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Bihar SIR: ये क्या, बिहार में EC कर रहा शहरी-ग्रामीण मतदाता के बीच भेदभाव? 'आधार' पटना में मान्य और सीमांचल में अमान्य कैसे

Bihar Voter List: बिहार में मतदाता सूची में संशोधन का काम युद्ध स्तर पर जारी है. इस बीच चौंकाने वाली सूचना यह है कि मतदाता संशोधन के काम जुटे अफसर पटना में 'आधार कार्ड' को स्वीकार कर रहे हैं. जबकि सीमांचल सहित कई अन्य क्षेत्रों में इसे अधिकारी मान्य दस्तावेज स्वीकार करने के लिए तैयार नहीं हैं.

Bihar SIR: ये क्या, बिहार में EC कर रहा शहरी-ग्रामीण मतदाता के बीच भेदभाव? आधार पटना में मान्य और सीमांचल में अमान्य कैसे
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( Image Source:  Election Commission of India/@ECISVEEP )

Bihar SIR News Today: बिहार में चुनाव आयोग की ओर से विशेष गहन मतदाता सूची पुनरीक्षण अभियान जारी है. दूसरी तरफ विपक्ष ने ईसी (Election Commission) के इस फैसले को सड़कों पर उतरकर विरोध किया है. इस बीच बिहार एसआईआर को लेकर चौंकाने वाली खबर यह है कि ईसी पटना में वोटर्स से एसआईआर के लिए आधार कार्ड को स्वीकार कर रहा है, लेकिन सीमांचल के चार जिले (कटिहार, किशनगंज, पूर्णिया और अररिया) सहित कुछ अन्य ग्रामीण क्षेत्रों में आधार कार्ड स्वीकार नहीं कर रहा है. अब इसको लेकर बिहार में नया बवाल शुरू हो गया है. वोटर्स का सवाल है कि एक ही कानून के तहत जारी इस अभियान में पटना और सीमांचल के लोगों के बीच चुनाव आयोग मतभेद कैसे कर सकता है?

दरअसल, चुनाव बिहार में चुनाव आयोग द्वारा करवाए जा रहे मतदाता सूची के विशेष गहन पुनरीक्षण (SIR) में तेजी आई है, जिसमें बुधवार तक 7.89 करोड़ नामांकित मतदाताओं में से 57% (4.5 करोड़) ने अपने गणना फॉर्म जमा कर दिए हैं. इस अभियान को लेकर अफसरों और अलग-अलग क्षेत्रों के लोगों से बात करने के बाद खुलासा हुआ है कि यह प्रक्रिया शहरी और ग्रामीण क्षेत्रों में अलग-अलग ढंग से चल रही है.

टीओआई के मुताबिक चुनाव आयोग के अफसर पटना में एसआईआर कराने के लिए आधार कार्ड के आधार पर फॉर्म ले रहे हैं. पटना और आसपास के इलाकों के वोटरों को फॉर्म भरने और हस्ताक्षर करने के लिए कहा गया है. साथ ही वोटर आईडी कार्ड, आधार कार्ड या राशन कार्ड की कॉपी जमा करने को कहा गया है, अगर उनके पास चुनाव आयोग द्वारा आवश्यक 11 दस्तावेजों में से कोई भी नहीं है.

टीओआई ने राहुल यादव के हवाले से बताया है कि एक वार्ड पार्षद को चिंतित महिलाओं के एक समूह से कहते हुए देखा गया, 'परेशान मत होइए, अपना आधार कार्ड उपलब्ध करा दीजिए.' आधार और राशन कार्ड चुनाव आयोग द्वारा अनिवार्य 11 दस्तावेजों की सूची में शामिल नहीं हैं, जिससे विपक्षी इंडिया ब्लॉक ने व्यापक विरोध प्रदर्शन किया है.

बिहार के इन इलाकों में आधार कार्ड अमान्य

दूसरी तरफ सीमांचल और बिहार के अन्य ग्रामीण हिस्सों में जन्म प्रमाण पत्र या जाति या भूमि आवंटन दस्तावेज मांगे जा रहे हैं. पटना के बीएलओ का कहना है कि उन्हें केवल मौजूदा मतदाताओं द्वारा गणना फॉर्म भरने और हस्ताक्षर करने के लिए कहा गया है और उन्हें अपलोड करने के लिए कहा गया है. चुनाव आयोग का कहना है कि जरूरी दस्तावेज बाद में जमा किए जा सकते हैं. फॉर्म जमा करने की अंतिम तिथि 25 जुलाई है.

चुनाव आयोग के लिए इन 11 दस्तावेजों में से एक भी मांगना सीमांचल क्षेत्र के किशनगंज, पूर्णिया, अररिया और कटिहार जिलों में असली चुनौती है, जहां लोगों के पास उचित दस्तावेज नहीं थे और वे आवासीय प्रमाण पत्र पाने के लिए इन दिनों प्रखंड कार्यालयों में लंबी कतारों में खड़े दिखाई देते हैं.

इस महीने के पहले हफ्ते में अकेले किशनगंज जिले में ही दो लाख से ज्यादा ऐसे आवेदन जमा किए गए हैं. बीजेपी के उप-मुख्यमंत्री सम्राट चौधरी ने कहा, "यह चिंताजनक है और इसकी जांच होनी चाहिए."

पूर्वी चंपारण जिले के ग्रामीण इलाकों के लगभग एक दर्जन बीएलओ ने संपर्क करने पर बताया कि चूेकि आधार कार्ड एक वैध दस्तावेज नहीं है और मतदाता के रूप में नामांकन के लिए जन्म प्रमाण पत्र अनिवार्य है, इसलिए उनका सुझाव है कि मतदाता जाति प्रमाण पत्र, भूमि आवंटन प्रमाण पत्र या कोई विशिष्ट पारिवारिक रजिस्टर दिखाएं.

एक परिवार के कम से कम दो से पांच सदस्य लंबे समय से शहरी इलाकों में पलायन कर चुके हैं और गांवों में उपलब्ध नहीं हैं. पूर्वी चंपारण के पताही प्रखंड के रूपानी गांव में लगभग 25 परिवार इस समस्या का सामना कर रहे हैं क्योंकि उनके पास कोई दस्तावेज नहीं है. एक महिला मतदाता ने कहा, "हमारे पास केवल मतदाता पहचान पत्र हैं और हमने पिछले चुनावों में उसी के आधार पर वोट डाला था. बीएलओ ने सुझाव दिया था कि हम जहां रहते हैं, वहीं अपना नाम दर्ज कराएं."

जो लोग बाहर जाकर नौकरी करते हैं, उन्हें भी फॉर्म भरने में मुश्किल हो रही है. पश्चिम बंगाल के बनगांव में तैनात रेलवे कर्मचारी श्याम बिहारी ओझा ने बताया कि वह भोजपुर जिले के आरा के पास बभनगांव के निवासी हैं. उन्होंने कहा, "मैं अपने माता-पिता के दस्तावेजों के लिए गांव जाने के लिए छुट्टी नहीं ले सकता, जो 11 दस्तावेजों में से एक है. मेरे पिता को मतदाता सूची संशोधन के बारे में भी जानकारी नहीं है. मेरे माता-पिता के पास आधार कार्ड के अलावा कोई जन्म प्रमाण पत्र या कोई अन्य दस्तावेज नहीं है."

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