बिहार चुनाव में हार की जिम्मेदारी मेरी, करूंगा मौन उपवास... प्रशांत किशोर ने नीतीश कुमार पर क्या-क्या लगाए आरोप?
बिहार चुनाव हार के बाद प्रशांत किशोर ने जिम्मेदारी लेते हुए मौन उपवास का ऐलान किया. नीतीश सरकार पर पैसे देकर वोट खरीदने का गंभीर आरोप लगाया और नई लड़ाई शुरू करने की घोषणा की. साथ ही उन्होंने कहा कि मैं अभी भी 25 सीट वाले बयान पर कायम हूं.
बिहार चुनाव में मिली हार ने प्रशांत किशोर को भीतर तक झकझोर दिया है. एक रणनीतिकार से नेता बने पीके ने पहली बार इतनी खुलकर स्वीकार किया है कि जनता ने उनके प्रयासों पर भरोसा नहीं दिखाया. लेकिन यह हार उन्हें पीछे नहीं धकेल रही बल्कि और तेज़ वापसी की तैयारी करवा रही है. तीन साल की निःस्वार्थ राजनीतिक यात्रा का नतीजा भले वैसा न आया हो, जैसा उन्होंने सोचा था, लेकिन उन्होंने साफ कर दिया है कि बिहार की जमीन छोड़ने का सवाल ही नहीं उठता.
पीके ने प्रेस कॉन्फ्रेंस में जो कुछ कहा, उससे यह स्पष्ट है कि उनका संघर्ष अब डेटा-शीट्स और रणनीतियों से आगे बढ़ चुका है. अब वे इस लड़ाई को नैतिकता, पारदर्शिता और राजनीतिक ईमानदारी के फ्रेम में लड़ने की बात कर रहे हैं. हार की जिम्मेदारी उन्होंने पूरी तरह अपने कंधों पर ली, लेकिन जीत के पीछे छिपे “पैसे की ताकत” पर सवाल उठाकर उन्होंने आगामी दिनों की सियासत की दिशा भी तय कर दी है.
हार का सामना, लेकिन हिम्मत बरकरार
प्रेस कॉन्फ्रेंस के दौरान प्रशांत किशोर ने बिना किसी बहाने के हार स्वीकार की. उन्होंने साफ कहा कि व्यवस्था परिवर्तन का सपना पूरा नहीं हुआ और वे सत्ता के गलियारों तक भी नहीं पहुंच पाए. उनकी यह स्वीकारोक्ति इस बात का संकेत है कि वे परिणामों से भागने वाले नेता नहीं, बल्कि उनसे सीखने वाले शख्स हैं.
बिहार छोड़ने वालों का भ्रम टूटे
पीके ने एक बार फिर दोहराया कि वे बिहार छोड़ने वालों में से नहीं हैं. उन्होंने कहा कि लोग चाहे जितनी अफवाहें फैलाएं, वे इसी राज्य में रहकर, इसे बदलने के लिए लगातार काम करते रहेंगे. उन्होंने अपने समर्थकों को भरोसा दिलाया कि अगली लड़ाई और भी मजबूत होगी.
मौन उपवास का ऐलान
जनसुराज नेता ने हार के बाद आत्ममंथन के लिए मौन उपवास की घोषणा की. उन्होंने कहा कि उनसे गलतियां जरूर हुई होंगी, पर उन्होंने कोई गुनाह नहीं किया. भितिहरवा आश्रम में होने वाला यह उपवास उनके लिए एक तरह का आत्मशुद्धि का तरीका है, जिसमें वे अपने आगे के रास्ते को और स्पष्ट करना चाहते हैं.
चुनाव में ‘पैसे के खेल’ का आरोप
पीके ने सबसे गंभीर आरोप नीतीश कुमार की अगुवाई वाली एनडीए सरकार पर लगाया. उन्होंने कहा कि इस चुनाव में पहली बार वोट को खुलकर पैसे से खरीदने का प्रयास हुआ. उनका दावा है कि हर विधानसभा क्षेत्र में हजारों वोटरों को 10,000 रुपये दिए गए और भविष्य में 2 लाख रुपये देने का लालच दिखाया गया.
सरकारी तंत्र के ‘प्रयोग’ का बड़ा दावा
प्रशांत किशोर ने आरोप लगाया कि आशा कार्यकर्ताओं से लेकर जीविका दीदियों तक, पूरा प्रशासनिक ढांचा वोट डलवाने के लिए मैदान में उतारा गया. उन्होंने कहा कि अगर सरकार ने सच में डेढ़ करोड़ महिलाओं को 10,000 रुपये किसी योजना के तहत दिए हैं, तो चुनाव के बाद छह महीने में 2 लाख रुपये देने का वादा पूरा करके दिखाए.
25 सीट वाले बयान पर कायम हूं
अपने ही बयान पर सवाल उठने के बाद पीके ने दृढ़ता से कहा कि वे आज भी उस बात पर खड़े हैं. अगर सरकार वादा निभा दे और हर महिला को 2 लाख रुपये दे दे, तो वे सार्वजनिक तौर पर राजनीति छोड़ देंगे. उन्होंने इसे सलाह से संघर्ष की ओर बढ़ने वाला समय बताया.
जनता के साथ प्रशासनिक लड़ाई का ऐलान
पीके ने कहा कि अगर महिलाओं को वादा किए गए पैसे नहीं मिले, तो जनसुराज उनका साथ देगा. वे ब्लॉक ऑफिस, जिला ऑफिस, यहां तक कि मुख्यमंत्री आवास तक मार्च करने को तैयार हैं. यह बयान बताता है कि आने वाले दिनों में सड़कों पर आंदोलन की गर्मी बढ़ सकती है.
‘राजनीति नहीं, बिहार की बात छोड़ना मुश्किल’
जब उनसे पूछा गया कि क्या वे राजनीति छोड़ देंगे, तो उन्होंने हल्के लेकिन सख्त अंदाज में कहा, “मैं कौन-सा पद लेकर आया हूं कि इस्तीफा दूं? मैं राजनीति करता ही नहीं हूं… मैं बिहार की बात करता हूं, और इसे छोड़ना मेरे बस की बात नहीं.” उनका यह जवाब साफ करता है कि पीके पार्टी की कुर्सियों से नहीं, जमीन की लड़ाई से राजनीति देखना पसंद करते हैं.





