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छत्तीसगढ़ में 411 करोड़ रुपये के घोटाले के पीछे का क्या है काला सच, जिसमें 5 अफसरों पर लटकी तलवार?

Chhattisgarh CGMSC Scam: CGMSC स्कैम की जांच बीते साल इकोनॉमिक ऑफेंस विंग यानी EOW को सौंप दी गई थी. इसके बाद से ही घोटाले से जुड़ी हर गुत्थी को सुलझाना शुरू कर दिया गया. इसमें रिएजेंट किट, दवा खरीदी में 750 करोड़ रुपये की धोखाधड़ी की गई. इस मामले में 5 अफसरों को गिरफ्तार किया है.

छत्तीसगढ़ में 411 करोड़ रुपये के घोटाले के पीछे का क्या है काला सच, जिसमें 5 अफसरों पर लटकी तलवार?
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( Image Source:  canava )
निशा श्रीवास्तव
Edited By: निशा श्रीवास्तव

Published on: 23 March 2025 11:23 AM

Chhattisgarh CGMSC Scam: छत्तीसगढ़ में मेडिकल सर्विसेज कॉर्पोरेशन (CGMSC) के घोटाले को लेकर बवाल मचा हुआ है. इसमें रिएजेंट किट, दवा खरीदी में 750 करोड़ रुपये की धोखाधड़ी की गई. घोटाले में कथित एंटी करप्शन ब्यूरो (ACB) और इकोनॉमिक ऑफेंस विंग (EOW) ने अफसरों को गिरफ्तार किया है.

CGMSC स्कैम 2020 से 2024 के बीच हुआ, जिसमें डिप्टी डायरेक्टर और जीएम समेत अन्य 5 अधिकारियों का नाम भी शामिल है. सभी आरोपियों को 28 मार्च तक EOW की रिमांड पर भेजा गया है. आरोप है कि इन लोगों ने रीएजेंट केमिकल और संबंधित मशीनों की खरीद से जुड़ा है. अब इस मामले की आगे की जांच की जा रही है.

5 अफसरों पर एक्शन

CGMSC स्कैम की जांच बीते साल इकोनॉमिक ऑफेंस विंग यानी EOW को सौंप दी गई थी. इसके बाद से ही घोटाले से जुड़ी हर गुत्थी को सुलझाना शुरू कर दिया गया. यह डील दुर्ग की मोक्षित कॉरपोरेशन से की गई थी. कंपनी के मालिक शशांक चोपड़ा को पहले ही अरेस्ट किया जा चुका है. अब CGMSC के जीएम बसंत कौशिक, कमलकांत पाटनवार, दीपक बांधे, खिरौद रतौरिया और स्वास्थ्य विभाग के डिप्टी डायरेक्टर डॉ. अनिल परसाई को भी गिरफ्तार किया गया है.

क्या है CGMSC स्कैम?

जानकारी के अनुसार, छत्तीसगढ़ मेडिकल सर्विसेज कॉर्पोरेशन में करोड़ों के रीएजेंट खरीदी में बड़ी गड़बड़ी की गई थी. अधिकारियों और कारोबारियों ने मिलीभगत करके सरकार को 411 करोड़ड रुपये का चूना लगाया था. सरकारी अधिकारियों ने सिर्फ 27 दिनों में 750 करोड़ रुपये के सामान खरीद लिए थे. 8 रुपये में आने वाला ट्यूब 2,352 रुपये और 5 लाख वाली सीबीएस मशीन 15 लाख में खरीदी गई थी. वहीं मेडिकल सर्विसेज कॉर्पोरेशन ने 300 करोड़ रुपये के रीएजेंट भी खरीदे थे.

कैसे हुआ खुलासा?

पिछले साल दिसंबर में प्रदेश के पूर्व गृहमंत्री ननकीराम कंवर ने पीएमओ, केंद्रीय गृहमंत्री कार्यालय, सीबीआई, ई़डी को लेटर लिखा था. जिसमें उन्होंने इस घोटाले को सामने लाने को कहा था. इसके बाद केंद्र सरकार ने ईओडब्ल्यू को मामले की जांच के निर्देश दिए थे. बाद में EOW की टीम ने 5 लोगों के खिलाफ केस दर्ज की थी. इस घोटाले में रोजाना नए-नए खुलासे हो रहे हैं. सरकार ने आरोपियों के खिलाफ सख्त से सख्त कार्रवाई करने का फैसला लिया है.

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