Begin typing your search...

दो MMS वायरल, पूरे बिहार में बवाल… आखिर BJP विधायक सुनील कुमार पिंटू ने कैसे जीता सीतामढ़ी की जनता का दिल?

बिहार चुनाव 2025 में भाजपा उम्मीदवार सुनील कुमार पिंटू के खिलाफ दो कथित MMS वायरल हुए, जिनमें अश्लील हरकतों के आरोप लगाए गए. विपक्ष ने इसे बड़ा मुद्दा बनाने की कोशिश की, लेकिन जनता ने विवादों को नज़रअंदाज़ करते हुए पिंटू को जीत का ताज पहनाया. गृह मंत्री अमित शाह की अपील, भाजपा की रणनीति और मतदाताओं का भरोसा—सबने मिलकर साबित कर दिया कि बिहार वायरल वीडियो नहीं, विकास पर वोट देता है.

दो MMS वायरल, पूरे बिहार में बवाल… आखिर BJP विधायक सुनील कुमार पिंटू ने कैसे जीता सीतामढ़ी की जनता का दिल?
X
( Image Source:  ANI )
नवनीत कुमार
Edited By: नवनीत कुमार

Updated on: 15 Nov 2025 2:28 PM IST

बिहार विधानसभा चुनाव 2025 जितने राजनीतिक रूप से गर्म रहे, उतने ही सोशल मीडिया के कारण भी सुर्खियों में बने रहे. दो-दो MMS वायरल हुए, बहसें छिड़ीं, सोशल मीडिया पर बवाल मचा लेकिन जनता ने हर बार साबित किया कि चुनावी फैसला वायरल क्लिप्स नहीं, अपने भविष्य को ध्यान में रखकर किया जाता है. मतदाताओं ने यह स्पष्ट संदेश दे दिया कि इंटरनेट पर उड़ती अफवाहों से कहीं ज्यादा अहम है ज़मीनी काम और उम्मीदवार की विश्वसनीयता.

ऐसा पहली बार नहीं हुआ जब किसी प्रत्याशी के खिलाफ वोटिंग से ठीक पहले कथित अश्लील वीडियो सामने आए हों. कई राजनीतिक दलों ने इसे मुद्दा बनाने की कोशिश की, लेकिन जनता ने रिएक्ट करने के बजाय रिज़ल्ट से जवाब दिया. सीतामढ़ी सीट इसका सबसे बड़ा उदाहरण बनकर सामने आई, जहां विवादों के बावजूद भाजपा प्रत्याशी सुनील कुमार पिंटू की जीत ने साबित किया कि बिहार की मतदाताओं की प्राथमिकताओं को वायरल कंटेंट नहीं हिला सकता.

चुनाव के बीच छिड़ा वायरल वीडियो विवाद

वोटिंग से ठीक कुछ दिन पहले सोशल मीडिया पर अचानक दो कथित MMS वीडियो सामने आए. राजनीतिक माहौल पहले से गर्म था, और इन वीडियो ने तनाव को और बढ़ा दिया. विपक्ष ने इसे मुद्दा बनाकर भाजपा उम्मीदवार सुनील कुमार पिंटू को निशाने पर लिया और सवाल उठाए कि क्या ऐसे व्यक्ति को जनता प्रतिनिधि बनाना चाहिए. लेकिन जनता ने इस विवाद को उतनी तवज्जो नहीं दी, जितनी विपक्ष को उम्मीद थी.

वायरल क्लिप्स में क्या था?

रिपोर्ट्स के अनुसार, दो अलग-अलग वीडियोज वायरल हुए—एक में एक पुरुष और महिला कथित आपत्तिजनक स्थिति में दिखे, जबकि दूसरे वीडियो में एक व्यक्ति को वीडियो कॉल पर अभद्र हरकत करते हुए दिखाया गया. विपक्ष ने सीधे तौर पर पिंटू को इन क्लिप्स से जोड़ दिया, जिससे डैमेज कंट्रोल की राजनीति शुरू हो गई. हालांकि वीडियो की सत्यता आज तक स्थापित नहीं हो सकी.

भाजपा ने लगाया साजिश का आरोप

वीडियो वायरल होने के तुरंत बाद भाजपा कार्यकर्ता और स्थानीय नेताओं ने सार्वजनिक रूप से दावा किया कि यह पूरी तरह राजनीतिक साजिश है. उन्होंने कहा कि चुनाव के इतने नज़दीक ऐसे वीडियो आना बताता है कि किसी विरोधी दल ने इसे प्लान करके फैलाया है. पार्टी का कहना था कि वीडियो एडिटेड हैं और चरित्र हत्या की कोशिश की गई है ताकि वोटरों को भ्रमित किया जा सके.

कहानी दो साल पुरानी है: पिंटू

सुनील कुमार पिंटू ने सामने आकर कहा कि यह वही वीडियो हैं जो दो साल पहले तब वायरल किए गए थे जब वे सांसद थे. उस समय भी उनकी उम्मीदवारी रोकने की कोशिश की गई थी. पिंटू ने आरोप लगाया कि जैसे ही गृह मंत्री अमित शाह ने उनके सीतामढ़ी से चुनाव लड़ने की घोषणा की, यह पुरानी फुटेज फिर से उठाकर फैलाई गई ताकि उनकी जीत के रास्ते में रोड़े डाले जा सकें.

अमित शाह की अपील का पड़ा असर

इस विवाद के दौरान भाजपा ने पिंटू को खुलकर समर्थन दिया. गृह मंत्री अमित शाह स्वयं सीतामढ़ी पहुंचे और जनसभा में लोगों से अपील की कि वे विकास और स्थिरता के नाम पर पिंटू को जिताएं. शाह की यह रणनीति कारगर साबित हुई. जनता ने विवादों की बजाय पार्टी नेतृत्व पर भरोसा जताया और पिंटू को भारी समर्थन दिया.

नतीजों ने सब बता दिया

वोटों की गिनती ने साफ कर दिया कि वायरल वीडियोज का असर लगभग नगण्य रहा. सुनील कुमार पिंटू ने शानदार जीत दर्ज की और यह जीत इस बात की मिसाल बन गई कि बिहार की जनता अब सोशल मीडिया ट्रायल में फंसने वाली नहीं है. चुनाव में मतदाताओं ने स्पष्ट संदेश दिया, "काम देखेंगे, वीडियो नहीं." यह चुनाव बिहार की राजनीतिक परिपक्वता का एक मजबूत उदाहरण बनकर सामने आया.

बिहार विधानसभा चुनाव 2025
अगला लेख