कभी थे केजरीवाल के सच्चे सिपाही, अब हैं बीजेपी सरकार में मंत्री; कपिल मिश्रा ने कैसे जीता मोदी का भरोसा?
दिल्ली की नई सीएम रेखा गुप्ता ने 20 फरवरी को रामलीला ग्राउंड में शपथ ली. उनके 6 अन्य विधायकों ने भी मंत्री पद की शपथ ली. इसमें कपिल मिश्रा का भी नाम शामिल है. एक समय पर कपिल आम आदमी पार्टी के संयोजक अरविंद केजरीवाल के सच्चे सिपाही थे, लेकिन अब वे पीएम मोदी के वफादार बन गए हैं. आखिर उन्होंने मोदी का भरोसा कैसे जीत लिया? आइए, जानते हैं...

Kapil Mishra: दिल्ली को आखिरकार उसका मुख्यमंत्री मिल ही गया. गुरुवार (20 फरवरी) को भव्य समारोह में रेखा गुप्ता ने सीएम के रूप में शपथ ली. उनके साथ छह विधायकों ने भी मंत्री पद की शपथ ली. इनमें फायर ब्रांड नेता और दिल्ली बीजेपी के उपाध्यक्ष कपिल मिश्रा का भी नाम शामिल है. कपिल करावल नगर सीट से दूसरी बार विधायक बने हैं. वे अपने बयानों के लेकर अक्सर चर्चा में रहते हैं.
कपिल मिश्रा पहले आम आदमी पार्टी में ही थे. बाद में वे AAP का दामन छोड़कर बीजेपी में शामिल हो गए. कपिल ने AAP के मनोज कुमार त्यागी को 23 हजार 355 वोटों से हराया. कपिल को 1 लाख 7 हजार 367 वोट मिले, जबकि मनोज त्यागी को 84 हजार 12 वोट मिले.
कौन हैं कपिल मिश्रा?
कपिल मिश्रा बीजेपी में हिंदुत्व का बड़ा चेहरा हैं. वे अक्सर अरविंद केजरीवाल पर हमला बोलते रहे हैं. उन्होंने भ्रष्टाचार और शराब घोटाले का मामला जोरशोर से उठाया था. इसी वजह से केजरीवाल को ईडी ने पिछले साल गिरफ्तार किया था. उस दौरान कपिल मिश्रा काफी ट्रेंड हुए थे. अब उनको इसका इनाम 'मंत्री' पद के रूप में मिला है.
13 नवंबर 1980 को हुआ जन्म
कपिल मिश्रा का जन्म 13 नवंबर 1980 को दिल्ली में हुआ. उनकी उनकी मां अन्नपूर्णा मिश्रा बीजेपी से जुड़ी रही हैं. वे पूर्वी दिल्ली नगर निगम की मेयर भी रह चुकी हैं. कपिल हिंदू इकोसिस्टम के संस्थापक हैं. उन्होंने दिल्ली दंगों के दौरान लोगों की काफी मदद की थी. वे रोहिंग्याओं के मुद्दे पर लगातार केजरीवाल पर हमला बोलते रहे हैं.
AAP सरकार में बने मंत्री
कपिल मिश्रा को 2015 में दिल्ली में AAP की सरकार बनने पर जल और पर्यटन मंत्री बनाया गया था. हालांकि, जब उन्होंने केजरीवाल और सत्येंद्र जैन पर भ्रष्टाचार का आरोप लगाया, तब उन्हें मंत्री पद से हटा दिया गया था.
केजरीवाल पर 2 करोड़ रिश्वत लेने का लगाया आरोप
कपिल मिश्रा ने केजरीवाल पर 2 करोड़ रिश्वत लेने का आरोप लगाते हुए एसीबी में शिकायत दर्ज की. हालांकि, वे अपने आरोप को सही साबित नहीं कर पाए. इसके बाद उन्हें पार्टी से बाहर कर दिया गया. इसके बाद 17 अगस्त 2019 को उन्होंने बीजेपी का दामन थाम लिया.
बीजेपी ने क्यों कपिल मिश्रा को बनाया मंत्री?
कपिल मिश्रा बीजेपी का दिल्ली में हिंदुत्व का बड़ा चेहरा हैं. इसके अलावा, वे ब्राह्मण समुदाय से भी आते हैं. उन्हें मंत्री बनाकर ब्राह्मणों को साधने की कोशिश की गई है.
विवादों में भी रहे कपिल मिश्रा
कपिल मिश्रा का विवादों से भी गहरा नाता रहा है. उन्होंने जनवरी 2020 में दिल्ली विधानसभा चुनाव की तुलना भारत बनाम पाकिस्तान मुकाबले से कर दिया था, जिस पर काफी विवाद हुआ था. उन्हें चुनाव आयोग ने आदर्श आचार संहिता और जन प्रतिनिधित्व अधिनियम के उल्लंघन के लिए कारण बताओ नोटिस भी जारी किया था.
इसके अलावा, 2020 में उत्तर पूर्वी दिल्ली में हुए दंगों में उनका नाम सामने आया था. उनके ऊपर डीसीपी वेद प्रकाश सूर्या की मौजूदगी में सीएए विरोधी प्रदर्शन कारियों को तीन दिन के अंदर जाफराबाद और चांदबाग इलाकों से हटाने के लिए पुलिस को धमकाने की कोशिश की थी. उन्होंने खुद अपने X अकाउंट पर पुलिस को धमकाने का वीडियो शेयर किया था. कहा जाता है कि इसके कुछ ही घंटों के भीतर दिल्ली में दंगे भड़क उठे थे. दंगों में मारे गए लोगों ने कपिल पर हिंसा भड़काने का आरोप लगाया था.