'CM face' पर चुप्पी साधे तेजस्वी, आखिर क्यों बदल देते हैं हर बार जवाब, क्या है राज?
Bihar CM Face 2025: तेजस्वी यादव इस बार बिहार चुनाव में अपने 'सीएम फेस' को लेकर लगातार चुप्पी साधे हुए हैं. जब भी उनसे यह सवाल पूछा जाता है कि महागठबंधन की ओर से सीएम चेहरा कौन होगा, वे या तो जवाब टाल जाते हैं या बात को दूसरे मुद्दों पर मोड़ देते हैं. दूसरी तरफ राहुल गांधी का इस मसले पर न बोलने की रणनीति ने आरजेडी नेताओं की धड़कनों को बढ़ा दिया है.
Who Is CM Face In Bihar: बिहार विधानसभा में विपक्ष के नेता तेजस्वी यादव ने राहुल गांधी को देश का भावी पीएम मान चुके हैं. जबकि राहुल गांधी तेजस्वी को बिहार चुनाव में 'CM फेस' मानने को तैयार नहीं है. वह इस मामले पर चुप्पी साधे हुए हैं. ऐसे में बड़ा सवाल यह है कि कांग्रेस कब घोषित करेगी कि तेजस्वी बिहार में इंडिया गठबंधन की ओर से 'सीएम फेस' हैं. कांग्रेस के रुख को भांपते हुए वीआईपी के प्रमुख मुकेश सहनी और सीपीआई एमएल के नेता दीपांकर भट्टाचार्य ने भी आधिकारिक तौर पर इसका एलान नहीं किया है. राष्ट्रीय जनता दल के नेताओं को सहयोगी दलों के इस रुख ने उलझाकर रख दिया है.
दरअसल, बिहार विधानसभा चुनाव 2025 को तेजस्वी यादव पांच साल पहले संपन्न इलेक्शन की तुलना में ज्यादा गंभीरता से ले रहे हैं. पिछले चुनाव से सीख लेते हुए उन्होंने इस बार अपनी चुनावी रणनीति बदल दी है. अब वे लालू यादव के एमआई (मुस्लिम यादव) के फार्मूले पर लौट आए हैं. साल 2020 में उन्होंने सभी को साथ लेकर चलने की नीति अपनाई थी. इसका लाभ यह हुआ कि उन्हें सवर्णों और ओबीसी का भी साथ मिला था. इस बार सहयोगी दलों के तेवर को देखते हुए वह ज्यादा रिस्क नहीं लेना चाहते हैं.
क्यों टाल गए सवाल का सही जवाब?
तेजस्वी यादव पहले तेज-तर्रार और हर मुद्दे पर खुलकर बयानबाजी करते थे. अब वे कई बार सवालों को टालने या गोलमोल जवाब देने में ही खुद की बेहतरी समझ रहे हैं. 25 अगस्त को वोट अधिकार यात्रा के दौरान अररिया में प्रेस कॉन्फ्रेंस में पत्रकारों की ओर से पूछे गए सवालों के जवाब में अपने पहले वाले रुख का संकेत दिया. मीडियाकर्मी चिराग पासवान के बहाने महागठबंधन की ओर से 'सीएम चेहरा' कौन, का जवाब मांग रहे थे, लेकिन उन्होंने मसले को बदलते हुए कहा, चिराग मेरे बड़े भाई समान हैं.
पीएम पर तंज, खुद को बताया 'जनता का हनुमान'
तेजस्वी यादव ने केंद्रीय मंत्री चिराग पासवान को शादी करने की सलाह दी. चिराग को लेकर किए सवाल पर नेता प्रतिपक्ष ने कहा, 'वे एक व्यक्ति विशेष के हनुमान हैं. हम जनता के हनुमान हैं. चिराग पासवान के पास आज कोई मुद्दा नहीं हैं. मैं उन्हें सलाह जरूर दूंगा, वह हमारे बड़े भाई हैं और उन्हें जल्द से जल्द शादी करनी चाहिए.'
गठबंधन की राजनीति का दबाव तो नहीं
महागठबंधन (INDIA अलाएंस) की राजनीति में अकेले मुख्यमंत्री चेहरा तय करना आसान नहीं है. कांग्रेस, वामपंथी दल, वीआईपी सहित अन्य सहयोगियों दलों को साथ लेकर उनको चलना है. ऐसे में तेजस्वी अपने स्तर पर सीएम फेस का दावा कर चुनाव से पहले महागठबंधन में विवाद पैदा नहीं करना चाहते.
राजनीति में सस्पेंस काम की चीज
तेजस्वी यादव अब समझने लगे है कि नीतीश कुमार की तरह राजनीति में 'सस्पेंस' बनाए रखना भी काम आता है. चुप्पी बरकरार रखकर वे खुद को चर्चा में बनाए रखते हैं. विरोधियों को असमंजस में रखना आसान होता है. इस बात को ध्यान में रखते हुए तेजस्वी कोई क्लियर लाइन नहीं लेना चाहते.
