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72 घंटे में सुलझा दिया था खेमका हत्याकांड, आनंद मोहन को किया गिरफ्तार, अब बने बिहार के DG; जानें कौन हैं IPS कुंदन कृष्णन

पटना के व्यवसायी खेमका हत्याकांड को 72 घंटे में सुलझाने वाले आईपीएस एस. कुंदन कृष्णन को बिहार का नया पुलिस महानिदेशक बनाया गया है. वह 2006 में बिहार के बाहुबली नेता आनंद को गिरफ्तार करने की वजह से अपने करियर के शुरुआती वर्षों में ही सुर्खियों में आ गए थे. जानिए कौन हैं कुंदन कृष्णन, आनंद मोहन की गिरफ्तारी में क्या थी उनकी भूमिका और क्यों माने जाते हैं सख्त अफसर.

72 घंटे में सुलझा दिया था खेमका हत्याकांड, आनंद मोहन को किया गिरफ्तार, अब बने बिहार के DG; जानें कौन हैं IPS कुंदन कृष्णन
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( Image Source:  Home Department, GoB @BiharHomeDept )

बिहार पुलिस को नया मुखिया मिल गया है. 72 घंटे में हाई-प्रोफाइल खेमका हत्याकांड का खुलासा करने वाले और आनंद मोहन जैसे प्रभावशाली नेता की गिरफ्तारी में अहम भूमिका निभाने वाले आईपीएस एस. कुंदन कृष्णन को बिहार का नया पुलिस महानिदेशक (DGP) नियुक्त किया गया है. वह एक जनवरी 2026 से डीजी पद की जिम्मेदारी संभालेंगे. उनकी गिनती बिहार कैडर के सबसे सख्त, प्रोफेशनल और फील्ड-ओरिएंटेड अफसरों में होती है. जानिए, कौन हैं कुंदन कृष्णन और क्यों उन पर सरकार ने सबसे बड़ी जिम्मेदारी सौंपी? नीतीश सरकार को उन पर क्यों है सबसे ज्यादा भरोसा?

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आईपीएस एस. कुंदन कृष्णन इस वक्त बिहार पुलिस के सबसे चर्चित और सख्त अफसरों में गिने जाते हैं. तेज फैसलों, क्राइम कंट्रोल और हाई-प्रोफाइल मामलों में निर्णायक कार्रवाई के कारण ही उन्हें बिहार का पुलिस महानिदेशक (DGP) बनाया गया है.

कौन हैं IPS एस. कुंदन कृष्णन?

1994 बैच के आईपीएस कुंदन कृष्णन बिहार कैडर के पुलिस अफसर हैं. उनकी छवि सख्त, प्रोफेशनल और नो-नॉनसेंस अफसर वाली है. उनकी संगठित अपराध, माफिया और वीआईपी अपराध मामलों में निर्णायक कार्रवाई वाली पहचान है. कुंदन कृष्णन को बिहार में ऐसे अफसर के रूप में जाना जाता है जो राजनीतिक दबाव के बिना कानून का पालन कराने पर जोर देते हैं.

बिहार के DGP क्यों बनाए गए?

नीतीश सरकार द्वारा उन्हें DGP बनाने का फैसला कई वजहों से लिया गया है. इनमें लॉ एंड ऑर्डर पर मजबूत पकड़, पटना, भागलपुर और अन्य संवेदनशील जिलों में तैनाती के दौरान उन्होंने अपराधियों के खिलाफ त्वरित कार्रवाई की, पुलिस सिस्टम में अनुशासन, हाई-प्रोफाइल केसों में तेजी से जांच जैसी मिसाल पेश की. सबसे बड़ी बात यह है कि वर्तमान बिहार सरकार ऐसे अफसर को शीर्ष पद देना चाहती थी जो प्रशासनिक रूप से मजबूत हो और विवादों से दूर रहने वाला हो. इतना ही नहीं, जो कानून व्यवस्था पर नियंत्रण रखता हो.

आनंद मोहन को क्यों किया था गिरफ्तार?

आईपीएस कुंदन कृष्णन का नाम आनंद मोहन केस से भी जुड़ा रहा है, जो बिहार के सबसे विवादित और चर्चित मामलों में से एक है. दिसंबर 1994 में आईएएस अधिकारी जी. कृष्णैया की भीड़ द्वारा हत्या कर दी गई थी. उस वक्त आनंद मोहन पर भीड़ को उकसाने, हिंसा भड़काने और प्रशासन को चुनौती देने के गंभीर आरोप लगे थे.

