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बेटे के बाद पिता को भी निगल गया पटना! जानिए कौन थे गोपाल खेमका, जिनकी हत्या ने बिहार को हिला दिया

पटना के नामी उद्योगपति डॉ. गोपाल खेमका की सिर में गोली मारकर हत्या से राजधानी दहल गई है. रामगुलाम चौक पर घात लगाए अपराधियों ने कार से उतरते ही खेमका को निशाना बनाया. 2018 में बेटे की हत्या के बाद अब पिता की हत्या ने कानून व्यवस्था पर गंभीर सवाल खड़े कर दिए हैं. पुलिस की देरी और सुरक्षा चूक से लोगों में आक्रोश है.

बेटे के बाद पिता को भी निगल गया पटना! जानिए कौन थे गोपाल खेमका, जिनकी हत्या ने बिहार को हिला दिया
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नवनीत कुमार
Curated By: नवनीत कुमार

Published on: 5 July 2025 12:53 PM

पटना की शांत रात उस वक्त सन्नाटे में बदल गई जब शहर के जाने-माने उद्योगपति डॉ. गोपाल खेमका की 4 जुलाई की रात हत्या कर दी गई. घटना गांधी मैदान थाना क्षेत्र के रामगुलाम चौक के पास हुई, जहां पहले से घात लगाए अपराधियों ने उन्हें कार से उतरते ही सिर में गोली मार दी. यह वारदात न सिर्फ पटना, बल्कि पूरे राज्य के कारोबारी समाज में डर और आक्रोश का कारण बन गई है.

घटना के तुरंत बाद इलाके में अफरा-तफरी मच गई. पुलिस ने शव को पोस्टमार्टम के लिए भेज दिया और एफएसएल टीम ने मौके से साक्ष्य जुटाए. पटना पुलिस की सतर्कता पर सवाल उठे तो डीजीपी विनय कुमार के निर्देश पर एसआईटी गठित की गई, जिसकी कमान सेंट्रल एसपी दीक्षा को सौंपी गई है. लेकिन इस हाई-प्रोफाइल केस ने पुलिस की कार्यशैली पर गहरी चोट की है.

कौन थे कारोबारी और डॉक्टर गोपाल खेमका?

डॉ. गोपाल खेमका पटना के एक प्रतिष्ठित उद्योगपति और हेल्थकेयर सेक्टर से जुड़े व्यवसायी थे. उन्होंने एमबीबीएस की पढ़ाई के बाद चिकित्सा सेवा के क्षेत्र में कदम रखा और पटना के राजेंद्र नगर में मगध हॉस्पिटल की स्थापना की, जो शहर का एक प्रसिद्ध निजी अस्पताल माना जाता है. पटना में मगध हॉस्पिटल की स्थापना के बाद वे स्वास्थ्य सेवा के क्षेत्र में एक बड़ा नाम बन गए. स्वास्थ्य सेवा के अलावा, उन्होंने पेट्रोल पंप और औद्योगिक क्षेत्र में भी कारोबार फैलाया. हाजीपुर इंडस्ट्रियल एरिया में उनकी कार्टन फैक्ट्री थी, जिसकी देखरेख पहले उनके बेटे गुंजन खेमका किया करते थे.

व्यवसायिक जीवन के साथ-साथ खेमका सामाजिक और सांस्कृतिक गतिविधियों में भी सक्रिय थे. वे बांकीपुर क्लब के सचिव भी रह चुके थे और वर्तमान में इसके सक्रिय सदस्य थे. खेमका कभी भारतीय जनता पार्टी (BJP) से भी जुड़े रहे, लेकिन 2018 में बेटे की हत्या के बाद उन्होंने राजनीति से दूरी बना ली थी. एक सफल व्यवसायी के साथ-साथ वे समाजसेवा और स्वास्थ्य सेवा में भी सक्रिय भूमिका निभाते रहे, जिससे उन्हें एक संवेदनशील और सम्मानित नागरिक के रूप में जाना जाता था. उनकी बेटी लंदन में रहती है, छोटे बेटे गौरव खेमका पटना के IGIMS में डॉक्टर हैं.

बेटे की हत्या से टूटा था परिवार

2018 में गोपाल खेमका के बेटे गुंजन खेमका की हत्या वैशाली के हाजीपुर इंडस्ट्रियल एरिया में की गई थी. गुंजन कार्टन फैक्ट्री संभालते थे और उन्हें भी उसी तरह गोली मार दी गई थी जैसे अब पिता को मारा गया. इस वारदात ने बिहार के उद्योग जगत को झकझोर दिया था. वहीं, छोटे बेटे पर भी कुछ समय पहले जानलेवा हमला हो चुका था, जिससे पूरा परिवार सुरक्षा को लेकर सशंकित था.

अपराधियों ने कैसे की हत्या?

रिपोर्ट्स के अनुसार, गोपाल खेमका देर रात किसी काम से लौट रहे थे. जैसे ही उन्होंने होटल पनाश के पास स्थित अपार्टमेंट के बाहर कार रोकी और बाहर निकले, बाइक सवार बदमाशों ने सिर में दो गोलियां दाग दीं. हमला इतना सटीक था कि खेमका मौके पर ही गिर पड़े और उनकी वहीं मौत हो गई. अपराधी कुछ ही सेकंड में फरार हो गए, जबकि पुलिस काफी देर से मौके पर पहुंची.

सुरक्षा में चूक या लापरवाही?

गोपाल खेमका के भाई संतोष खेमका ने साफ आरोप लगाया कि गांधी मैदान थाना महज कुछ सौ मीटर की दूरी पर है, फिर भी पुलिस घटनास्थल पर घंटों देरी से पहुंची. करीब डेढ़ बजे थाना पुलिस, ढाई बजे एसपी दीक्षा पहुंचीं. यह प्रशासन की संवेदनहीनता को दर्शाता है. सवाल यह भी उठे कि बेटे की हत्या के बाद भी गोपाल खेमका की सुरक्षा को लेकर कोई ठोस व्यवस्था क्यों नहीं की गई?

क्यों उठ रहे सवाल?

पटना जैसे संवेदनशील इलाके में एक के बाद एक उद्योगपति की हत्या यह दर्शाता है कि अपराधियों के हौसले कितने बुलंद हैं और सुरक्षा तंत्र कितना ढीला. शहर के हृदयस्थल में इस तरह की घटना से स्पष्ट है कि अपराधियों को न तो कानून का डर है और न ही प्रशासन की चिंता. यह वारदात एक बार फिर बिहार में कारोबारी असुरक्षा और प्रशासनिक विफलता की गवाही दे रही है.

अब आगे क्या?

एसआईटी गठित हो चुकी है, पुलिस ने जांच शुरू कर दी है, सीसीटीवी फुटेज खंगाले जा रहे हैं. लेकिन सवाल वही है- क्या गोपाल खेमका को इंसाफ मिलेगा? या यह भी एक और अनसुलझे केस की तरह फाइलों में दफन हो जाएगा? जवाब आने वाले दिनों में मिलेगा, लेकिन फिलहाल बिहार का कारोबारी वर्ग डरा हुआ है और जनता जवाब मांग रही है.

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