राहुल और तेजस्वी की यात्रा के बाद चुनावी रण में कूदे ओवैसी! सीमांचल न्याय यात्रा के दौरान गठबंधन के साथ खेला या RJD को टेंशन
बिहार विधानसभा चुनाव से पहले राहुल और तेजस्वी की वोटर यात्रा के बाद ऑल इंडिया मजलिस-ए-इत्तेहादुल मुस्लिमीन (AIMIM) के प्रमुख असदुद्दीन ओवैसी चुनावी रण में कूद गए हैं. वे 24 सितंबर से चार दिवसीय ‘सीमांचल न्याय यात्रा’ शुरू करेंगे, जिसका उद्देश्य सीमांचल क्षेत्र के सामाजिक और राजनीतिक मुद्दों को उजागर करना और मुस्लिम वोटरों व युवा वर्ग को जोड़ना है. ओवैसी महागठबंधन में शामिल होने की कोशिश के बावजूद RJD से कोई सकारात्मक जवाब नहीं मिलने के बाद क्षेत्रीय गठबंधन और अपनी राजनीतिक पकड़ मजबूत करने की रणनीति पर काम कर रहे हैं.

बिहार विधानसभा चुनाव 2025 के पहले सियासी गतिविधियां तेज हो गई हैं. राहुल तेजस्वी की वोटर अधिकार यात्रा के बाद अब ऑल इंडिया मजलिस-ए-इत्तेहादुल मुस्लिमीन (AIMIM) के प्रमुख असदुद्दीन ओवैसी बुधवार (24 सिंतबर) से चार दिवसीय 'सीमांचल न्याय यात्रा' की शुरुआत कर रहे हैं. इस यात्रा का उद्देश्य सीमांचल क्षेत्र के सामाजिक, राजनीतिक और विकास संबंधी मुद्दों को उजागर करना है और जनता के बीच पार्टी की पैठ मजबूत करना है.
सीमांचल के किशनगंज से शुरू होने वाली यात्रा में ओवैसी का ध्यान विशेष रूप से मुस्लिम वोटरों और युवा वर्ग को जोड़ने पर है. यात्रा के जरिए AIMIM सीमांचल में अपने राजनीतिक प्रभाव को बढ़ाकर महागठबंधन के समीकरणों को प्रभावित करने की रणनीति पर काम कर रही है.
ऑल इंडिया मजलिस-ए-इत्तेहादुल मुस्लिमीन (AIMIM) के प्रमुख असदुद्दीन ओवैसी ने बिहार विधानसभा चुनाव प्रचार की शुरुआत 24 सितंबर से अपनी चार दिवसीय 'सीमांचल न्याय यात्रा' से की. ओवैसी ने कहा, "यह कहना गलत है कि चुनाव प्रचार अब शुरू हो रहा है। चुनाव प्रचार तो पहले से ही शुरू हो चुका है, और हमारे अध्यक्ष अख्तरुल ईमान के नेतृत्व में यह काम लगातार जारी है. अब सीमांचल में हमारी चार दिन की यात्रा की योजना है। विभिन्न निर्वाचन क्षेत्रों में हम जाएंगे, जनता से मिलेंगे और जनसभाओं का आयोजन करेंगे.
ओवैसी का अभियान और महागठबंधन में स्थिति
ओवैसी ने इंडिया गठबंधन (INDIA Bloc), जिसे बिहार में महागठबंधन कहा जा रहा है, जिसमें शामिल होने की इच्छा जताई थी. लेकिन राष्ट्रीय जनता दल (आरजेडी) से कोई सकारात्मक जवाब नहीं मिला. अब ओवैसी सीमांचल में क्षेत्रीय दलों और स्थानीय नेताओं के साथ गठबंधन की संभावनाओं को तलाश रहे हैं. उन्होंने अपने सोशल मीडिया हैंडल पर चुनाव प्रचार के पांच दिन के विस्तृत कार्यक्रम का भी एलान किया. ओवैसी ने कहा, 'मैं कल किशनगंज पहुंचूंगा और इंशाअल्लाह 27 सितंबर तक सीमांचल में रहूंगा. मैं कई साथियों से मिलने और नई दोस्ती बनाने के लिए उत्सुक हूं.'
आरजेडी का निराश जवाब और AIMIM की रणनीति
डेढ़ महीने पहले एआईएमआईएम के प्रदेश अध्यक्ष अख्तरुल इमान ने इंडिया गठबंधन को पत्र भेजकर सीमांचल के पिछड़ेपन और उपेक्षा पर ध्यान दिलाया था और एनडीए के खिलाफ एकजुट होने का आग्रह किया था. हालांकि आरजेडी की ओर से कोई जवाब नहीं आया. इसके बाद AIMIM ने सीमांचल में सक्रियता बढ़ाते हुए अपने समर्थकों और कार्यकर्ताओं से चुनावी अभियान में भाग लेने की अपील की.
सीमांचल: AIMIM के लिए उपजाऊ जमीन
सीमांचल के चार जिले किशनगंज, अररिया, पूर्णिया और कटिहार मुख्य रूप से मुस्लिम आबादी वाले हैं. यह डेमोग्राफी AIMIM के लिए अनुकूल मानी जाती है. परंपरागत रूप से यह क्षेत्र आरजेडी का गढ़ रहा है, लेकिन तस्लीमुद्दीन की मृत्यु के बाद पार्टी का प्रभाव घटा. AIMIM की एंट्री से क्षेत्र में राजनीतिक प्रतिस्पर्धा बढ़ गई है.
पिछली जीत और विधायक संकट
2020 के बिहार विधानसभा चुनाव में AIMIM ने सीमांचल क्षेत्र की पांच सीटें जीतीं. हालांकि, 2022 में चार विधायकों के आरजेडी में चले जाने से पार्टी की पकड़ कमजोर हुई. इसके बावजूद AIMIM 2025 के चुनाव में महागठबंधन में शामिल होने की इच्छा व्यक्त कर रही है. सीमांचल के जिलों में शिक्षा, स्वास्थ्य सेवा, रोजगार और बुनियादी ढांचे की समस्याएं लंबे समय से बनी हुई हैं. स्थानीय मुस्लिम आबादी सुधार की मांग कर रही है. AIMIM का लक्ष्य इन मुद्दों को उजागर करना और स्थानीय लोगों के अधिकार सुनिश्चित कराना है.
मुस्लिम वोट और युवा राजनीति
हालिया वोट वाइब सर्वे के अनुसार, 18 से 24 साल के युवा सरकार के खिलाफ नाराज हैं और इनमें से 57% महागठबंधन का समर्थन कर रहे हैं. वहीं, 45 साल से ऊपर के मतदाता एनडीए के पक्ष में हैं. मुस्लिम समुदाय का रुझान महागठबंधन की ओर सबसे मजबूत है. सर्वे में शामिल 70% मुसलमानों ने महागठबंधन को चुना, जबकि केवल 5% ने एनडीए का समर्थन किया.
आगामी चुनाव और AIMIM की उम्मीदें
AIMIM इस चुनाव में सीमांचल में अपने उम्मीदवार उतारने की तैयारी कर रही है. पिछली बार की तरह इस बार भी पार्टी बेहतर प्रदर्शन की उम्मीद कर रही है. ‘सीमांचल न्याय यात्रा’ के माध्यम से ओवैसी अपने दम पर क्षेत्र में पैठ बनाने और मुस्लिम वोटरों को जोड़ने की रणनीति पर काम कर रहे हैं.