मजबूरी या सियासी चाल
आरजेडी नेता तेजस्वी यादव इस बार ज्यादा ध्यान आरजेडी और इंडिया गठबंधन में शामिल दलों को मजबूत करने और विपक्षी दलों को एकजुट रखने पर जोर दे रहे हैं. बयानबाजी से ज्यादा वे 'काम' की राजनीति से खुद की छवि भी बेहतर करने में जुटे हैं. अगर तेजस्वी खुले तौर पर खुद को सीएम उम्मीदवार घोषित कर दें, तो बीजेपी-जेडीयू उन्हें निशाने पर लेने में देर नहीं करेंगे, इसलिए वे इस मुद्दे पर लचीलापन रवैये का संकेत दे रहे हैं. इसे आप उनकी राजनीतिक मजबूरी या चाल भी मान सकते है.
राहुल गांधी ने क्यों नहीं दिया साथ
जब राहुल गांधी से यही पूछा गया कि कांग्रेस तेजस्वी यादव को महागठबंधन का मुख्यमंत्री चेहरा क्यों नहीं घोषित कर देती. इस पर उन्होंने जवाब देने से बचते हुए कहा कि अभी प्राथमिकता 'वोट चोरी' रोकना है. मुख्यमंत्री पद का मुद्दा अभी केंद्र में नहीं है. गठबंधन का फोकस फिलहाल वोट चोरी रोकने और जनता के अधिकारों की रक्षा करने पर है. साफ है कि कांग्रेस अभी बिहार की राजनीति में 'CM face' की घोषणा से बच रही है और गठबंधन के भीतर लचीलापन बनाए रखना चाहती है.
बता दें कि बिहार विधानसभा में विपक्ष के नेता तेजस्वी यादव प्रदेश की राजनीति का एक बड़ा चेहरा बनकर उभरे हैं. नीतीश कुमार के लगातार पाला बदलने और राजनीतिक समीकरणों में बदलाव के बीच महागठबंधन में तेजस्वी की लोकप्रियता और नेतृत्व क्षमता बढ़ी है. कांग्रेस, जो बिहार में अपेक्षाकृत कमजोर स्थिति में है, तेजस्वी को खुला समर्थन देने से बच रही है. कांग्रेस नहीं चाहती कि बिहार की राजनीति में पूरी कमान सिर्फ आरजेडी के हाथों में दिखाई दे. कांग्रेस का मानना है कि दूसरे दल के नेता को 'CM face' घोषित करना जल्दबाजी हो सकता है. सीपीआई-एमएल और वीआईपी जैसे छोटे सहयोगी दल भी तेजस्वी को सीएम चेहरा घोषित करने पर असहज महसूस कर रहे हैं.
2020 के चुनाव में तेजस्वी ने दिखाया था दम
मुख्यमंत्री पद के चेहरे को लेकर कांग्रेस का टालमटोल यह दिखाता है कि महागठबंधन में अभी भी अंतिम रणनीति तय नहीं हुई है. इस लिहाज से देखें तो आने वाले महीनों में प्रदेश की राजनीति को समझना दिलचस्प होगा. कांग्रेस तेजस्वी यादव को औपचारिक रूप से महागठबंधन का चेहरा मानती है या फिर इस मुद्दे को लेकर आगे बढ़ती है.
पांच साल पहले बिहार विधानसभा चुनाव के समय लालू यादव चारा घोटाले में दोषी करार देने के बाद जेल में थे. तेजस्वी यादव ने पूरे चुनाव प्रचार के दौरान अपने पिता लालू यादव और मां राबड़ी को चुनाव का हिस्सा बनने नहीं दिया. उन्होंने साल 2020 में सभी को साथ लेकर चलने की कोशिश की थी. बेरोजगारी, विकास, भ्रष्टाचार, नीतीश के कुशासन, सबका साथ सबका विकास, एंटी इंकम्बेंसी पर जोर दिया था.
इसका लाभ भी उन्हें मिला. लालू यादव के चुनावी रण न होने के बावजूद आरजेडी सबसे बड़ी पार्टी बनकर उभरी थी. कुछ सीटें अगर मामूली अंतर से उनके प्रत्याशी नहीं हारते तो, उन्हीं की सरकार बनी होती. पहली बार तेजस्वी यादव ने अपने चुनावी प्रदर्शन से साबित किया कि बीजेपी जेडीयू या अन्य दलों ने नेता उन्हें हल्के में न ले. पिछले चुनाव ने तेजस्वी यादव को नेता के रूप में स्थापित कर दिया था.





