न सिर पर छत, न रहने का कोई ठिकाना... जंगपुरा में मद्रासी कैंप पर बुलडोजर एक्शन, रोते-बिलखते नजर आए निवासी
Jangpura Bulldozer Action: बारापुला नाले को बुलडोजर चलाकर अतिक्रमण हटा दिया गया है.लडोजर एक्शन ने सालों से रह रहे गरीब परिवार के घरों को एक पल में उजाड़ दिया है. जिससे वह बेसहारा हो गए हैं. न सिर पर छत है और न रहने का कोई ठिकाना.

Jangpura Bulldozer Action: दिल्ली के जंगपुरा इलाके में प्रशासन की ओर से बुलडोजर कार्रवाई की गई. इस अभियान के तहत मद्रासी कैंप में अवैध निर्माण पर बुलडोजर चलाया गया. लंबे समय ये यहां लोग अवैध निर्माण करके कर रहे थे, पूरे क्षेत्र में अतिक्रमण की स्थिति पैदा हो गई है. इस पर दिल्ली हाई कोर्ट ने आदेश दिया और दिल्ली सरकार ने एक्शन लेना शुरू कर दिया है.
बारापुला नाले को बुलडोजर चलाकर अतिक्रमण हटा दिया गया है. बरसात में जलभराव की समस्या से निपटने के लिए यह कार्रवाई की गई, लेकिन इसने गरीब लोगों का बसा-बसाया घर उजाड़ दिया. छोटे-छोटे बच्चे, महिलाएं समेत पूरा परिवार बेघर हो गया है. इस भीषण गर्मी में वह कहां राहत पाने जाएं यह एक बड़ा सवाल है.
लोगों की आंखों में आंसू
बुलडोजर एक्शन ने सालों से रह रहे गरीब परिवार के घरों को एक पल में उजाड़ दिया है. जिससे वह बेसहारा हो गए हैं. न सिर पर छत है और न रहने का कोई ठिकाना. ऊपर से महंगाई की मार को वो पहले ही झेल रहे हैं. उनकी स्थिति बहुत दयनीय हो गई है, सोशल मीडिया रोते-बिलखते उनके वीडियो सामने आ रहे हैं.
मद्रासी इलाके में करीब 370 झुग्गी-झोपड़ियां तोड़ी गई हैं. यहां 60 साल से लोग रहकर अपना जीवन काट रहे थे. एक पल में उनसे उनका घर छिन लिया गया. हालांकि 370 में से 189 झुग्गियों में रहने वाले लोगों को दिल्ली स्लम और झुग्गी ढोपड़ी पुनर्वास और पुनर्स्थापना नीति 2015 के तहत कहीं और शिफ्ट किया जाएगा. इन्हें नरेला में फ्लैट भी आवंटित किए गए हैं.
फ्लैट तक पहुंचने में की जाएगी मदद
इस संबंध में शुक्रवार को अधिकारियों ने एक नोटिस जारी किया. जिसमें कहा गया कि शुक्रवार रात 11 बजे से बारापुला पुल पर ट्रक खड़े रहेंगे, जिसमें बैठकर निवासियों को आवंटित फ्लैट तक पहुंचाया जाएगा. बुलडोजर एक्शन के लिए 9 मई को हाई कोर्ट ने एक आदेश दिया था, जिसमें बारापुला नाले की सफाई और शहर के आसपास अतिक्रमण हटाने को कहा था, जिससे जलभराव की समस्या का समाधान किया जा सके. साथ ही अतिक्रमण हटाने की कार्रवाई व्यवस्थित तरीके से करने का आदेश दिया था.
अदालत ने कहा था कि इस इलाके को जाम से मुक्त कराने के लिए मद्रासी कैंप के निवासियों का पुनर्वास भी जरूरी है. कोई भी निवासी पुनर्वास के अधिकार से किसी और अधिकार का दावा नहीं कर सकता. क्योंकि यह सार्वजनिक भूमि है, जिस पर अतिक्रमण किया गया है.