बीजेपी के लिए बिहार चुनाव 2025 में जीत जरूरी क्यों? हारे तो थम न जाए NDA के रथ का पहिया...
बिहार विधानसभा चुनाव 2025 बीजेपी के लिए सिर्फ एक राज्य की लड़ाई नहीं बल्कि 2029 की तैयारी का सेमीफाइनल है. नीतीश कुमार की पलटू राम वाली राजनीति, तेजस्वी यादव की जमीनी पकड़ और जातीय गणित के बीच बीजेपी के लिए यह चुनाव साख, सत्ता और संघर्ष तीनों का इम्तिहान है. अगर बीजेपी बिहार चुनाव 2025 जीतती तो यह देश के राजनीतिक भविष्य को आकार देने में अहम भूमिका निभाएगा. वहीं, हार मिली तो विपक्षी दल इसे अपने पक्ष में नैरेटिव गढ़ने में कोई कमी नहीं छोड़ेंगे.

इंडिया में 28 राज्य और 8 केंद्र शासित प्रदेश हैं. इनमें बिहार एक ऐसा राज्य है, जहां के लोगों की सियासी समझ को बेहतर माना जाता है. इसलिए, जब भी लोकसभा चुनाव के करीब डेढ़ साल बाद बिहार का चुनाव होता है, तो उसके चुनाव परिणाम को केंद्र सरकार के भविष्य का संकेत माना जाता है. यही वजह है कि आज जब केंद्र में NDA मजबूत है और विपक्ष खंडित, तब बिहार चुनाव 2025 बीजेपी के लिए अपनी "स्थानीय पकड़" साबित करने का अच्छा मौका है. साल 2024 में लोकसभा की जीत को अगर वो 2025 के बिहार में दोहराने में असफल होती है तो 2029 का नैरेटिव लड़खड़ा सकता है. यानी बीजेपी के लिए बिहार में बहुमत से जीत जरूरी है. चाहे सीएम कोई भी क्यों न बने?
बिहार में जीत जरूरी क्यों?
बिहार विधानसभा चुनाव परिणाम 2025 का संदेश पूरे देश में जाएगा. साल 2029 में लोकसभा चुनाव से पहले करीब 20 राज्यों और केंद्रशासित प्रदेशों में चुनाव होंगे. बिहार चुनाव के ठीक कुछ महीने बाद पश्चिम बंगाल, तमिलनाडु, केरल, असम और पुदुचेरी में चुनाव होगा. यानी बिहार चुनाव का तत्काल असर इन राज्यों की विधानसभा चुनाव पर देखने को मिल सकता है. इसलिए बीजेपी के पास बिहार चुनाव जीतना ही एक मात्र विकल्प है. वैसे भी, आने वाले समय में बिहार में भी अपनी सरकार बनाने की मंशा बीजेपी की है. केंद्र में भी सरकार मजबूती से चलाने के लिए बिहार को साधन आवश्यक है.
फिर, हर बार की तरह इस बार भी भाजपा इस चुनाव को भी मोदी के चेहरे पर लड़ना चाहती है. वजह साफ है कि बिहार की जीत या हार का असर सिर्फ राज्य तक सीमित नहीं रहता, बल्कि इसका सीधा संदेश पूरे देश में जाता है.
अगर हम बीते तीन लोकसभा चुनावों की बात करें तो साल 2014, 2019 और 2014 में बिहार में बीजेपी और एनडीए गठबंधन को क्रमश: 40 में से 31, 39 और 30 सीटों पर जीत मिली थी. इसी तरह बिहार विधानसभा चुनाव 2015 में 243 सीटों में से 54, 2020 में 243 में से 125 सीटों पर एनडीए को जीत मिली थी. साफ है कि मोदी और नीतीश कुमार के नेतृत्व में एनडीए का बिहार में लोकसभा चुनाव में शानदार प्रदर्शन रहा है. बीजेपी वर्तमान में बिहार विधानसभा में प्रदेश की सबसे बड़ी पार्टी है.
बिहार विधान परिषद में भी बीजेपी के सबसे अधिक सदस्य हैं तो वहीं लोकसभा में जेडीयू के बराबर तो राज्यसभा में सबसे अधिक सदस्य भाजपा के ही हैं. तो रिजल्ट मोदी और नीतीश कुमार के कारण बिहार में एनडीए और बीजेपी के पक्ष में अब तक रहा है.
2015 में एनडीए की नहीं बनी थी सरकार
साल 2014 से लेकर 2024 तक तीन लोकसभा और दो विधानसभा के चुनाव हुए हैं, जिसमें से 2014 और 2015 में एनडीए के साथ नीतीश कुमार नहीं थे. 2014 लोकसभा में नीतीश अकेले चुनाव लड़े थे लेकिन 2015 विधानसभा चुनाव में लालू प्रसाद यादव के साथ मिलकर चुनाव लड़े थे. इसलिए एनडीए की सरकार नहीं बनी.
