गोवा और गुजरात में दिल्ली वाली गलती करने जा रही AAP, अकेले चुनाव लड़ने से इंडिया गठबंधन पर उठे सवाल
आम आदमी पार्टी ने गोवा और गुजरात में 2027 का चुनाव अकेले लड़ने का फैसला किया है. आतिशी ने कहा कि गठबंधन की कोई योजना नहीं है. उन्होंने कांग्रेस पर हमला बोलते हुए कहा कि उसके कई विधायक भाजपा में शामिल हो गए. दिल्ली चुनाव में आप की हार और भाजपा की बड़ी जीत के बाद यह फैसला लिया गया.

आम आदमी पार्टी ने गोवा और गुजरात में 2027 का चुनाव अकेले लड़ने का फैसला किया है. पार्टी की वरिष्ठ नेता आतिशी ने साफ किया कि आप किसी भी पार्टी के साथ गठबंधन नहीं करेगी. यह बयान तब आया जब दिल्ली विधानसभा चुनाव में आप की करारी हार के बाद पार्टी अपनी रणनीति दोबारा तैयार कर रही है.
गोवा दौरे के दौरान, आतिशी ने कांग्रेस पर तीखा हमला बोला. उन्होंने कहा कि 2022 में कांग्रेस ने 11 सीटें जीती थीं, लेकिन 8 विधायक भाजपा में शामिल हो गए. इससे कांग्रेस की कमजोरी उजागर होती है. वर्तमान में कांग्रेस के पास सिर्फ तीन विधायक हैं, जबकि आप के पास दो विधायक हैं, जो पार्टी के प्रति वफादार बने हुए हैं.
आप विधायक हैं वफादार
आतिशी ने कहा कि जब आप के दो विधायक 2022 में जीते थे, तो कई लोगों ने दावा किया था कि वे जल्द ही पार्टी छोड़ देंगे. लेकिन उन्होंने वफादारी दिखाई और राजनीति को पैसे का जरिया नहीं बनाया. इससे साफ होता है कि आप की राजनीति सिद्धांतों पर आधारित है, जबकि अन्य पार्टियों के विधायक स्वार्थ के लिए दल बदलते हैं.
गठबंधन नहीं करने से होगा नुकसान
दिल्ली विधानसभा चुनाव में आप और कांग्रेस ने गठबंधन नहीं किया, जिससे भाजपा को बड़ी जीत मिली. आप ने अकेले चुनाव लड़ा लेकिन उसे सिर्फ 22 सीटें मिलीं, जबकि भाजपा ने 48 सीटें जीतकर बहुमत हासिल कर लिया. कांग्रेस का खाता तक नहीं खुला. राजनीतिक विश्लेषकों का मानना है कि अगर आप और कांग्रेस साथ होतीं, तो भाजपा को कड़ी टक्कर मिल सकती थी. लेकिन दोनों पार्टी ने एकसाथ चुनाव नहीं लड़ा जिसका नतीजा ये रहा कि आम आदमी पार्टी को हार मिली और कांग्रेस का खाता है खुला.
इंडिया गठबंधन पर उठे सवाल
लोकसभा चुनाव में भी आप और कांग्रेस ने साथ मिलकर चुनाव लड़ा, लेकिन भाजपा ने दिल्ली की सभी सात सीटें जीत लीं. इससे साफ है कि विपक्ष को मजबूत रणनीति बनाने की जरूरत है. हालांकि, आप ने अब गोवा और गुजरात में स्वतंत्र रूप से चुनाव लड़ने का मन बना लिया है, जिससे आने वाले चुनावों में विपक्षी एकता पर बड़ा सवाल खड़ा हो गया है. इसे लेकर इंडिया गठबंधन की एकजुटता पर भी सवाल उठने लगे हैं.