क्या होते हैं नागरिक सुरक्षा जिले, बिहार में गया और मुंगेर को क्यों मिला ये दर्जा? जानें कैसे काम करता है
बिहार सरकार ने गया और मुंगेर को नागरिक सुरक्षा जिले घोषित किया है. यह दर्जा किसी जिले को तब दिया जाता है जब वह प्राकृतिक आपदा, सामरिक संवेदनशीलता, या बड़े पैमाने पर सुरक्षा संसाधनों की जरूरत वाले क्षेत्रों में आता हो. जानें नागरिक सुरक्षा जिला क्या होता है, क्यों बनाया जाता है और बिहार के इन दो जिलों को यह दर्जा क्यों मिला?
बिहार में गया और मुंगेर को ‘नागरिक सुरक्षा जिला’ का विशेष दर्जा दिया गया है. यह फैसला राज्य सरकार ने उन क्षेत्रों में सुरक्षा और आपदा प्रबंधन क्षमताओं को मजबूत करने के उद्देश्य से लिया है, जहां रणनीतिक संवेदनशीलता और जनता की सुरक्षा से जुड़े जोखिम अधिक होते हैं. ऐसे जिलों को अतिरिक्त संसाधन, फोर्स, कंट्रोल रूम और उच्च स्तरीय समन्वय मिलता है. यह कदम प्रशासनिक और सुरक्षा ढांचे में बड़ा बदलाव माना जा रहा है.नागरिक सुरक्षा कोर के लिए इससे पहले स्वीकृत 28 जिलों के अतिरिक्त गया जी एवं मुंगेर जिला को भी नागरिक सुरक्षा जिला घोषित किया गया है.
क्या होते हैं नागरिक सुरक्षा जिले?
नागरिक सुरक्षा जिला (Civil Defence District) वह विशेष प्रशासनिक श्रेणी है जिसे केंद्र या राज्य सरकार निम्न आवश्यकताओं को देखते हुए निर्धारित करती है. यह दर्जा उन जिलों को दी जाती है जहां आपदा प्रबंधन क्षमता बढ़ाने की जरूरत होती है. भीड़भाड़ वाले या उच्च जोखिम वाले क्षेत्र, जहां बड़े पैमाने पर जनहानि की संभावनाएं रहती हों. सामरिक या सुरक्षा दृष्टि से संवेदनशील क्षेत्र हों.
बम निरोधक दल, SDRF, फायर सर्विस, मेडिकल रिस्पॉन्स जैसी इकाइयों की त्वरित तैनाती की आवश्यकता हो. ऐसे जिलों में नागरिक सुरक्षा संगठन को मजबूत किया जाता है और एक विशेष Civil Defence Control Room स्थापित होता है जो पुलिस व आपदा प्रबंधन विभागों के साथ समन्वय करता है.
गया और मुंगेर को यह दर्जा क्यों?
रणनीतिक और संवेदनशील क्षेत्र
गया नक्सल गतिविधियों से प्रभावित जिलों में से एक रहा है. बोधगया जैसे अंतरराष्ट्रीय धार्मिक स्थल की सुरक्षा राष्ट्रीय प्राथमिकता है. पर्यटकों की भीड़ होने से आपातकालीन प्रतिक्रिया व्यवस्था मजबूत रखना आवश्यक है. मुंगेर जिला हथियार तस्करी और संवेदनशील बेल्ट है. मुंगेर देश में अवैध हथियारों की तस्करी के प्रमुख केंद्रों में गिना जाता है. गंगा नदी क्षेत्र, पहाड़ी इलाकों और कठिन पहुंच वाले गांवों के कारण सुरक्षा चुनौतियां अधिक. कई बार राज्य व केंद्र एजेंसियों को संयुक्त अभियान चलाने की आवश्यकता पड़ती है.
बेहतर आपदा प्रबंधन की जरूरत
दोनों जिलों में बाढ़, जमीन धंसान और भीड़-प्रबंधन जैसी स्थिति अक्सर बनती है, जिसके लिए विशेषज्ञ टीमों की आवश्यकता रहती है. केंद्र और राज्य एजेंसियों के बेहतर समन्वय के लिए. नागरिक सुरक्षा जिला बनने से त्वरित फोर्स तैनाती भी अब संभव हो पाएगा. जरूरत पड़ने पर बड़े ऑपरेशन में कमांड सिस्टम डेवलप करने के लिए. मॉडर्न कम्युनिकेशन सेटअप और मजबूत हो जाता है. नागरिक सुरक्षा जिला बनने से क्या बदलता है? विशेष फंडिंग और उपकरण, डिजास्टर रिस्पॉन्स टीम की स्थायी तैनाती, कंट्रोल रूम और वार रूम की स्थापना, पुलिस-प्रशासन-अपराध शाखाओं के बीच तेज समन्वय और इमरजेंसी के लिए तेज प्रतिक्रिया तंत्र विकसित करना भी शामिल है.
14 नए पद होंगे सृजित
नागरिक सुरक्षा जिले घोषित होने का सबसे बड़ा फायदा यह होगा कि दोनों जिलों में नागरिक सुरक्षा जिला इकाइयों के लिए कुल 14 पद सृजित किए जाएंगे. नागरिक सुरक्षा कोर के लिए पूर्व से 28 जिलों को इससे पहले स्वीकृति मिली हुई है.





