अजब बिहार की गजब कहानी! पूर्णिया में खुलेआम चला 'फर्जी थाना', बेरोजगारों से 50 लाख की ठगी! पुलिस भी हुई हैरान
बिहार के पूर्णिया जिले में ठगों ने कसबा थाना क्षेत्र में बाकायदा एक फर्जी थाना खोल डाला और पुलिस भर्ती के नाम पर 50 लाख रुपये से अधिक की ठगी कर डाली. इस नकली थाने में वर्दीधारी लोग गश्त भी करते थे और स्थानीय लोगों से रौब से बात करते थे. जब असली पुलिस को इस बारे में भनक लगी तो मामले का खुलासा हुआ और कुछ फर्जी अधिकारियों को गिरफ्तार भी किया गया.

बिहार के पूर्णिया जिले से एक बेहद चौंकाने वाला और फिल्मी अंदाज़ वाला मामला सामने आया है, जिसने पुलिस महकमे से लेकर आम जनता तक को हैरान कर दिया है. यहां एक फर्जी थाना खोलकर न केवल कानून का मज़ाक उड़ाया गया, बल्कि बेरोजगार युवाओं को पुलिस में भर्ती कराने के नाम पर 50 लाख रुपये से भी ज़्यादा की ठगी कर ली गई.
मुख्य आरोपी का नाम राहुल कुमार साह है. उसने युवाओं को नौकरी का झांसा देकर लाखों रुपये की ठगी की. युवाओं से ग्रामीण रक्षा दल के नाम पर सिपाही और चौकीदार की भर्ती के लिए 2500 से लेकर 5 हजार रुपये तक वसूले गए. जब मामले का खुलासा हुआ तो राहुल फरार हो गया.
फर्जी थाना और फर्जी पुलिस का खेल
- राहुल कुमार साह ने मोहनी पंचायत के मध्य विद्यालय बेतौना को थाना बनाकर वहां 'पुलिसकर्मियों' की फर्जी तैनाती की.
- युवाओं को पुलिस की वर्दी, लाठी और नकली पहचान पत्र देकर उन्हें गेरूआ घाट और गांधी घाट पुल पर वाहन जांच और चालान वसूली में लगाया गया.
- बिना हेलमेट या ड्राइविंग लाइसेंस वालों से 400 रुपये तक के चालान काटे जाते थे, जिसमें से 200 रुपये युवाओं को दिए जाते थे और बाकी राहुल रखता था.
- चालान की रकम को 'सरकारी खजाने में जमा' होने की बात कहकर राहुल भरोसा दिलाता था.
शराब तस्करी और रिश्वत
यह फर्जी थाना शराब तस्करों के खिलाफ छापेमारी करता था, लेकिन असल में उनसे रिश्वत लेकर जब्त शराब और वाहनों को छोड़ दिया जाता था. गश्ती के लिए इस्तेमाल होने वाला सीएनजी ऑटो एक खास चालक नितेश कुमार उरांव द्वारा चलाया जाता था, जो खुद पुलिस की वर्दी में रहता था.
प्रशासन की चुप्पी और मिलीभगत?
- फर्जी थाना कई महीनों से चल रहा था लेकिन स्थानीय प्रशासन को इसकी भनक तक नहीं लगी.
- स्थानीय मुखिया श्याम सुंदर उरांव और उनके भतीजे सिणोद उरांव पर आरोप है कि वे इस पूरे खेल में शामिल थे.
- मुखिया ने तो गणतंत्र दिवस के मौके पर फर्जी सिपाहियों को सम्मानित तक किया था. कई जनप्रतिनिधि भी थाने के कार्यक्रमों में शरीक हुए.
सियासत में उबाल
कसबा के विधायक और बिहार सरकार के पूर्व मंत्री मो. अफाक आलम ने इस मामले में निष्पक्ष जांच की मांग की है. उन्होंने कहा, “इतना बड़ा फर्जीवाड़ा चल रहा था, फिर भी पुलिस को कोई जानकारी नहीं थी. यह सरकार बेरोजगारी को बढ़ावा दे रही है, जिसके कारण पढ़े-लिखे युवा ठगों के चंगुल में फंस रहे हैं.”
अब तक की जांच में क्या-क्या सामने आया?
- राहुल कुमार साह ने खुद को “थाना प्रभारी” बताया था और लोगों को वर्दी पहनाकर सरकारी कार्रवाई जैसा माहौल बनाया.
- शराब तस्करों से मोटी रकम लेकर उन्हें छोड़ने का खेल चलता रहा.
- वर्दीधारी लड़के-लड़कियां रोजाना वाहन चेकिंग कर पैसे वसूलते थे.
- मुखिया और कुछ जनप्रतिनिधियों की संलिप्तता के आरोप ने मामले को और संवेदनशील बना दिया है.
- पुलिस अब सीएनजी ऑटो के मालिक और राहुल के बाकी साथियों की तलाश में जुटी है.
यह मामला न सिर्फ बिहार पुलिस के सिस्टम पर सवाल खड़ा करता है, बल्कि बेरोजगारी और सिस्टम की खामियों का फायदा उठाकर कैसे ठग मासूम युवाओं को शिकार बना रहे हैं, इसका जीता-जागता उदाहरण है.