसदीय समिति ने सरकार को भारत के एयर ट्रैफिक सिस्टम में आधुनिक तकनीकी क्रांति लाने के लिए कई अहम सुझाव दिए थे -

  • समयबद्ध आधुनिकीकरण : सरकार को निर्देश दिया गया था कि वह एक तय समयसीमा में ATC सिस्टम का पूरा तकनीकी नवीनीकरण (overhaul) करे. इसमें AI आधारित निर्णय प्रणाली, प्रीडिक्टिव ट्रैफिक एनालिटिक्स, और एडवांस्ड ग्राउंड मूवमेंट गाइडेंस सिस्टम शामिल करने को कहा गया था.
  • अंतरराष्ट्रीय मानकों के अनुरूप विकास : समिति ने कहा था कि नए सिस्टम की खरीद और विकास अंतरराष्ट्रीय मानकों के हिसाब से होना चाहिए - जैसे अमेरिका, ब्रिटेन या सिंगापुर में होता है - ताकि उसमें रीयल-टाइम डेटा शेयरिंग, ऑटोमैटिक कॉन्फ्लिक्ट रिज़ॉल्यूशन और ट्रैफिक फ्लो मैनेजमेंट जैसी क्षमताएं हों.
  • पुराने सिस्टम का तकनीकी ऑडिट : एयरपोर्ट्स अथॉरिटी ऑफ इंडिया (AAI) से कहा गया था कि वह देशभर के सभी एयर ट्रैफिक सिस्टम का तकनीकी ऑडिट कराए और उन हिस्सों को पहचाने जहां तुरंत दखल की जरूरत है.
  • विशेषज्ञों और ATC अधिकारियों से सलाह : नई तकनीक विकसित करने से पहले समिति ने सुझाव दिया था कि अनुभवी कंट्रोलर्स और तकनीकी विशेषज्ञों से परामर्श किया जाए ताकि नया सिस्टम न केवल हाई-टेक हो, बल्कि वास्तविक स्थितियों में उपयोगी और सहज भी हो.

“हवाई यातायात बढ़ा, लेकिन तकनीक पीछे रह गई”

समिति ने अपनी रिपोर्ट में कहा कि पिछले एक दशक में भारत का हवाई यातायात तीन गुना बढ़ा, लेकिन एयर ट्रैफिक मैनेजमेंट सिस्टम की तकनीक उसी गति से विकसित नहीं हुई. इसका असर यह हुआ कि अब एयर ट्रैफिक कंट्रोलर को हर छोटी-बड़ी गणना खुद करनी पड़ती है, जो पहले स्वचालित होती थी. इससे थकान, गलती की संभावना और दबाव तीनों बढ़ गए हैं.

रिपोर्ट में लिखा गया है, “भारत के एयर ट्रैफिक कंट्रोल इंफ्रास्ट्रक्चर में तकनीकी सुधार की गति हवाई यातायात की बढ़ती जटिलता के मुकाबले बेहद धीमी रही है. अगर इसे तुरंत नहीं सुधारा गया, तो यह सुरक्षा के लिए खतरा बन सकता है.”

दिल्ली एयरपोर्ट पर सिस्टम फेल, 800 से ज्यादा उड़ानें प्रभावित

शुक्रवार को दिल्ली के इंदिरा गांधी अंतरराष्ट्रीय हवाई अड्डे पर ऑटोमैटिक मैसेज स्विचिंग सिस्टम (AMSS) में खराबी आने के बाद 800 से अधिक उड़ानें प्रभावित हुईं. एयरपोर्ट्स अथॉरिटी ऑफ इंडिया (AAI) के मुताबिक, यह तकनीकी समस्या 6 नवंबर को सामने आई थी. इसके बाद नागरिक उड्डयन सचिव, AAI चेयरमैन, और अन्य वरिष्ठ अधिकारियों ने तत्काल बैठक की और समस्या सुलझाने के निर्देश दिए. हैदराबाद की इलेक्ट्रॉनिक्स कॉर्पोरेशन ऑफ इंडिया लिमिटेड (ECIL) की टीम दिल्ली भेजी गई, जिसने सिस्टम को सुधारने में मदद की. हालांकि बाद में समस्या ठीक कर दी गई, लेकिन इस घटना ने भारत के एयर ट्रैफिक सिस्टम की कमजोरियों को उजागर कर दिया.

“भारत का ATC सिस्टम अब पैचवर्क से नहीं चलेगा”

एक वरिष्ठ एयर ट्रैफिक कंट्रोलर ने बताया, “हम कई सालों से कह रहे हैं कि भारत को अब अपने सिस्टम को पैचवर्क से नहीं, बल्कि पूरी तरह से नए ढांचे में बदलने की जरूरत है. उड़ानें बढ़ रही हैं, लेकिन टेक्नोलॉजी वही पुरानी है. यह स्थिति लंबे समय तक नहीं चल सकती.” उन्होंने कहा कि भारत में 2010 की तुलना में अब 3 से 4 गुना ज्यादा उड़ानें चल रही हैं, लेकिन कंट्रोल सिस्टम में उस अनुपात में विकास नहीं हुआ. “अगर समय पर सुधार नहीं किया गया, तो अगली बार देरी से ज्यादा बड़ा हादसा भी हो सकता है.”

1500 से ज्यादा उड़ानें रोज़ाना संभालता है दिल्ली एयरपोर्ट

दिल्ली एयरपोर्ट हर दिन करीब 1,500 उड़ानें संभालता है. जबकि पूरे भारत में सालाना 29 लाख से ज्यादा उड़ानें ATC सिस्टम के ज़रिए नियंत्रित होती हैं. इस भारी दबाव को देखते हुए, समिति ने कहा था कि मौजूदा सिस्टम पर “मानव-निर्भरता” बहुत ज्यादा है और इसे AI व ऑटोमेशन आधारित बनाना अब जरूरी है.

समिति की भविष्यवाणी अब हकीकत

अगस्त 2025 की संसदीय रिपोर्ट ने अंत में कहा था, “भारत के एयर ट्रैफिक कंट्रोल इंफ्रास्ट्रक्चर की तकनीकी प्रगति हवाई यातायात की गति के साथ नहीं चल पा रही है. हर देरी, हर चूक, भविष्य के संकट का बीज है.” आज दिल्ली एयरपोर्ट की गड़बड़ी ने इस चेतावनी को सच साबित कर दिया है. अगर सरकार ने अब भी इस रिपोर्ट पर अमल नहीं किया, तो अगली बार यह समस्या सिर्फ “देरी” तक सीमित नहीं रहेगी - बल्कि यह देश की हवाई सुरक्षा के लिए गंभीर खतरा बन सकती है.

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