DU का नया कोर्स 'नेगोसिएशन इंटीमेट रिलेशनशिप', Gen Z को सिखाए जाएंगे दोस्ती और ब्रेक अप संभालने के स्किल्स
Delhi University: दिल्ली विश्वविद्यालय 'नेगोसिएशन इंटीमेट रिलेशनशिप' कोर्स शुरू किया है, जो स्टूडेंट्स को रिश्तों की समझ बताएगा. कोर्स का उद्देश्य रिश्तों में खतरें, ब्रेकअप से मूव ऑन, भावनात्मक परेशानी को समझना, उससे बाहर निकलना है.

Delhi University: सोशल मीडिया के इस दौरान में ऑनलाइन डेटिंग, इश्क-मोहब्बत एक आम बात हो गई है. कई बार को इंटरनेट की दोस्ती प्यार के बाद शादी में बदल जाती है, लेकिन इसमें धोखा भी ज्यादा खाना पड़ता है. अब दिल्ली यूनिवर्सिटी ने स्टूडेंट्स के लिए एक ऐसा कोर्स शुरू किया है, जिसमें बच्चों को रिश्तों को पहचानने की ट्रेनिंग दी जाएगी.
दिल्ली विश्वविद्यालय ने 2025-26 सेशन के लिए 'नेगोसिएशन इंटीमेट रिलेशनशिप' कोर्स को जोड़ा है. यह मनोविज्ञान विभाग की ओर से शुरू किया गया है, जो कि डेटिंग ऐप्स और सोशल मीडिया के युग में दोस्ती की समझ में छात्रों की मदद करेगा.
क्या है नया कोर्स?
स्टूडेंट्स को 'नेगोसिएशन इंटीमेट रिलेशनशिप' कोर्स की मदद से ब्रेकअप होता है तो उससे बाहर कैसे निकला जाए, इसके बारे में भी बताया जाएगा. इस कोर्स को पढ़ने के लिए छात्रों को 12वीं कक्षा के बाद एक एक एंट्रेंस पास होना अनिवार्य होगा, तभी वह इसे पढ़ पाएंगे. इसमें किसी भी स्ट्रीम कोर्स के ग्रेजुएट स्टूडेंट्स हिस्सा ले सकते हैं.
कोर्स का उद्देश्य रिश्तों में खतरें, ब्रेकअप से मूव ऑन, भावनात्मक परेशानी को समझना, उससे बाहर निकलना है.
कोर्स में ये होंगे टॉपिक
जानकारी के अनुसार, कोर्स को चार यूनिट में बांटा जाएगा, जैसे- दोस्ती और नजदीकी संबंधों का मनोविज्ञान, प्रेम और कामुकता के सिद्धांत, रिश्तों में खतरे के संकेत और स्वस्थ और लंबे समय तक अच्छा रिश्ता रखना. हर कोर्स में एक सप्ताह में 3 लक्चर होंगे और एक ट्यूटोरियल भी होगी. जिसमें बच्चों को मूवी (टाइटैनिक) दिखाना, ग्रुप डिस्कशन, बहस, सोशल मीडिया मुद्दों के लिया जाएगा. साथ ही डेटिंग कल्चर पर भी डिस्कशन किया जाएगा.
कोर्स शुरू करने का उद्देश्य
वर्तमान समय में रिलेशनशिप दोस्ती-प्यार कुछ भी सच सा नहीं लगता है. धोखाधड़ी के मामले तेजी से बढ़ते जा रहे हैं. युवा इस जाल में फंसते जा रहे हैं और कई बार अंजाम बहुत बुरा होता है. डीयू का मानना है कि इस कोर्स से स्टूडेंट्स को काफी मदद होने वाली है. छात्रों में भावनात्मक जागरूकता और समझ को बढ़ाना है. यह सामाजिक रिश्तों के प्रति समझ को भी बढ़ाएगा. अब देखना यह होगा कि कोर्स का बच्चों पर क्या असर होता है. इसी साल से बच्चों को यह कोर्स पढ़ाना शुरू हो जाएगा.