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पति की हत्या, बॉयफ्रेंड के साथ प्लानिंग और... क्‍यों हत्‍यारिन हो रही हैं महिलाएं, एक्सपर्ट ने बताया क्रिमिनल माइंड का सच

इंदौर से मेरठ तक सामने आ रहे हत्याकांडों में एक पैटर्न दिखता है. बॉयफ्रेंड के साथ मिलकर पति की हत्या. क्या यह केवल इश्क का मामला है या दबी मानसिक पीड़ा का विस्फोट? साइकोलॉजिस्ट ने बातचीत में बताया कि ऐसी घटनाओं के पीछे सामाजिक दबाव, संवाद की कमी और साइकोपैथिक सोच की भूमिका हो सकती है.

पति की हत्या, बॉयफ्रेंड के साथ प्लानिंग और... क्‍यों हत्‍यारिन हो रही हैं महिलाएं, एक्सपर्ट ने बताया क्रिमिनल माइंड का सच
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नवनीत कुमार
Curated By: नवनीत कुमार

Updated on: 11 Jun 2025 5:31 PM IST

हनीमून मनाने मेघालय गए मध्यप्रदेश के इंदौर के रहने वाले राजा रघुवंशी की हत्या मामले में लगातार नए खुलासे हो रहे हैं. सोनम रघुवंशी ने अपने बॉयफ्रेंड राज कुशवाहा के साथ मिलकर शादी के कुछ दिनों बाद ही अपने पति की जान ले ली. हालांकि शुरुआत में मामल कुछ और लग रहा था क्‍योंकि राजा का शव तो मिल गया था लेकिन सोनम गायब थी. पर कुछ दिन बाद जब सोनम यूपी के गाजीपुर में मिली, उसके बाद वारदात की सारी परतें खुलती गईं.

अभी कुछ समय पहले भी मेरठ के सौरभ राजपूत की उसकी पत्‍नी मुस्‍कान द्वारा की गई जघन्‍य हत्‍या वारदात भी लोगों के जेहन में जरूर ताजा हो उठी होंगी. लेकन केवल सोनम या मुस्‍कान ही नहीं, पिछले कुछ समय से ऐसी तमाम खबरें सामने आ रही हैं जिनमें एक पत्‍नी ने प्रेमी के चक्‍कर में अपने पति को ठिकाने लगा दिया है.

अब इन घटनाओं को देखते हुए सवाल उठता है कि आखिर महिलाएं अपने बॉयफ्रेंड के चक्कर में पति की हत्या क्यों करवा रही हैं? उनकी मानसिक स्थिति क्या होती है? क्या सिर्फ एक शख्स के लिए वो इतने जघन्य अपराध को अंजाम देती हैं? इन बातों को लेकर इंडिया टुडे से बात करते हुए कंसल्टेंट क्लीनिकल साइकोलॉजिस्ट डॉ. नेहा अग्रवाल ने कहा कि इस तरह की घटनाएं मानसिक और दबाव की वजह से होती हैं.

सोच-समझकर भी किया जाता है क्राइम

सोनम रघुवंशी के केस पर बात करते हुए डॉक्‍टर नेहा कहती हैं, कि जरूरी नहीं कि हर अपराध का कारण मानसिक बीमारी ही हो. कई बार सिर्फ आपराधिक इरादा ही होता है. हालांकि साइकोलॉजी के अनुसार आरोपी के मानसिक स्थिति को समझने की कोशिश की जाती है कि क्या उसमें सहानुभूति की कमी है या अपराध सोच-समझकर किया गया है? सोनम के मामले में अभी यह जांच का विषय है.

पर्सनल फ्रीडम न मिलने पर भी कर सकती है क्राइम

उन्होंने बताया कि इन मामलों में अक्सर देखा गया है कि व्यक्ति खुलकर अपनी भावनाएं या इच्छाएं साझा नहीं कर पाते. समाज में संवाद का अभाव और व्यक्तिगत आज़ादी की कमी भी हिंसक निर्णयों की ओर धकेल सकती है. सोनम के मामले में भी ऐसी बातें सामने आ रही हैं कि उसे घर में बहुत ही ज्‍यादा नियंत्रण में रखा जाता था और यहां तक कि उसे बाहरी लोगों से बात करने की भी इजाजत नहीं थी. डॉ. नेहा का मानना है कि महिलाओं पर पारिवारिक और सामाजिक दबाव लंबे समय तक बना रहता है, खासकर लड़कियों पर. नियंत्रणकारी माहौल उनके मानसिक स्वास्थ्य को प्रभावित करता है, जो कभी-कभी हिंसक रूप में फूट सकता है.

हैप्पी फेस, डार्क माइंड

यदि कोई व्यक्ति सामाजिक रूप से सामान्य व्यवहार करता है, लेकिन अंदर ही अंदर एक पूर्व-नियोजित हत्या की योजना बनाता है, तो उसे 'कंपार्टमेंटलाइजेशन' कहा जाता है. सोनम के मामले में डॉ. नेहा स्पष्ट करती हैं कि हमें यह मानकर नहीं चलना चाहिए कि आरोपी महिला दोषी है, जब तक जांच पूरी न हो. लेकिन अगर वह सचमुच हत्या की योजना बना रही थी और बाहर से सामान्य दिख रही थी, तो यह गंभीर मनोवैज्ञानिक असंतुलन का संकेत है.

समर्थन की ज़रूरत

महिलाएं सोनम और मुस्‍कान जैसे घातक कदम ना उठाएं, इसके लिए किन बातों पर ध्‍यान देना जरूरी है, इस सवाल के जवाब में डॉक्‍टर नेहा कहती हैं, ''हमें महिलाओं के मानसिक स्वास्थ्य पर अधिक ध्यान देना होगा. कई महिलाएं बाहर से आत्मनिर्भर दिखती हैं, लेकिन अंदर से वे सामाजिक और मानसिक दबावों से जूझ रही होती हैं. परिवार और समाज को संवाद और समर्थन की भूमिका निभानी होगी. डॉ. नेहा कहती हैं कि इस विषय पर अब खुलकर बात होनी चाहिए. मानसिक स्वास्थ्य और अपराध के बीच की कड़ी को समझना ज़रूरी है. महिलाओं की आज़ादी और मानसिक स्थिति को समझना हमारी ज़िम्मेदारी है, ताकि अपराधों को रोका जा सके.

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