कुंदन कृष्णन की भूमिका

कुंदन कृष्णन उन अफसरों में थे जिन्होंने राजनीतिक दबाव के बावजूद बाहुबली नेता आनंद मोहन 2006 में गिरफ्तार किया और कानूनी प्रक्रिया को आगे बढ़ाया. उनका संदेश साफ था कि कानून से ऊपर कोई नहीं हो सकता. इसी वजह से उन्हें एक निर्भीक और निष्पक्ष आईपीएस के रूप में पहचान मिली. कुंदन कृष्णन की पुलिसिंग स्टाइल क्राइम पर जीरो टॉलरेंस, केस-बेस्ड मॉनिटरिंग, फील्ड अफसरों से सीधा संवाद, हाई-प्रोफाइल मामलों में व्यक्तिगत निगरानी, उनकी छवि एक ऐसे अफसर की है जो फाइल से ज्यादा फील्ड पर भरोसा करता है.

क्यों अहम है उनका DGP बनना?

बिहार में बढ़ते संगठित अपराध पर लगाम, पुलिस की कार्य संस्कृति में सख्ती, अपराधियों और माफिया नेटवर्क के लिए स्पष्ट संदेश देना है. कुंदन कृष्णन का DGP बनना सिर्फ नियुक्ति नहीं, बल्कि सरकार की ‘लॉ एंड ऑर्डर प्राथमिकता’ का संकेत माना जा रहा है.

खेमका हत्याकांड से क्यों आए सुर्खियों में?

बिहार खेमका हत्याकांड (Gopal Khemka Murder Case) एक हाई-प्रोफाइल हत्या मामला है, जिसमें पटना (बिहार) के प्रसिद्ध व्यवसायी गोपाल खेमका को 4 जुलाई 2025 की रात उनके आवास के पास गोली मारकर हत्या कर दिया गया था. गोपाल खेमका को पटना के गांधी मैदान इलाके में उनके घर के बाहर मोटरसाइकिल पर आए हथियारबंद शूटर ने गोली मारी थी. गोपाल खेमका पटना के जाने-माने व्यवसायी थे.

हत्या के पीछे जमीन और व्यवसाय से जुड़ी रंजिश/विवाद का मुख्य कारण बताया गया है. पुलिस के मुताबिक खेमका और एक अन्य व्यापारी अशोक साव के बीच भूमि विवाद था, जिसने हत्या की साजिश को जन्म दिया. जांच में सामने आया कि शूटर उमेश यादव को इस हत्या के लिए करीब ₹3.3-4 लाख का कॉन्ट्रैक्ट दिया गया था, जिसमें अग्रिम राशि भी दी गई थी.

कब और कैसे खुलासा हुआ?

मुख्य घटना के लगभग 72 घंटों (3 दिनों) के भीतर ही बिहार पुलिस ने मामले में बड़ा खुलासा किया और मुख्य आरोपियों को पकड़ने में सफलता हासिल की. इस केस का खुलासा आईपीएस अधिकारी कुंदन कृष्णन (IPS Kundan Krishnan) ने सुलझाया था. कुंदन कृष्णन बिहार के एडीजी (मुख्यालय) हैं और उन्हीं के नेतृत्व में पुलिस टीम ने 72 घंटे के भीतर मुख्य शूटर और आरोपी को गिरफ्तार कर केस में अहम खुलासे का दावा किया था. इनके इस तेज और प्रभावी काम के लिए उन्हें काफी सराहना भी मिली.

इस वजह से रहे विवादों में

एडीजी (मुख्यालय) कुंदन कृष्णन ने जुलाई 2025 में मीडिया से बातचीत में एक ऐसा बयान दिया थ्ज्ञा, जिसने राजनीतिक और सामाजिक हलकों में बहस छेड़ दी थी. उन्होंने कहा था कि बिहार में हत्याएं गर्मियों के महीनों अप्रैल, मई और जून में सबसे ज्यादा होती हैं. ये सिलसिला तब तक जारी रहता है जब तक मानसून नहीं आ जाता. कुंदन कृष्णन ने अपने बयान में कहा, "हाल में बिहार में काफी हत्याएं हुई हैं. आंकड़े बताते हैं कि सबसे ज्यादा हत्याएं अप्रैल, मई और जून में होती हैं. इसका कारण यह है कि इस दौरान किसानों के पास काम नहीं होता. वे बेरोजगार रहते हैं, जिससे आपसी विवाद बढ़ते हैं और कई बार ये विवाद हत्याओं में बदल जाते हैं. जब बारिश शुरू हो जाती है और खेती का काम शुरू होता है, तो ये घटनाएं अपने आप कम हो जाती हैं.

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