लोकसभा चुनाव से पहले इन राज्यों में होंगे चुनाव
बिहार चुनाव के बाद साल 2026 में असम, केरल, पश्चिम बंगाल, तमिलनाडु और पुदुचेरी, साल 2027 में गोवा, मणिपुर, पंजाब, उत्तर प्रदेश, गुजरात और हिमाचल प्रदेश, साल 2028 में छत्तीसगढ़, मध्य प्रदेश, राजस्थान, तेलंगाना, मेघालय, नागालैंड, त्रिपुरा, कर्नाटक और मिजोरम में चुनाव होगा.
2029 के आम चुनावों पर कितना होगा असर?
बिहार विधानसभा चुनाव 2025 के परिणाम का राज्य और स्थानीय दोनों स्तरों के चुनावों के नतीजे निस्संदेह 2029 के आम चुनावों पर असर डालेंगे. बिहार चुनाव परिणाम के दम पर बीजेपी को अपने सहयोगी दलों के साथ मिलकर देश भर में अपने तरीके से सियासी नैरेटिव गढ़ने में मदद मिलेगी. इन चुनावों में भाजपा को मजबूत प्रदर्शन आम चुनावों में उसकी संभावनाओं को मजबूत कर सकता है. जबकि असफलताएं विपक्षी दलों को मजबूत कर सकती हैं. ऐसे में क्षेत्रीय दलों का अपने-अपने राज्यों में प्रदर्शन भी राष्ट्रीय राजनीति में उनकी सौदेबाजी की शक्ति और प्रभाव को निर्धारित करने में महत्वपूर्ण साबित होगा.
पहले के विधानसभा और लोकसभा चुनाव परिणाम
विधानसभा चुनाव 2021 में असम की टोटल सीट 126 में बीजेपी 60, कांग्रेस 29, एआईयूडीएफ 16, असम गण परिषद 9, यूनाइटेड पीपल पार्टी लिबरल 6, बोडोलैंड पीपुल्स फ्रंट 4, सीपीआईएम को एक और निर्दलीय एक सीटों पर जीत मिली थी. वहीं, असम लोकसभा चुनाव 2024 में बीजेपी को 14 में 9, कांग्रेस दो, एआईयूडीएफ 1 और निर्दलीय 1 सीटों पर जीत मिली थी.
केरल विधानसभा चुनाव परिणाम 2021 में बीजेपी को शून्य जबकि लोकसभा चुनाव 2024 में त्रिशूर सीट से सुरेश गोपी जीत हासिल करने में सफल हुए थे.
पश्चिम बंगाल विधानसभा चुनाव परिणाम 2021 में 294 सीटों पर चुनाव टीएमसी 213 बीजेपी 77, लोकसभा में टीएमसी ने 42 में से 29 सीटों पर जीत दर्ज की. जबकि बीजेपी को सिर्फ 12 सीटें मिलीं.
तमिलनाडु विधानसभा चुनाव परिणाम 2021 और लोकसभा चुनाव 2024 में बीजेपी को निराशा हाथ लगी, हालांकि पार्टी को वोट प्रतिशत बढ़ा.
पुदुचेरी विधानसभा चुनाव परिणाम 2021 बीजेपी 30 में से छह बीजेपी सीटें मिली और गठबंधन की सरकार बनी. बीजेपी समर्थित आल इंडिया एनआर कांग्रेस 10 सीटों पर जीत हासिल करने में कामयाब हुई थी.
साल 2016 में संपन्न 5 राज्यों के विधानसभा चुनाव के परिणाम भी बीजेपी के लिए संतोषजनक नहीं रहे थे. सिर्फ असम में बीजेपी सरकार बनाने में कामयाब हुई थी. उसके अलावा पश्चिम बंगाल की 294 में से 3, तमिलनाडु की 232 में बीजेपी जीरो, पुडुचेरी की 30 में बीजेपी जीरो, केरल में बीजेपी को एक सीटें मिली थीं.
2025 की हार = 2029 की अनिश्चितता
ऐसे में यदि बीजेपी बिहार हारती है तो इसका असर केवल राज्य की सरकार पर नहीं होगा बल्कि 2029 के आम चुनाव में भी पार्टी की पकड़ ढीली पड़ेगी. विपक्ष इसे "मोदी युग के ढलान" की शुरुआत बताने से पीछे नहीं हटेगा. वहीं, जीत का मतलब होगा संघीय राजनीति में बीजेपी की मजबूत पकड़ और विपक्षी एकता की कमजोरी माना जाएगा.