बिहार में ब्राह्मणों की सियासी धाक, इन 5 बड़े नेताओं ने छोड़ी अमिट छाप
बिहार की सियासत में जातीय समीकरण हमेशा से चर्चा में रहे हैं. यादव, कुर्मी, दलित, कुशवाहा, मुस्लिम इन पर तो खूब बातें होती हैं, लेकिन ब्राह्मण नेता भी इस राजनीति के चुपचाप लेकिन मजबूत किरदार हैं. कभी सत्ता के सूत्रधार बने, तो कभी विपक्ष की रीढ़. आज हम बात करेंगे बिहार के उन 5 ब्राह्मण नेताओं की जिन्होंने अपने कद और काम से राजनीति में अमिट छाप छोड़ी है.

बिहार की राजनीति में भले ही ब्राह्मणों की संख्या अन्य जातियों से कम हो, लेकिन प्रभाव के मामले में उन्होंने हमेशा अपनी खास जगह हमेशा बनाई. हर दौर में ब्राह्मण नेता अपना असर दिखाते रहे हैं. यहां तक की लालू यादव के राज में भी ब्राह्मण की भूमिका को खारिज नहीं किया जा सकता. राबड़ी देवी को सीएम बनाने के पीछे भी ब्राह्मण नेता रघुनाथ झा ने ही पहल की थी. जानिए, आज के दौर के 5 प्रमुख ब्राह्मण चेहरों के बारे में जिन्होंने विधानसभा से लेकर संसद तक और सड़कों से लेकर सत्ता के गलियारों तक अपनी पैठ बनाई.
1. सीएम के करीबी नेता हैं संजय झा
संजय झा जनता दल यूनाइटेड (JDU) के राष्ट्रीय कार्यकारी अध्यक्ष हैं. वह बिहार की राजनीति में एक प्रमुख चेहरा हैं. वे पार्टी के राष्ट्रीय प्रवक्ता और बिहार सरकार में मंत्री रह चुके हैं. मुख्यमंत्री नीतीश कुमार के करीबी माने जाते हैं. संजय झा की पहचान एक संतुलित, संयमित और तथ्य आधारित वक्ता के रूप में होती है, जो मीडिया डिबेट्स में पार्टी का पक्ष मजबूती से रखते हैं. वे जल संसाधन मंत्री जैसे अहम विभागों की जिम्मेदारी भी संभाल चुके हैं. बिहार में विकास योजनाओं खासकर सिंचाई और जल प्रबंधन से जुड़े मुद्दों में उनकी सक्रिय भूमिका रही है. उनकी राजनीति संवाद और नीतियों के जरिए जनसेवा की दिशा में केंद्रित रही है.
2. सामाजिक न्याय के पैरोकार हैं मनोज झा
राज्यसभा सांसद मनोज झा राष्ट्रीय जनता दल के वरिष्ठ नेता और पार्टी के मुख्य प्रवक्ता हैं. पेशे से प्रोफेसर रहे झा समाजशास्त्र में गहरी पकड़ रखते हैं. संसद में उनकी भाषण शैली बेहद प्रभावशाली मानी जाती है. सामाजिक न्याय, वंचित वर्गों के अधिकार और संवैधानिक मूल्यों की वकालत करने वाले मनोज झा बिहार के प्रमुख राजनीतिक बुद्धिजीवियों में गिने जाते हैं. वर्तमान में वह आरजेडी को फिर से बिहार की सत्ता में वापसी कराने की जद्दोजहद में जुटे हैं.
3. रणनीतिकार से जन नेता बने प्रशांत किशोर
प्रशांत किशोर एक चुनावी रणनीतिकार से नेता बने हैं. उन्होंने कई बड़े राजनीतिक दलों की चुनावी जीत में अहम भूमिका निभाई है, जिनमें भाजपा, कांग्रेस, तृणमूल कांग्रेस और जेडीयू प्रमुख हैं. I-PAC" के संस्थापक किशोर ने अब राजनीति में 'जन सुराज पार्टी' के जरिए सीधे पब्लिक जुड़ाव की राह चुनी है. बिहार की राजनीति को नया विमर्श देने की उनकी कोशिश उन्हें रणनीतिकार से एक जन नेता के रूप में स्थापित करने की ओर बढ़ रही है.
4. बीजेपी के भरोसेमंद चेहरा - मंगल पांडे
मंगल पांडे भारतीय जनता पार्टी के वरिष्ठ नेता और बिहार के स्वास्थ्य मंत्री हैं. वे संगठन से लेकर सरकार तक पार्टी के लिए एक भरोसेमंद चेहरा रहे हैं. पांडे बिहार भाजपा के प्रदेश अध्यक्ष भी रह चुके हैं और कोविड काल के दौरान स्वास्थ्य मंत्री के रूप में उनकी भूमिका चर्चा में रही थी. पार्टी के प्रति निष्ठा और संगठनात्मक अनुभव उनकी राजनीतिक पूंजी है.
5. नीतीश मिश्रा - काम के बल पर बनाई अलग पहचान
नीतीश मिश्रा झंझारपुर से विधायक और बिहार सरकार में मंत्री हैं. राजनीति में पारिवारिक विरासत के साथ कदम रखने वाले नीतीश मिश्रा ने अपनी अलग पहचान बनाई. वे पहले जेडीयू और अब बीजेपी में सक्रिय रहे. पार्टी के प्रमुख ब्राह्मण चेहरे के तौर पर जाने जाते हैं. पढ़ाई-लिखाई में मजबूत और सहज स्वभाव के नीतीश मिश्रा को नीति निर्माण और प्रशासनिक क्षेत्र में अच्छा अनुभव है. बीजेपी को बिहार में संगठन को मजबूत करने में उनसे मदद मिल रही है. नीतीश मिश्रा पर्दे के पीछे रहकर काम करने वालों में शुमार हैं. मिश्रा 2005 से 2015 के बीच बिहार सरकार में विभिन्न मंत्रालयों के प्रमुख रहे. इनमें ग्रामीण विकास मंत्रालय, समाज कल्याण विभाग, आपदा प्रबंधन विभाग और गन्ना विकास विभाग शामिल हैं.