बिहार में 6 विधायकों का लीडर तक नहीं चुन पाई कांग्रेस, हाईकमान के पास भेजा मामला
बिहार विधानसभा चुनाव 2025 में कांग्रेस को करारी शिकस्त मिली है. 2020 में पार्टी के पास 19 विधायक थे, जो इस बार घटकर महज 6 रह गए. इतनी बुरी हार के बावजूद सबसे हैरान करने वाली बात यह है कि एक महीने से ज्यादा समय बीत जाने पर भी कांग्रेस इन छह विधायकों में से अपने विधायक दल का नेता (CLP Leader) नहीं चुन पाई है.
बिहार विधानसभा चुनाव में कांग्रेस पार्टी को बहुत बड़ा झटका लगा है. 2020 में पार्टी के पास 19 विधायक थे, लेकिन 2025 के चुनाव में ये संख्या घटकर सिर्फ 6 रह गई. यानी पार्टी की सीटें एक-तिहाई से भी कम हो गईं. अब सबसे हैरान करने वाली बात यह है कि इतनी बुरी हार के लगभग एक महीना बीत जाने के बाद भी कांग्रेस इन 6 विधायकों में से अपने विधायक दल का नेता (Leader of Congress Legislature Party) तक नहीं चुन पाई है. सिर्फ 6 लोग हैं, फिर भी कोई एक नाम पर सहमति नहीं बन पा रही.
दरअसल पार्टी के अंदर गहरी गुटबाजी चल रही है. अलग-अलग गुट अपने-अपने पसंदीदा नेता को आगे करना चाहते हैं, इसलिए मामला अटका हुआ है. आखिरकार बिहार कांग्रेस ने हार मान ली और फैसला दिल्ली स्थित पार्टी हाईकमान के पास भेज दिया है. अब राहुल गांधी, सोनिया गांधी और मल्लिकार्जुन खरगे जैसे बड़े नेता तय करेंगे कि बिहार के इन 6 विधायकों का नेता कौन बनेगा.
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सुलझ जाएगा ये मामला
कांग्रेस के प्रदेश प्रवक्ता राजेश राठौड़ ने बुधवार को कहा, 'हाईकमान इस पर विचार कर रहा है. बजट सत्र शुरू होने से पहले यह मामला जरूर सुलझ जाएगा.' पार्टी के एक वरिष्ठ नेता ने नाम नहीं बताते हुए कहा, 'जब आपके पास 50-60 विधायक होते हैं या आप सरकार बना रहे होते हैं, तब तो नेता चुनने में जल्दी होती है. लेकिन जब सिर्फ 6 विधायक बचें हों, तब भी नेता न चुन पाना यह साफ बता रहा है कि पार्टी के अंदर एकता नाम की कोई चीज नहीं बची है.' अब सबसे बड़ी चुनौती यही है कि इन 6 विधायकों को भी एकजुट रखा जाए, वरना आगे चलकर कोई विधायक टूटकर दूसरी पार्टी में भी चला जाए तो हैरानी नहीं होगी. कुल मिलाकर बिहार में कांग्रेस की हालत यह हो गई है कि 6 लोगों का छोटा-सा ग्रुप चलाना भी मुश्किल हो रहा है. यह पार्टी के लिए बहुत शर्मनाक और चिंताजनक स्थिति है.
बिहार कांग्रेस में गुटबाजी के मुख्य कारण और उसकी मौजूदा स्थिति
बिहार कांग्रेस लंबे समय से 4-5 बड़े गुटों में बंटी हुई है. 2025 के विधानसभा चुनाव के बाद सिर्फ 6 विधायक बचे हैं, लेकिन ये 6 विधायक भी अलग-अलग गुटों से आते हैं, इसलिए अभी तक कोई एक व्यक्ति विधायक दल का नेता बनने में सबकी सहमति नहीं जुटा पाया। गुटबाजी की पूरी तस्वीर इस प्रकार है- डॉ. सदानंद सिंह + शकील अहमद खान गुट बिहार कांग्रेस के सबसे पुराने और अभी भी प्रभावी गुटों में से एक. सदानंद सिंह अब सक्रिय राजनीति में नहीं हैं, लेकिन उनका बेटा शुचिस्मित शेखर (विक्रमशिला से विधायक) अभी भी इस गुट का प्रतिनिधित्व करता है. इस गुट की पहली पसंद शुचिस्मित शेखर या उनके करीबी कोई व्यक्ति. डॉ. अशोक राम गुट दलित नेता, बिहार प्रदेश कांग्रेस के पूर्व अध्यक्ष रह चुके हैं. खुद बोआंपल्ली से विधायक चुने गए हैं. इस गुट का दावा है कि दलित चेहरा होने के कारण विधायक दल का नेता उन्हें बनना चाहिए. अशोक राम खुद आगे आना चाहते हैं, लेकिन दूसरे गुट इसका विरोध कर रहे हैं.





