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लव मैरिज की अनोखी सजा! दामाद के दरवाजे पर 500 लोगों ने डाला डेरा, बोले- पहले मुर्गा-बकरा की पार्टी दो

छत्तीसगढ़ के कांकेर जिले से एक हैरान करने वाला मामला सामने आया है. यहां एक दामाद के घर उसके ससुराल वालों ने डेरा डाल दिया है. वजह भी उतनी ही अनोखी है. दरअसल, दामाद ने लव मैरिज तो कर ली, लेकिन आदिवासी समाज की एक परंपरा पूरी नहीं की. अब ससुराल पक्ष के करीब 500 लोग दामाद के घर के बाहर बैठ गए हैं और ‘मुर्गा-बकरा-भात’ की परंपरा निभाने की मांग कर रहे हैं.

लव मैरिज की अनोखी सजा! दामाद के दरवाजे पर 500 लोगों ने डाला डेरा, बोले- पहले मुर्गा-बकरा की पार्टी दो
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( Image Source:  Sora_ AI )
सागर द्विवेदी
By: सागर द्विवेदी

Published on: 13 Oct 2025 11:12 PM

छत्तीसगढ़ के कांकेर जिले से एक हैरान करने वाला मामला सामने आया है. यहां एक दामाद के घर उसके ससुराल वालों ने डेरा डाल दिया है. वजह भी उतनी ही अनोखी है. दरअसल, दामाद ने लव मैरिज तो कर ली, लेकिन आदिवासी समाज की एक परंपरा पूरी नहीं की. अब ससुराल पक्ष के करीब 500 लोग दामाद के घर के बाहर बैठ गए हैं और ‘मुर्गा-बकरा-भात’ की परंपरा निभाने की मांग कर रहे हैं.

यह मामला कांकेर जिले के पखांजूर इलाके के ग्राम पंचायत विष्णुपुर पीवी का है. जहां परंपरा निभाने को लेकर दूल्हा-दुल्हन के परिवारों के बीच तनातनी बढ़ गई है. लड़की का परिवार दो लाख रुपये के सामान की डिमांड कर रहा है, जबकि दामाद का परिवार केवल 30 हजार रुपये तक देने को तैयार है.

लव मैरिज बना विवाद की वजह

विष्णुपुर गांव के प्रभाष विश्वास ने तीन साल पहले महाराष्ट्र के गढ़चिरौली जिले की रहने वाली आदिवासी युवती अलीशा पोटामी से कोर्ट मैरिज की थी. दोनों की मुलाकात उस समय हुई थी जब लड़की का परिवार धान की रोपाई के लिए विष्णुपुर गांव आया था. वहीं से प्रेम कहानी शुरू हुई और दोनों ने समाज की मर्यादा से हटकर शादी करने का फैसला किया. अब युवती के परिजन कह रहे हैं कि आदिवासी समाज में यह परंपरा है कि अगर कोई लड़की अपने समाज से बाहर शादी करती है, तो दामाद को पूरे समाज को “मुर्गा-बकरा-भात” खिलाकर दंड के रूप में यह रस्म निभानी पड़ती है.

परंपरा निभाने पहुंचे 500 लोग

लड़की के परिजन इस परंपरा को निभाने के लिए पूरे गांव से करीब 500 लोगों के साथ दामाद के घर पहुंचे हैं. इनमें महिलाएं, बच्चे और बुजुर्ग सभी शामिल हैं. वे राशन, बर्तन और बिस्तर के साथ पहुंचे हैं ताकि जब तक परंपरा पूरी न हो जाए, वहीं डेरा डालकर रह सकें. परिजनों का कहना है कि “हमें शादी से कोई आपत्ति नहीं, लेकिन समाज की परंपरा निभाना जरूरी है.”

ससुराल वालों की दो लाख की मांग, ससुर का जवाब – “30 हजार ही देंगे”

लड़की पक्ष ने परंपरा के नाम पर लगभग दो लाख रुपये की सामग्री मांगी है, जबकि लड़के पक्ष का कहना है कि वे केवल 30 हजार रुपये तक का सामान देने को तैयार हैं. इसी बात को लेकर दोनों परिवारों के बीच समझौता नहीं हो पा रहा है. बांदे थाना प्रभारी मनीष नेताम ने बताया कि, “गांव के सरपंच ने इस मामले की सूचना दी है, लेकिन अब तक किसी भी पक्ष ने औपचारिक शिकायत दर्ज नहीं कराई है.” फिलहाल पुलिस मामले पर नजर रखे हुए है ताकि किसी भी प्रकार की अप्रिय स्थिति उत्पन्न न हो.

समाज और परंपरा के बीच फंसे युवा

यह मामला इस बात की झलक देता है कि आधुनिक प्रेम विवाह और पारंपरिक सामाजिक रीतियों के बीच टकराव आज भी कई इलाकों में जारी है. प्रेमानंद और अलीशा की तरह कई जोड़े प्रेम से तो शादी कर लेते हैं, लेकिन समाज की पुरानी परंपराएं उनके लिए नई चुनौती बन जाती हैं.

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