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अस्पताल ने पोस्टर लगाकर बताया 'बच्चे की मां HIV पॉजिटिव', हाईकोर्ट ने फटकार लगाते हुए चीफ सेकेट्ररी से मांगा शपथपत्र

रायपुर के एक अस्पताल में एक गंभीर लापरवाही सामने आई है, जब अस्पताल ने पोस्टर लगाकर बताया कि नवजात शिशु की मां HIV पॉजिटिव है. इस अमानवीय और संवेदनशील कार्रवाई के बाद छत्तीसगढ़ हाईकोर्ट ने अस्पताल प्रशासन की कड़ी फटकार लगाई.

अस्पताल ने पोस्टर लगाकर बताया बच्चे की मां HIV पॉजिटिव, हाईकोर्ट ने फटकार लगाते हुए चीफ सेकेट्ररी से मांगा शपथपत्र
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( Image Source:  AI Perplexity )
हेमा पंत
Edited By: हेमा पंत

Updated on: 12 Oct 2025 4:05 PM IST

रायपुर से एक ऐसी खबर सामने आई है, जिसने मरीजों की प्राइवेसी पर फिर से सवाल खड़ा कर दिया है. दरसल डॉ. भीमराव अंबेडकर अस्पताल में एक नवजात बच्चे की मां को एचआईवी था, जिसके बारे में मैनेजमेंट ने बकायदा पोस्टर लगाया, जिसमें लिखा था 'बच्चे की मां HIV पॉजिटिव'.

इस घटना के बाद छत्तीसगढ़ हाईकोर्ट ने अस्पताल प्रशासन की सख्त आलोचना की और कहा कि यह मरीजों के निजता के अधिकार का साफ उल्लंघन है. अदालत ने इसे अमानवीय और असंवेदनशील कृत्य करार दिया और राज्य के मुख्य सचिव से व्यक्तिगत शपथपत्र पेश करने के लिए कहा है, ताकि यह साफ हो सके कि मरीजों की गोपनीयता को कैसे सुरक्षित रखा जा रहा है.

पोस्टर लगाकर दी जानकारी

मामला तब सामने आया जब अस्पताल में एक नवजात बच्चे का इलाज चल रहा था और उसकी मां की एचआईवी कंडीशन को बड़े पोस्टर पर साफ-साफ लिखकर चिपकाया गया. जहां पोस्टर में लिखा था 'बच्चे की मां एचआईवी पॉजिटिव है.' यह देखकर बच्चे के पिता बहुत परेशान और इमोशनल हो गए. इस मामले को लेकर बच्चे के पिता ने हाईकोर्ट में याचिका दायर की और अस्पताल की लापरवाही के खिलाफ शिकायत दर्ज कराई. याचिकाकर्ता ने अदालत में बताया कि इस घटना ने उनके परिवार की निजता को गंभीर रूप से भंग किया और उन्हें समाज में अपमान और कलंक का सामना करना पड़ा.

हाईकोर्ट की कड़ी प्रतिक्रिया

सुनवाई के दौरान छत्तीसगढ़ हाईकोर्ट की डिवीजन बेंच ने अस्पताल की कार्यप्रणाली पर कड़ा ऐतराज जताया. अदालत ने कहा कि यह घटना सिर्फ मरीजों की निजता और गरिमा के अधिकार का उल्लंघन नहीं है, बल्कि यह एक अमानवीय और असंवेदनशील कृत्य भी है.

मुख्य सचिव से मांगा शपथपत्र

अदालत ने राज्य के मुख्य सचिव को निर्देश दिया कि वे शपथपत्र के जरिए साफ करें कि राज्य के अस्पतालों में मरीजों की गोपनीयता बनाए रखने के लिए कौन-कौन सी व्यवस्थाएं हैं. साथ ही अदालत ने यह भी पूछा कि ऐसी घटनाओं को दोबारा होने से रोकने के लिए क्या कदम उठाए जा रहे हैं और उन पर कैसे अमल किया जा रहा है.

प्रशासन को फटकार

कोर्ट ने अस्पताल प्रशासन को कड़ा संदेश दिया कि इस तरह की लापरवाही दोबारा बिल्कुल न हो. इसके साथ ही अदालत ने आदेश की कॉपी मुख्य सचिव को भेजने के निर्देश दिए, ताकि राज्य स्तर पर जरूरी सुधार किए जा सकें और मरीजों की गोपनीयता सुनिश्चित हो. अदालत ने मामले की अगली सुनवाई 15 अक्टूबर को तय की है. इस दिन मुख्य सचिव अपना शपथपत्र प्रस्तुत करेंगे और बताएंगे कि मरीजों की निजता बनाए रखने के लिए कौन-कौन से कदम उठाए जा रहे हैं.

सीख और भविष्य की दिशा

राज्य सरकार ने इस मामले पर अभी तक कोई आधिकारिक बयान नहीं दिया है, लेकिन हाईकोर्ट की सख्ती से सुधार की उम्मीद जताई जा रही है. यह मामला अन्य अस्पतालों के लिए भी सबक है कि मरीजों की व्यक्तिगत और संवेदनशील जानकारी को कैसे सुरक्षित रखा जाए और किसी भी तरह से सार्वजनिक नहीं किया जाना चाहिए.

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