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कौन हैं उदय सिंह जो बने जनसुराज पार्टी के खेवनहार? परिवार के 5 सदस्य रह चुके हैं MP; वैनिटी वैन को लेकर हुआ था विवाद

पूर्व भाजपा सांसद उदय सिंह उर्फ पप्पू सिंह को जनसुराज पार्टी का राष्ट्रीय अध्यक्ष बनाए गए हैं. प्रशांत किशोर की रणनीति के तहत यह कदम भाजपा से नाराज राजपूत वोट बैंक को साधने और पार्टी को नया जातीय आधार देने की कोशिश है. पप्पू सिंह का राजनीतिक अनुभव और पारिवारिक पृष्ठभूमि इस बदलाव को मजबूती दे सकती है.

कौन हैं उदय सिंह जो बने जनसुराज पार्टी के खेवनहार? परिवार के 5 सदस्य रह चुके हैं MP; वैनिटी वैन को लेकर हुआ था विवाद
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नवनीत कुमार
By: नवनीत कुमार

Updated on: 20 May 2025 2:41 PM IST

बिहार में जैसे जैसे विधानसभा चुनाव की तारिख नजदीक आ रही है. वैसे वैसे राजनीतिक सरगर्मी बढ़ती जा रही है. बताया जाता है कि राजनीतिक संकेतों से भरपूर इस घटनाक्रम में जनसुराज पार्टी की रणनीति अब स्पष्ट होती जा रही है. प्रशांत किशोर द्वारा पूर्व भाजपा सांसद उदय सिंह को राष्ट्रीय अध्यक्ष बनाने का निर्णय सिर्फ नेतृत्व परिवर्तन नहीं, बल्कि एक लंबी राजनीतिक योजना का हिस्सा बताया जा रहा है.

बिहार की जातीय राजनीति में राजपूत समाज की बदलती भूमिका और भाजपा के साथ उनके रिश्तों में आई खटास को भुनाने की यह पहली ठोस कोशिश मानी जा रही है. पप्पू सिंह को अध्यक्ष पद पर बिठाकर जनसुराज सीधे-सीधे राजपूत वोट बैंक में सेंध लगाने की रणनीति पर काम कर रही है.

कौन हैं उदय सिंह?

उदय सिंह उर्फ पप्पू सिंह का नाम यूं ही नहीं आया है. पूर्णिया के पुराने जमींदार घराने से ताल्लुक रखने वाले और दो बार सांसद रह चुके पप्पू सिंह की राजनीतिक पृष्ठभूमि बेहद मजबूत रही है. उन्होंने 2004 और 2009 में भाजपा के टिकट पर जीत दर्ज की थी, लेकिन 2014 में मोदी लहर के बावजूद हार गए थे. इसके बाद 2019 में भाजपा छोड़कर कांग्रेस का दामन थाम लिया, हालांकि जीत उनसे फिर भी दूर रही. 2024 में उन्होंने खुद चुनाव नहीं लड़ा, लेकिन निर्दलीय पप्पू यादव का समर्थन किया और उन्हें जीत दिलाई. यह उनकी राजनीतिक पकड़ और रणनीति को दर्शाता है.

परिवार में रहे हैं पांच सांसद

उदय सिंह का राजनीतिक परिवार भी बिहार की सियासत में गहरी जड़ें रखता है. उनकी मां माधुरी सिंह कांग्रेस से दो बार सांसद रह चुकी थीं, बहन श्यामा सिंह और बहनोई निखिल कुमार भी सांसद और राज्यपाल जैसे पदों पर रह चुके हैं. भाई एन के सिंह योजना आयोग के उपाध्यक्ष और राज्यसभा सांसद रहे हैं. इस पारिवारिक पृष्ठभूमि ने उन्हें न सिर्फ दिल्ली तक पहुंचाया, बल्कि उन्हें बिहार की राजनीति में एक ‘दबंग’ राजपूत चेहरा भी बनाया.

वैनिटी वैन और शेखपुरा हाउस भी जन सुराज को दिया

प्रशांत किशोर और उदय सिंह की जोड़ी भी संयोग नहीं, बल्कि वर्षों की साझेदारी का परिणाम है. पप्पू सिंह न केवल जनसुराज के शुरुआती समर्थक रहे हैं, बल्कि उन्होंने प्रशांत किशोर को पटना का शेखपुरा हाउस दिया, जहां से पार्टी की कमान संभाली जाती रही है. छात्रों के आंदोलन के दौरान जिस वैनिटी वैन को लेकर विवाद हुआ, वह भी पप्पू सिंह की बताई गई थी. प्रशांत किशोर के सीमांचल दौरे के समय वे पूर्णिया स्थित सिंह निवास पर ही ठहरते रहे हैं. यह नजदीकी अब राजनीतिक रूप लेने जा रही है.

जातीय समीकरणों की बिछी बिसात

उदय सिंह की ताजपोशी के पीछे जातीय समीकरणों की बड़ी बिसात बिछाई जा रही है. बिहार में हाल ही में हुए जातीय सर्वे के मुताबिक राजपूतों की संख्या 3.45% है. हालांकि पहले यह 5% से अधिक मानी जाती थी. 2020 के विधानसभा चुनाव में 28 राजपूत विधायक चुनकर आए, जिनमें से 17 अकेले भाजपा से थे. यही वजह है कि भाजपा का राजपूतों पर अब तक विशेष प्रभाव रहा है, लेकिन हाल के चुनाव में इस वोट बैंक में दरार दिखने लगी है.

आपदा में अवसर ढूंढ रहे पीके

2024 लोकसभा चुनाव ने इस जातीय खिसकाव को और उजागर कर दिया. आरा से आरके सिंह और औरंगाबाद जैसे परंपरागत राजपूत सीटों पर भाजपा की हार ने यह संकेत दे दिया कि राजपूत मतदाता अब दूसरी ओर देखने लगे हैं. बक्सर में राजद को वोट मिलना और पवन सिंह जैसे उम्मीदवार का विवादों में आना, इन सबने भाजपा की राजपूत पकड़ को कमजोर किया है. ऐसे में जनसुराज पप्पू सिंह को सामने लाकर इस जातीय असंतोष को अवसर में बदलने की कोशिश कर रही है.

पार्टी को मिलेगा अनुभवी नेतृत्व

प्रशांत किशोर की राजनीति में यह चाल उनके लंबे गेम की झलक देती है. वे जानते हैं कि जातीय समूहों में दरार और असंतोष को संगठित कर नया गठबंधन गढ़ा जा सकता है. पप्पू सिंह के आने से न केवल पार्टी को अनुभवी नेतृत्व मिलेगा, बल्कि सीमांचल से लेकर मगध तक राजपूत समुदाय में जनसुराज को लेकर एक नई चर्चा शुरू होगी. साथ ही कांग्रेस और भाजपा दोनों से नाराज वर्ग को एक नया विकल्प भी मिलेगा.

आगामी विधानसभा चुनाव में करेंगे

राजनीतिक विश्लेषकों का मानना है कि यह कदम जनसुराज को एक नई दिशा देगा. अब तक प्रशांत किशोर की पार्टी को एक व्यक्ति आधारित आंदोलन माना जाता था, लेकिन उदय सिंह जैसे अनुभवी नेता को अध्यक्ष बनाकर इसे संस्थागत रूप देने की शुरुआत हो गई है. ये गठजोड़ न केवल पार्टी की आंतरिक संरचना को मज़बूती देगा, बल्कि आगामी विधानसभा चुनावों में एक निर्णायक भूमिका निभाने का माद्दा भी पैदा करेगा.

बिहार विधानसभा चुनाव 2025
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