अश्लील Video विवाद के बाद Sunil Kumar Pintu की बड़ी जीत, क्या नीतीश कैबिनेट में मिलेगी मंत्री की कुर्सी?
बिहार के सीतामढ़ी विधानसभा चुनाव में सुनील कुमार पिंटू ने कड़े मुकाबले के बावजूद शानदार जीत दर्ज की है. मतदान से कुछ दिन पहले उनके नाम से जुड़ा कथित अश्लील वीडियो वायरल हुआ था, जिसे उन्होंने राजनीतिक साजिश बताते हुए फर्जी करार दिया और साइबर सेल में FIR भी दर्ज कराई. विवादों के बावजूद जनता ने पिंटू पर भरोसा जताया और उन्हें निर्णायक बढ़त दिलाई. 1,04,226 वोटों के साथ उनकी जीत न सिर्फ राजनीतिक वापसी का संकेत है, बल्कि यह चर्चा भी तेज हो गई है कि क्या अब नीतीश सरकार में उन्हें मंत्री पद मिल सकता है. यह जीत BJP के भीतर उनकी बढ़ती पकड़ को और मजबूत करती है.
बिहार की राजनीति में इस बार जो सबसे चौंकाने वाला दृश्य सामने आया, वह था सीतामढ़ी सीट से सुनील कुमार पिंटू की जीत वह भी उस समय, जब चुनाव से ठीक पहले उनके नाम से जुड़े कथित अश्लील वीडियो सोशल मीडिया पर तेजी से फैलाए जा रहे थे. आम तौर पर ऐसा विवाद किसी भी नेता की चुनावी स्थिति को कमजोर कर देता है, लेकिन पिंटू न सिर्फ इस तूफ़ान से बेखौफ निकले बल्कि और भी ज्यादा मजबूती के साथ जनता का समर्थन हासिल कर लिया.
इस जीत ने साफ कर दिया कि सीतामढ़ी के वोटरों ने विवादों को किनारे रखकर अपने नेता पर भरोसा जताया. अब बड़ा सवाल यह है कि क्या विवादों के बाद भी यह प्रभाव उन्हें नीतीश सरकार में मंत्री पद दिलाने की राह खोल सकता है? राजनीतिक हलकों में इस संभावना पर जोरदार चर्चाएं शुरू हो गई हैं.
चुनावी सफर में उठा विवादों का तूफ़ान
चुनाव से कुछ ही दिन पहले सोशल मीडिया पर पिंटू का कथित अश्लील वीडियो वायरल हुआ, जिसने राजनीतिक माहौल में हलचल मचा दी. वीडियो के सामने आते ही चर्चा तेज हो गई कि इसका असर पिंटू की उम्मीदों पर पड़ सकता है. हालांकि पिंटू ने तत्काल साइबर सेल में FIR दर्ज कराई और वीडियो को पूरी तरह फर्जी बताया.
‘राजनीतिक साजिश’ बताकर किया जवाबी हमला
FIR में पिंटू ने आरोप लगाया कि उनके विरोधियों ने चुनावी नुकसान पहुंचाने की नीयत से वीडियो फैलाए. उन्होंने यह भी कहा कि 2023 में भी ऐसे ही फर्जी वीडियो वायरल किए गए थे. उनके अनुसार, यह लगातार चल रही एक सुनियोजित बदनाम करने की मुहिम है, जो हर चुनाव में सक्रिय हो जाती है.
कड़ा मुकाबला, लेकिन जीत कहानी कहती है
सीतामढ़ी सीट पर मुकाबला बेहद रोमांचक था. अंतिम नतीजों में पिंटू ने 1,04,226 वोट हासिल किए, जबकि RJD प्रत्याशी सुनील कुमार कुशवाहा 98,243 वोटों पर सिमट गए. यह अंतर दिखाता है कि विवादों के बावजूद उनका जनाधार मजबूत रहा. इस जीत ने 2015 की हार के बाद उनकी वापसी को और भी प्रतीकात्मक बना दिया.
संवेदनशील क्षेत्र में बढ़ी पकड़
सीतामढ़ी सीट मिथिला की धार्मिक और ऐतिहासिक पहचान से जुड़ी होने के कारण हमेशा से राजनीतिक रूप से महत्वपूर्ण मानी जाती है. पिछले कई वर्षों से यहां सत्ता का पलड़ा बदलता रहा है, लेकिन इस बार पिंटू की जीत ने स्थानीय समीकरणों को फिर से उनके पक्ष में मोड़ दिया. समर्थकों ने जीत के बाद पूरे क्षेत्र में जश्न मनाया.
पिंटू का सफर उन्हें किस दिशा में ले जाएगा?
एक समय नीतीश कुमार की JDU से सांसद रह चुके पिंटू का NDA में लगातार प्रभाव बना हुआ है. भाजपा में सक्रिय भूमिका निभाने के बाद यह विधानसभा जीत उनके कद को और बढ़ा देती है. पार्टी के भीतर भी माना जा रहा है कि पिंटू की जीत BJP की संगठनात्मक रणनीति के लिए महत्वपूर्ण है.
सोशल मीडिया में चर्चा
चुनाव नतीजों के बाद सोशल मीडिया पर तरह-तरह की प्रतिक्रियाएं देखने को मिलीं. कई यूजर्स ने व्यंग्य करते हुए कहा कि विवादों के बावजूद उनकी जीत ‘चौंकाने वाली’ है. कुछ प्रतिक्रियाएं यह भी संकेत देती हैं कि जनता ने नेता की व्यक्तिगत छवि से ज्यादा उनके राजनीतिक काम को प्राथमिकता दी. वहीं कुछ लोग इसे लोकतांत्रिक फैसलों पर सवाल उठाने का अवसर मान रहे हैं.
क्या मंत्री पद का रास्ता खुल रहा है?
अब बड़ी बहस इस बात पर है कि क्या पिंटू को मंत्रीमंडल में शामिल किया जा सकता है. उनकी जीत, राजनीतिक अनुभव और NDA नेतृत्व के साथ अच्छे संबंध इस संभावना को हवा देते हैं. कई राजनीतिक टिप्पणीकार मानते हैं कि विवाद भले ही रहे हों, लेकिन चुनाव में मिली स्पष्ट जनता की स्वीकृति मंत्री पद के लिए मजबूत आधार बन सकती है.





