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बिहार चुनाव 2025: मांझी और कुशवाहा की नाराज़गी से गठबंधन में तनाव, अब दोनों को कैसे मनाएगी एनडीए?

बिहार विधानसभा चुनाव 2025 के लिए एनडीए में सीटों का बंटवारा रविवार को औपचारिक रूप से घोषित कर दिया गया. इसके तहत बीजेपी और जेडीयू को 101-101 सीटें मिली हैं, जबकि एलजेपी को 29 सीटें और छोटे सहयोगियों ‘हम’ और आरएलएम को मात्र 6-6 सीटें दी गई हैं. चिराग पासवान की पार्टी को अधिक सीटें मिलने से उनकी खुशी दिख रही है, लेकिन जीतन राम मांझी और उपेंद्र कुशवाहा की नाराज़गी गठबंधन की एकजुटता पर सवाल खड़ा कर रही है. दोनों नेता अपने जातीय वोट बैंक में मजबूत पकड़ रखते हैं और उनका असंतोष चुनाव परिणामों को प्रभावित कर सकता है.

बिहार चुनाव 2025: मांझी और कुशवाहा की नाराज़गी से गठबंधन में तनाव, अब दोनों को कैसे मनाएगी एनडीए?
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( Image Source:  ANI )
नवनीत कुमार
Edited By: नवनीत कुमार

Published on: 13 Oct 2025 11:09 AM

बिहार विधानसभा चुनाव के लिए एनडीए में सीटों का बंटवारा रविवार को औपचारिक रूप से घोषित कर दिया गया. इसके तहत बीजेपी और जेडीयू को बराबर 101-101 सीटें मिली हैं. चिराग पासवान की एलजेपी (रामविलास) को 29 सीटें दी गईं, जबकि छोटे सहयोगी दल ‘हम’ (HAM) और आरएलएम (RLM) को मात्र 6-6 सीटों से संतोष करना पड़ा. इस सीट बंटवारे ने गठबंधन के भीतर संतुलन बनाए रखने की चुनौती को और बढ़ा दिया है.

चिराग पासवान के लिए सीट बंटवारा खासा फायदेमंद माना जा रहा है. उनके नेतृत्व वाली एलजेपी को उम्मीद से अधिक 29 सीटें मिलीं, जिससे पार्टी की चुनावी तैयारियों में बल बढ़ा. राजनीतिक विश्लेषकों का कहना है कि इससे एलजेपी का आत्मविश्वास बढ़ेगा और NDA के लिए यह गठबंधन मजबूत संकेत है.

जीतन राम मांझी ने जताया असंतोष

वहीं, जीतन राम मांझी की ‘हम’ पार्टी केवल 6 सीटों पर ही सिमट गई. मांझी ने कहा कि “हमें सिर्फ 6 सीट देकर हमारी अहमियत को कम आंका गया है, इसका खामियाजा NDA को भुगतना पड़ सकता है.” राजनीतिक जानकार इसे संकेत मान रहे हैं कि मांझी अपनी पार्टी को राज्यस्तरीय पहचान दिलाने के लिए 15 सीटों की मांग कर रहे थे.

उपेंद्र कुशवाहा की नाराज़गी

उपेंद्र कुशवाहा ने सोशल मीडिया प्लेटफ़ॉर्म ‘एक्स’ पर भावुक होते हुए लिखा, “आप सभी से क्षमा चाहता हूं. आपके मन के अनुकूल सीटों की संख्या नहीं हो पाई. आज कई घरों में खाना नहीं बना होगा.” कुशवाहा ने बताया कि उनकी पार्टी ने 24 सीटों की मांग की थी, लेकिन उन्हें केवल 6 मिलीं. उन्होंने समर्थकों से संयम रखने की अपील की और कहा कि कुछ परिस्थितियाँ बाहर से स्पष्ट नहीं होतीं.

गठबंधन की एकजुटता पर उठते सवाल

दोनों नेताओं की सार्वजनिक नाराज़गी ने एनडीए की चुनावी एकजुटता पर सवाल खड़ा कर दिया है. मांझी और कुशवाहा दोनों ही अपने जातीय वोट बैंक में मजबूत हैं. उनके असंतोष के कारण गठबंधन की पारंपरिक पकड़ प्रभावित हो सकती है, खासकर उन जिलों में जहां उनकी जातीय ताकत निर्णायक भूमिका निभाती है.

जातीय समीकरण

राजनीतिक विश्लेषक बता रहे हैं कि मांझी का दल दलित वोट बैंक और कुशवाहा का दल कोइरी वोट बैंक एनडीए की जीत में अहम भूमिका निभाता है. यदि इन वोट बैंक में दरार आती है, तो भाजपा-जेडीयू को नुकसान हो सकता है. इसलिए गठबंधन के लिए अब प्राथमिकता इन नेताओं को संतुष्ट करना और वोट बैंक सुरक्षित रखना है.

छोटे सहयोगियों की नाराज़गी का असर

न केवल मांझी और कुशवाहा की असंतोष की लहर, बल्कि उनके सार्वजनिक बयानों ने यह स्पष्ट कर दिया कि छोटे सहयोगियों को चुनावी महत्व कम आंकने से गठबंधन में तनाव बढ़ सकता है. चुनाव से पहले यह स्थिति एनडीए के लिए चुनौतीपूर्ण है और गठबंधन नेतृत्व को तुरंत रणनीति बनानी होगी.

एकजुटता बनाए रखना है चुनौती

फिलहाल, एनडीए नेतृत्व के सामने सबसे बड़ा कार्य है सीट बंटवारे के बाद गठबंधन के भीतर एकजुटता बनाए रखना. मांझी और कुशवाहा को मनाने के लिए राजनीतिक और प्रशासनिक कदम उठाना जरूरी है. सीट बंटवारे के बाद अब यह स्पष्ट हो गया है कि बिहार विधानसभा चुनाव में गठबंधन की स्थिरता और जातीय समीकरण निर्णायक भूमिका निभाएंगे.

बिहार विधानसभा चुनाव 2025
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