दिल्ली BMW हादसे में उठते सवाल, पास के अस्पताल की जगह नवजोत सिंह को 19 किमी दूर क्यों लेकर गए?
दिल्ली BMW हादसे में नवजोत सिंह को पास के अस्पताल की जगह 19 किमी दूर न्यूलाइफ अस्पताल ले जाया गया, जो आरोपी गगनप्रीत के परिवार से जुड़ा है. समय पर उपचार न मिलने के कारण उनकी मौत हुई. बेटे नवनूर ने कहा कि पास के अस्पताल ले जाते तो शायद पिता बच सकते थे. अस्पताल ने जानकारी छुपाई और नकली दस्तावेज बनाए. अब गगनप्रीत और उसके पति पर गैरइरादतन हत्या समेत कई धाराओं में मामला दर्ज है.

दिल्ली में हुए BMW हादसे ने न केवल सड़कों की लापरवाही को उजागर किया है, बल्कि उस जगह तक भी सवाल खड़े कर दिए हैं जहां घायल को ले जाया गया. केंद्रीय वित्त मंत्रालय के आर्थिक मामलों के विभाग में डिप्टी सेक्रेटरी रहे 52 वर्षीय नवजोत सिंह की सड़क दुर्घटना में मौत हो गई. वह और उनकी पत्नी संदीप कौर गुरुद्वारा बंगला साहिब से लौट रहे थे, तभी दिल्ली कैंट मेट्रो स्टेशन के पास एक तेज़ रफ्तार BMW ने उनकी दोपहिया गाड़ी को टक्कर मार दी.
BMW गाड़ी गगनप्रीत चला रही थी, जबकि उसके पति परिक्षित कार में मौजूद थे. हादसे के तुरंत बाद नवजोत और संदीप को पास के अस्पताल ले जाने के बजाय करीब 19 किलोमीटर दूर GTB नगर स्थित ‘न्यूलाइफ हॉस्पिटल’ ले जाया गया. यही वह मोड़ था जिसने पूरे मामले को संदेह के घेरे में डाल दिया.
आरोपी के पिता अस्पताल में पार्टनर
अब पुलिस की जांच में सामने आया है कि न्यूलाइफ अस्पताल गगनप्रीत के परिवार से जुड़ा है. उसके पिता अस्पताल के तीन साझेदारों में से एक हैं. यानी घायल को उस अस्पताल ले जाना कोई सामान्य फैसला नहीं था, बल्कि सीधे तौर पर हितों का टकराव प्रतीत हो रहा है.
'पास के अस्पताल ले जाते तो शायद मेरे पिता जिंदा होते'
हादसे के बाद नवजोत सिंह के बेटे नवनूर सिंह ने मीडिया से बातचीत में कहा कि यदि उनके पिता को नज़दीकी अस्पताल ले जाया जाता तो शायद उनकी जान बचाई जा सकती थी. “समय सबसे महत्वपूर्ण होता है. शायद पास के अस्पताल ले जाने पर वह ज़िंदा होते,” उन्होंने कहा. नवनोोर ने बताया कि हादसे की सूचना उन्हें एक परिवारिक मित्र ने दी थी. उन्होंने कहा, “मुझे लगा यह मामूली हादसा होगा क्योंकि मेरे पिता बेहद सावधानी से गाड़ी चलाते थे. लेकिन जब हम अस्पताल पहुंचे तो मुझे समझ नहीं आया कि दुर्घटना धौला कुआं के पास हुई थी, फिर हमें GTB नगर अस्पताल क्यों लाया गया.”
अस्पताल वालों ने नहीं बताया कि पीड़ित को कौन लाया
हॉस्पिटल में नवजोत के परिजनों को किसी ने नहीं बताया कि उन्हें कौन लेकर आया. नवनोोर ने बताया, “मैं बार-बार अस्पताल स्टाफ से पूछता रहा कि मेरे माता-पिता को कौन लाया. नर्स से लेकर डॉक्टर तक हर कोई यही कहता रहा कि वो बाहर बैठे हैं. लेकिन कोई नहीं मिला. बाद में पता चला कि मेरे पिता के बगल वाले बेड पर वही महिला मरीज भी भर्ती थी जो दुर्घटना में शामिल थी.”
डॉक्टर बना रहा था नकली पेपर
नवनोोर ने आगे बताया कि लगभग पांच घंटे बाद उन्हें एक डॉक्टर को नकली दस्तावेज बनाते देखा. “डॉक्टर एक मेडिको-लीगल सर्टिफिकेट में गगनप्रीत का नाम डाल रहा था. मैंने सवाल किया कि यह झूठा दस्तावेज़ क्यों बना रहे हो. तब जाकर मुझे पता चला कि वही महिला उसी अस्पताल में इलाज करवा रही थी,” उन्होंने कहा.
गगनप्रीत और परिक्षित गुरुग्राम में रहते हैं और चमड़ा उत्पादों का व्यवसाय करते हैं. फिलहाल दोनों के खिलाफ गैरइरादतन हत्या (culpable homicide not amounting to murder), सबूत नष्ट करने, झूठी सूचना देने और लापरवाह ड्राइविंग की धाराओं के तहत मामला दर्ज किया गया है.
सवालों के घेरे में अस्पताल की भूमिका
इस मामले में अस्पताल की भूमिका भी सवालों के घेरे में है. हालांकि न्यूलाइफ अस्पताल की निदेशक डॉ. शकुंतला कुमार ने कहा, “हमने सभी मेडिको-लीगल प्रोटोकॉल का पालन किया है. हमारे लिए हर मरीज महत्वपूर्ण है. जिन लोगों ने अपने प्रियजन खोए हैं, उन्हें हमारी गहरी संवेदनाएं।” लेकिन अस्पताल के मालिकाना हक़ को लेकर पूछे गए सवाल पर कोई जवाब नहीं मिला.
यह पूरा मामला प्रशासन, कानून और चिकित्सा नैतिकता की परीक्षा बन गया है. सड़क हादसे से लेकर उपचार तक की प्रक्रिया में हितों का टकराव, समय पर उपचार न मिलना, और झूठे दस्तावेज़ बनाने जैसी बातें गंभीर चिंता का विषय हैं. पुलिस जांच जारी है और अब यह देखना होगा कि दोषियों के खिलाफ क्या कार्रवाई होती है.