JNU में 'कुलपति' अब कहलाएंगे 'कुलगुरु'! यूनिवर्सिटी ने हिंदी में इस वजह से नाम बदलने का लिया फैसला
JNU News: कुलपति संतीश्री धुलिपुड़ी पंडित ने डिग्री प्रमाणपत्रों और अन्य शैक्षणिक दस्तावेजों पर हस्ताक्षर के लिए नए पदनाम को अपनाने का सुझाव दिया था. अब विश्वविद्यालय ने 'कुलपति' के पद का हिंदी में आधिकारिक नाम बदलकर 'कुलगुरु' करने का निर्णय लिया है.

JNU News: देश की सबसे टॉप यूनिवर्सिटी में से एक जवाहरलाल नेहरू विश्वविद्यालय (JNU) में पोस्ट के नाम बदलने को लेकर लंबे समय से चर्चा हो रही है. यूनिवर्सिटी के कुलपति यानी वाइस चांसलर का हिंदी में नाम 'कुलगुरु' रखने की बात कही जा रही थी. अब खबर सामने आई है कि इस पहल को अपना लिया गया है.
द इंडियन एक्सप्रेस की रिपोर्ट के मुताबिक, JNU ने हाल ही में विश्वविद्यालय ने 'कुलपति' के पद का हिंदी में आधिकारिक नाम बदलकर 'कुलगुरु' करने का निर्णय लिया है. यह कदम प्राचीन शैक्षिक परंपराओं के अनुरूप है.
JNU में बदले गए पदों के नाम
विश्वविद्यालय के सूत्रों ओर से बताया गया कि यह बदलाव इस वर्ष की शुरुआत में एक कार्यकारी परिषद की बैठक में प्रस्तावित किया गया था. कुलपति संतीश्री धुलिपुड़ी पंडित ने डिग्री प्रमाणपत्रों और अन्य शैक्षणिक दस्तावेजों पर हस्ताक्षर के लिए नए पदनाम को अपनाने का सुझाव दिया था.
इस बदलाव पर पंडित ने कहा, कुलगुरु कुलपति के लिए सबसे सही है. यह लिंग-निरपेक्ष है, संस्कृत में अधिक सटीक है और यह मेरी भूमिका को बेहतर तरीके से दर्शाता है.
क्यों लिया फैसला?
हाल ही में राजस्थान सरकार ने फरवरी 2025 में राजस्थान विश्वविद्यालयों के कानूनों (संशोधन) विधेयक, 2025 को प्रस्तुत किया था. इस विधेयक में कुलपति और प्रतिकुलपति के पदनामों को हिंदी में कुलगुरु और प्रतिकुलगुरु से बदलने का प्रस्ताव था. यह बदलाव भारतीय गुरु-शिष्य परंपरा के सम्मान में किया गया है, जो प्राचीन काल से अस्तित्व में है.
इससे विश्वविद्यालयों में शैक्षिक नेतृत्व की भूमिका को अधिक सुसंगत और सम्मानजनक रूप में प्रस्तुत किया गया है. इससे पहले मध्य प्रदेश सरकार ने जुलाई 2024 में एक समान प्रस्ताव पारित किया था, जिसमें विश्वविद्यालयों में कुलपति के पदनाम को कुलगुरु में बदलने का निर्णय लिया गया था. इसी दिशा में अब JNU नाम बदले का फैसला लिया.
किसने दिया था सुझाव?
कुलपति संतीश्री धुलिपुड़ी पंडित ने कहा था कि जब मैं JNU में आई थी को हर जगह 'He' शब्द का इस्तेमाल हो रहा था. मैंन उसे 'She' किया था. सभी दस्तावेजों में 'She' का इस्तेमाल किया जाता है. वे मेरी बात करते हैं और 'He' लिखते थे. इसलिए मैं कुलपति की जगह कुलगुरु करना चाहती हूं. यह विवाद कांग्रेस के अधीर रंजन चौधरी के राष्ट्रपति मुर्मू को 'राष्ट्रपत्नी' कहने के बाद उठा था. तभी से संवैधानिक पदों के लिए लैंगिक रूप और सही शब्दों के इस्तेमाल को लेकर बहस शुरू हो गई थी.