चिराग पासवान से किसको डर लगता है? किसकी ओर था इशारा, LJP(R) नेता ने कर दिया खुलासा
Who is afraid of Chirag Paswan? लोक जनशक्ति पार्टी के प्रवक्ता रंजन सिंह का कहना कि बिहार में चिराग पासवान की लोकप्रियता में बढ़ोतरी लाभ एनडीए और सीएम नीतीश कुमार को मिलेगा. अगर इससे किसी को डरना है तो तेजस्वी यादव डरें. चिराग इस बार उन्हीं के लिए खतरा बनेंगे. आरजेडी नेताओं के तेवर इस बार कमजोर अभी से दिखाई देने लगे हैं.

बिहार की राजनीति में लोक जनशक्ति पार्टी रामविलास के राष्ट्रीय अध्यक्ष चिराग पासवान ने 'बहुजन भीम समागम' का सियासी दांव चलकर इस बार नए सिरे से जातीय समीकरण गढ़ने की कोशिश की है. दरअसल, चिराग पासवान द्वारा रविवार को सीएम के गढ़ राजगीर में यह कहना कि 'मैं बिहार से नहीं, बिहार के लिए चुनाव लड़ेंगे', ने प्रदेश की राजनीति में सियासी भूचाल ला दिया है. उनका यह बयान चल गया तो उन नेताओं की मुसीबतें भी बढ़ा सकती हैं, जिनके लिए वो प्रतिद्वंद्वी माने जा रहे हैं.
ऐसा इसलिए कि चिराग पासवान का यह बयान सिर्फ एक वाक्य भर नहीं, बल्कि बिहार विधानसभा चुनाव 2025 की दिशा तय करने वाला मास्टरस्ट्रोक साबित हो सकता है. रविवार को उनकी ओर से यह बयान सामने आने के बाद यह सवाल पूछे जा रहे हैं कि क्या चिराग ने नीतीश कुमार की नींद उड़ा दी या तेजस्वी यादव की? या यह बयान देकर वह NDA की एकजुटता का नया चेहरा बन गए हैं? क्या उनका ये बयान तेजस्वी की राजनीति पर असर डालेगा.
चिराग जनरल सीट से लड़ सकते हैं चुनाव- अरुण भारती
हालांकि, चिराग पासवान ने राजगीर की विशाल रैली में भी यह स्पष्ट नहीं किया है कि वह खुद विधानसभा चुनाव लड़ेंगे या नहीं, लेकिन उनके जीजा और जमुई से सांसद अरुण भारती ने संकेत दिया है कि चिराग सामान्य सीट से चुनाव लड़ सकते हैं. उनका कहना है कि जनरल सीट से चिराग का चुनाव लड़ने पर उनकी छवि दलित नेता से ऊपर उठकर एक जन नेता के रूप में स्थापित हो सकता है.
एलजेपी (R) अध्यक्ष की लोकप्रियता से खतरा किसको?
दूसरी तरफ चिराग पासवान एलजेपी (R) की ओर से मई में कराए गए सर्वे में ये बातें सामने आई है कि उनकी लोकप्रियता बढकर 10.6 प्रतिशत तक पहुंच गया है. यह नीतीश और तेजस्वी दोनों के लिए खतरे की घंटी हो सकता है. हालांकि, चिराग पासवान बार-बार कहते हैं कि नीतीश ही NDA के नेता हैं और बिहार में CM पद के लिए कोई वैकेंसी नहीं है. इसके बावजूद, उनका नया तेवर कुछ और ही कहानी बयां करते हैं.
नीतीश कुमार परेशान क्यों?
साल 2020 के विधानसभा चुनाव में चिराग पासवान ने JDU को तीसरे नंबर पर धकेलकर नीतीश की सियासी जमीन हिला दी थी. सीएम नीतीश कुमार को आशंका है कि इस बार भी चिराग अलग अंदाज में वही कात तो नहीं कर रहे हैं. पांच साल पहले चिराग पासवान ने ‘बिहार फर्स्ट’ और बिहारी फर्स्ट’ का नारा दिया था. फिर 20 जून को सिवान में PM मोदी की रैली में नीतीश कुमार ने चिराग पासवान से मजाकिया अंदाज में पूछा था, ‘सच में विधानसभा चुनाव लड़िएगा क्या?’ सियासी जानकारों की नजर में यह सवाल उनकी बेचैनी को बताता है. फिर चिराग पासवान का आक्रामक तेवर नीतीश के गढ़ में सेंध लगाने की कोशिश का संकेत भी माना जा रहा है.
लोक जनशक्ति पार्टी के प्रवक्ता रंजन सिंह से यह पूछने पर कि चिराग पासवान ने पांच साल पहले ‘बिहार फर्स्ट’ और बिहारी फर्स्ट’ का नारा दिया था. 29 जून को राजगीर में उन्होंने कहा कि 'मैं बिहार से नहीं, बिहार के लिए चुनाव लडूंगा.' इस तरह का सियासी बयान देकर चिराग पासवान किसके लिए खतरा बनेंगे? वो किसको डरा रहे हैं. नीतीश कुमार या तेजस्वी यादव को?
रंजन सिंह बोले- चिराग के बयान से क्यों डरें नीतीश?
इसके जवाब में रंजन सिंह ने कहा, " एलजेपी (R) के अध्यक्ष रंजन सिंह नीतीश कुमार को क्यों डराएंगे? अगर चिराग पासवान मजबूत होंगे तो स्वाभाविक है नीतीश कुमार भी मजबूत होंगे. ऐसा इसलिए कि एलजेपी(R) एनडीए गठबंधन का हिस्सा है. इससे अगर किसी को डरने की जरूरत है तो तेजस्वी यादव डरें."
'तेजस्वी सोचें, उनका क्या होगा'
उन्होंने आगे कहा, "आरजेडी नेता तेजस्वी यादव को डरने की जरूरत इसलिए है कि एलजेपीआर की मजबूती से आरजेडी को नुकसान होगा. न कि एनडीए को. चिराग पासवान की महिलाओं, युवाओं और दलितों के बीच लोकप्रियता में इजाफा होना, एनडीए के मजबूती के संकेत हैं. तेजस्वी यादव सोचें कि उनका क्या होगा?"
उन्होंने कहा कि LJP(R) 25 साल पुरानी पार्टी है. पिछले 11 साल से चिराग पासवान इसे लीड कर रहे हैं. उनके नेतृत्व में पार्टी तीन लोकसभा चुनाव और दो विधानसभा चुनाव लड़ चुकी है. लोकसभा चुनाव 2014 और 2019 LJP(R) 6 में से 6 सीटों पर चुनाव जीती थी. लोकसभा चुनाव में 6 में से 5 सीटें जीती. विधानसभा चुनाव में भी एनडीए को LJP(R) का साथ होने का लाभ मिला.