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नीतीश कुमार नहीं होंगे मुख्यमंत्री तो क्‍या खत्म हो जाएगी JDU? हैलो हाय पर सियासत धुआंधार

हाल ही में नीतीश कुमार का एक वीडियो वायरल हुआ, जिसमें उन पर राष्ट्रगान के अपमान का आरोप लगाया जा रहा है. इस वीडियो के बाद विपक्ष ने तीखा हमला बोलते हुए कहा कि अगर नीतीश कुमार की तबीयत ठीक नहीं है, तो उन्हें इलाज कराना चाहिए और मुख्यमंत्री पद छोड़ देना चाहिए.विपक्ष ने यह भी सवाल उठाया कि अगर मुख्यमंत्री खुद कमजोर हैं, तो बिहार के करोड़ों लोगों का भविष्य सुरक्षित कैसे रहेगा?

नीतीश कुमार नहीं होंगे मुख्यमंत्री तो क्‍या खत्म हो जाएगी JDU? हैलो हाय पर सियासत धुआंधार
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सागर द्विवेदी
Edited By: सागर द्विवेदी

Updated on: 22 March 2025 12:17 AM IST

बिहार की राजनीति में मुख्यमंत्री नीतीश कुमार की भूमिका को लेकर चर्चाओं का दौर तेज है. क्या उनके बिना जनता दल यूनाइटेड (JDU) का अस्तित्व खतरे में पड़ जाएगा? यह सवाल इसलिए भी अहम हो गया है क्योंकि हाल ही में उनका एक वीडियो वायरल हुआ, जिसमें उन पर राष्ट्रगान के अपमान का आरोप लगाया जा रहा है. इस वीडियो के बाद विपक्ष ने तीखा हमला बोलते हुए कहा कि अगर नीतीश कुमार की तबीयत ठीक नहीं है, तो उन्हें इलाज कराना चाहिए और मुख्यमंत्री पद छोड़ देना चाहिए. विपक्ष ने यह भी सवाल उठाया कि अगर मुख्यमंत्री खुद कमजोर हैं, तो बिहार के करोड़ों लोगों का भविष्य सुरक्षित कैसे रहेगा?

राष्ट्रगान विवाद और विपक्ष का वार

वायरल वीडियो के बाद बिहार की राजनीति में जबरदस्त उथल-पुथल मच गई है. विपक्ष लगातार इस मुद्दे को तूल दे रहा है और नीतीश कुमार के स्वास्थ्य को लेकर सवाल खड़े कर रहा है. वहीं, JDU की ओर से सफाई दी गई कि मुख्यमंत्री की तबीयत ठीक नहीं थी, इसलिए वे राष्ट्रगान के दौरान खड़े नहीं हो पाए. लेकिन इस सफाई से विपक्ष संतुष्ट नहीं दिख रहा और नीतीश के इस्तीफे की मांग तेज हो गई है.

आगामी चुनाव और JDU का संकट

बिहार में इस साल विधानसभा चुनाव होने हैं, जिसे लेकर राजनीतिक हलचल तेज हो चुकी है. JDU और RJD के बीच पहले से ही तकरार जारी है, वहीं भाजपा भी अपने पत्ते खेलने में जुटी है. ऐसे में सवाल उठ रहा है कि क्या नीतीश कुमार के बिना JDU अपना वजूद बचा पाएगी? दरअसल, नीतीश कुमार ही पार्टी का इकलौता बड़ा चेहरा हैं, जिनके बिना JDU कमजोर हो सकती है.

नीतीश कुमार को बिहार की राजनीति में 'पलटूराम' कहा जाता है, क्योंकि उन्होंने समय-समय पर गठबंधन बदलकर अपनी सरकार बनाए रखी है. चाहे वह RJD के साथ रहे हों या भाजपा के साथ, सत्ता की कुर्सी पर वही बने रहे. हर बार खेल होता है, लेकिन मुख्यमंत्री का चेहरा नहीं बदलता. अगर नीतीश कुमार JDU से अलग होते हैं या राजनीति से संन्यास लेते हैं, तो पार्टी में टूट का खतरा बढ़ जाएगा! पार्टी के पास कोई दूसरा ऐसा बड़ा चेहरा नहीं है, जो पूरे बिहार में मजबूत पकड़ बना सके. यही वजह है कि JDU का भविष्य पूरी तरह नीतीश कुमार पर टिका हुआ नजर आता है.

क्या नीतीश के बगैर JDU में टूट का भय!

नीतीश कुमार के बिना JDU का भविष्य अनिश्चित नजर आता है. अगर वे मुख्यमंत्री पद से हटते हैं, तो पार्टी को गंभीर राजनीतिक संकट का सामना करना पड़ सकता है. वहीं, विपक्ष इस मौके को भुनाने में कोई कसर नहीं छोड़ रहा. आने वाले दिनों में यह देखना दिलचस्प होगा कि नीतीश कुमार अपनी रणनीति में क्या बदलाव करते हैं और JDU का भविष्य किस दिशा में जाता है. क्या JDU कोई नया चेहरा सामने लाएगी या फिर नीतीश ही बिहार की राजनीति के केंद्र में बने रहेंगे? यह सियासी लड़ाई अभी और तेज होने वाली है.

JDU का भविष्य: नीतीश के बिना अधूरा?

नीतीश कुमार पिछले दो दशकों से बिहार की राजनीति का प्रमुख चेहरा रहे हैं. उनके नेतृत्व में JDU ने कई उतार-चढ़ाव देखे, लेकिन पार्टी को उन्होंने मुख्यधारा में बनाए रखा. हालांकि, अब सवाल यह है कि यदि नीतीश कुमार मुख्यमंत्री पद से हटते हैं या सक्रिय राजनीति से दूरी बनाते हैं, तो क्या JDU अपनी पहचान और प्रभाव बनाए रख पाएगी? विशेषज्ञों का मानना है कि JDU पूरी तरह से नीतीश कुमार पर निर्भर है. पार्टी के पास कोई दूसरा ऐसा कद्दावर नेता नहीं है, जो पूरे बिहार में उनकी तरह जनाधार खड़ा कर सके. यही वजह है कि जब भी नीतीश कुमार के राजनीतिक संन्यास की चर्चा होती है, तब JDU के भविष्य को लेकर अटकलें तेज हो जाती हैं.

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