कौन हैं मंत्री अशोक चौधरी जो 57 की उम्र में बने प्रोफेसर, उनके बारे में जानें सब कुछ
Ashok Choudhary News: बिहार के सीएम नीतीश कुमार के मंत्रिमंडल में तीसरे नंबर के मंत्री अशोक चौधरी की इच्छा उच्च शिक्षा प्राप्त करने के बाद शिक्षाविद बनने की है. उनका कहना है कि मैं राजनीति में भी रह सकता हूं. चौधरी संभवतः यह पद संभालेंगे और फिर अपने राजनीतिक करियर को जारी रखने के लिए कुछ समय के लिए अवकाश लेंगे.
Ashok Chaudhary Latest News: बिहार सरकार में कैबिनेट मंत्री अशोक चौधरी अब असिस्टेंट प्रोफेसर बन गए हैं. उनका चयन बिहार राज्य विश्वविद्यालय सेवा आयोग द्वारा आयोजित परीक्षा के जरिए हुई है. वह 57 साल की उम्र में बिहार के प्रमुख मंत्री राजनीति विज्ञान विभाग में सहायक प्रोफेसर के पद पर चयनित हुए. बता दें कि 1 जनवरी 2020 तक सभी श्रेणियों में आयु सीमा 55 वर्ष थी.
बिहार के वरिष्ठ मंत्री अशोक कुमार चौधरी अब 57 साल के हैं. इस उम्र में वह बिहार राज्य विश्वविद्यालय सेवा आयोग (BSUSC) द्वारा राजनीति विज्ञान विभाग में 280 रिक्तियों के विज्ञापन के बाद सहायक प्रोफेसर के रूप में चयनित 274 उम्मीदवारों में से एक के रूप में चयनित हुए हैं. इसका खुलासा उस समय हुआ जब बीएसयूएससी ने मंगलवार शाम को शिक्षकों की नियुक्तियों की घोषणा की.
बीएसयूएससी ने कई विषयों में कुल 4,638 सहायक प्रोफेसरों के लिए रिक्तियों का विज्ञापन निकाला था. चयन अकादमिक प्रदर्शन, शिक्षण अनुभव और प्रकाशित कार्यों के आधार पर हुआ है. लिखित परीक्षा के बाद साक्षात्कार का आयोजन हुआ था. चौधरी अनुसूचित जाति श्रेणी में उत्तीर्ण हुए हैं.
चौधरी की शिक्षाविद बनने की है मुराद
उनकी बेटी और एलजेपीआर समस्तीपुर की सांसद सांभवी चौधरी ने अपने पिता के राजनीति विज्ञान के सहायक प्रोफेसर के रूप में चयन की पुष्टि की है. मूलत: असम में रहने वाले चौधरी ने इंडियन एक्सप्रेस से बातचीत में कहा था, "उच्च शिक्षा प्राप्त करने के बाद मेरी इच्छा शिक्षाविद बनने की है. जबकि मैं राजनीति में भी रह सकता हूं. पारिवारिक सूत्रों ने कहा कि चौधरी संभवतः यह पद संभालेंगे और फिर अपने राजनीतिक करियर को जारी रखने के लिए कुछ समय के लिए अवकाश लेंगे.
अशोक चौधरी का प्रोफाइल
1. सीएम नीतीश कुमार के कैबिनेट में विजय कुमार चौधरी और श्रवण कुमार के साथ अशोक चौधरी तीन प्रमुख मंत्रियों में से एक हैं.
2. डॉ. अशोक चौधरी जेडीयू में आने से पहले राजनीति की शुरुआत कांग्रेस से की थे. वे साल 2000 में पहली बार बिहार के बरबीघा विधानसभा क्षेत्र से विधायक बने और इसके साथ ही उन्हें तत्कालीन राबड़ी मंत्रिमंडल में कारा राज्य मंत्री बनाया गया. बाद में अशोक चौधरी को 2013 में बिहार प्रदेश कांग्रेस कमिटी का अध्यक्ष भी बनाया गया. उन्होंने 2018 में भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस छोड़कर जनता दल यूनाइटेड का दामन थाम लिया था.
3. चौधरी महादलित समुदाय से ताल्लुक रखते हैं और बिहार में 19.65 फीसदी दलित वोटर्स हैं. संदेश साफ है कि जेडीयू ने ना सिर्फ राजनीतिक संदेश देने की कोशिश की है, बल्कि एक बड़े वर्ग को साधने की अपनी पुरानी रणनीति पर काम कर रही है.
4. अशोक चौधरी जेडीयू में आने से पहले बिहार कांग्रेस के चार साल से ज्यादा समय तक अध्यक्ष रहे हैं. वे राहुल गांधी के करीबी नेता माने जाते थे. हालांकि, 1 मार्च 2018 को चौधरी ने कांग्रेस छोड़ दी. उसके बाद वे जेडीयू का हिस्सा बन गए.
5. नीतीश ने उन्हें जेडीयू में एंट्री दिलाई और अपनी कैबिनेट में शामिल किया. चौधरी दो बार के विधायक हैं.
6. साल 2014 से बिहार विधान परिषद के सदस्य हैं. वे 2005 में पहली बार बारबीघा सीट से चुनाव जीते. 2005 में भी उन्होंने जीत हासिल की. हालांकि, 2010 का चुनाव हार गए थे.
7. अशोक चौधरी की बेटी शांभवी हाल ही में राजनीति में आईं हैं. शांभवी ने नीतीश के धुर विरोधी चिराग पासवान की एलजेपीआर ज्वाइन की और समस्तीपुर (रिजर्व) लोकसभा सीट से जीत हासिल की.
8. एलजेपीआर सांसद शांभवी चौधरी पूर्व आईपीएस अधिकारी आचार्य किशोर कुणाल की बहू हैं.
9. अशोक चौधरी के पिता और कांग्रेस नेता महावीर चौधरी 9 बार विधायक चुने गए. वे बिहार में कई राज्य सरकारों में मंत्री रहे. मई 2014 में उनका निधन हो गया था.





