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नक्सलियों के खौफ से शहीद जवान को अपनों ने ही ठुकराया! अपने गांव में अंतिम संस्कार भी नहीं हुआ नसीब

बीजापुर में नक्सली हमले थमने का नाम नहीं ले रहे हैं. हाल ही में बीजापुर में नक्सलियों के हमले में 8 जवानों की मौत हो गई है. गांव में नक्सलियों का खौफ इस कदर है कि जवान को गांव में अंतिम संस्कार के लिए भी जगह नहीं मिली. इसके बाद शहीद का किसी दूसरे गांव में दाह संस्कार किया गया.

नक्सलियों के खौफ से शहीद जवान को अपनों ने ही ठुकराया! अपने गांव में अंतिम संस्कार भी नहीं हुआ नसीब
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( Image Source:  ANI )
हेमा पंत
Edited By: हेमा पंत

Updated on: 8 Jan 2025 3:55 PM IST

भले ही छत्तीसगढ़ में नक्सलियों के खिलाफ सख्ती से कार्रवाई की जा रही है, लेकिन आज भी आम लोगों में नक्सलियों का डर कम नहीं हुआ है. इसका अंदाजा इस बात से लगाया जा सकता है कि बीजापुर हमले में जान गंवाने वाले एक जवान का अपने ही गांव में अंतिम संस्कार नहीं होने दिया गया.

ऐसे में नेशनल हाईवे के किनारे बसे एक गांव में उसका दाह संस्कार किया गया. 6 जनवरी के दिन बीजापुर में नक्सलियों ने हमला किया, जिसमें 8 जवान के अलावा एक ड्राइवर की मौत हो गई. इन शहीद हुए जवानों में कुछ पहले नक्सली भी रह चुके हैं.

नक्सली बने जवान

इन 8 जवानों में से एक बुधराम भी है, जिन्हें अंतिम संस्कार के लिए उनके गांव में जगह नहीं मिली. दरअसल बुधराम के गांव में आज भी नक्सलियों की दहशत खत्म नहीं हुई है. दरअसल बुधराम ने सरेंडर कर लिया था, जिसके बाद से ही वह इन लोगों के टारगेट पर बना हुआ था. इस पर गांव वालों का कहना है कि अगर वह शहीद का अतिंम संस्कार करते, तो नक्सली लोग उन्हें परेशान करना शुरू कर देते . इसके कारण गांव में जवान का पार्थिव शरीर नहीं लाया गया.

बुधराम ने किया था सरेंडर

शहीद जवान बुधराम बडे तुंगाली गांव का रहने वाला था. जहां लगभग 8 साल पहले उन्होंने सरेंडर किया और बाद में पुलिस महकमे में भर्ती हो गए.जहां परिवार को पालने की जिम्मेदारी बुधराम की थी. जिन नक्सलियों ने सरेंडर किया था, उनकी जान को खतरा है.

गांव के लोगों में है खौफ

नक्सली इन लोगों के परिवार को भी परेशान करते हैं. जहां सरेंडर करने के बाद कई लोगों ने डीआरजी टीम में हिस्सा लिया, जिसके चलते वह नक्सलियों के निशाने पर हैं. अगर ऐसे में वह कभी गांव चले गए तो नक्सली उनकी हत्या कर देते हैं.

नहीं भूलेंगे शहादत

जवानों की मौत के बात उनके साथियों ने कहा कि वह इस शहादत को भूलेंगे नहीं और अब वह इस बात का बदला जरूर लेंगे. वहीं, गांव के लोगों ने कहा कि बुधराम पर उन्हें गर्व है. जहां वह नक्सलियों के साथ रहते वक्त पुलिस के हाथों मारा जाता. इससे अच्छा तो यही हुआ कि उसने सरेंडर कर अपने आप को देश की सेवा में लगा दिया.


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