क्या इस बार कायस्थ समाज भाजपा को नहीं देंगे वोट? ये है नाराजगी की वजह, महागठबंधन को होगा जबरदस्त फायदा!
Bihar Chunav 2025: पटना और आसपास के इलाकों में कायस्थ समाज बीजेपी से नाराज बताया जा रहा है. इसके पीछे मुख्य वजह टिकट बंटवारे और नेतृत्व की अनदेखी माना जा रहा है. यह असंतोष कुम्हरार, दीघा, बँकिपुर जैसी सीटों पर कायस्थ समाज के लोग असर डालने की क्षमता रखते हैं. जानें क्या है पूरा सियासी गणित.
बिहार विधानसभा चुनाव में पटना की सीटें इस बार दिलचस्प मुकाबले का केंद्र बन गई हैं. इसकी वजह कायस्थ समाज की बीजेपी से नाराजगी बताई जा रही है. लंबे समय से पार्टी के मजबूत वोट बैंक माने जाने वाले कायस्थों में टिकट बंटवारे और प्रतिनिधित्व को लेकर इस बार गहरा असंतोष है. सवाल उठ रहा है कि क्या यह गुस्सा वोटों में तब्दील होगा और बीजेपी के लिए मुसीबत बनेगा? सियासी जानकारों का कहना है कि अगर बीजेपी ने असंतोष को मैनेज नहीं किया तो नुकसान हो सकता है.
यह स्थिति इसलिए उत्पन्न हुई है कि कुम्हरार विधानसभा सीट से बीजेपी ने इस बार कायस्थ समुदाय से आने वाले मौजूदा विधायक अरुण सिन्हा का टिकट काटकर वैश्य समाज के विजय कुमार गुप्ता को उम्मीदवार बनाया है. इस फैसले के बाद कायस्थ समाज में गहरा रोष है.
1. नाराजगी के कारण
पार्टी ने कुछ टिकट पुराने कायस्थ नेताओं और विधायकों के काट दिए या उन्हें हटा कर दूसरी जाति के उम्मीदवार को दे दिए. खासकर कुम्हरार और कुछ पटना-आसपास की सीटों पर. इस बात को लेकर कायस्थ समुदाय में गहरा रोष है. यही वजह है कि स्थानीय कार्यक्रमों और पूजा-समारोहों में कायस्थ नेताओं और समुदाय ने खुलकर अपनी नाराजगी जताई है. कुछ जगहों पर सभा व प्रदर्शन भी हुए और बीजेपी के स्थानीय कार्यकर्ता शांति बनाए रखने की कोशिश कर रहे हैं.
2. कायस्थों से नुकसान की आशंका क्यों?
परंपरागत रूप से कई शहरी-शिक्षित कायस्थ वोटर बीजेपी की ओर झुकाव रखते हैं. पटना जैसे शहरी केंद्रों में कायस्थों का वोट चुनावी महत्व बढ़ा देता है. कायस्थ समुदाय के लोग कई सीटों पर निर्णायक भूमिका निभाते हैं.
हालांकि, राज्य स्तर पर कायस्थ जनसंख्या कुल मिलाकर छोटी है. बिहार में ऊपरी जातियों का हिस्सा सीमित है. Kayastha 0.6% बताये जाते हैं, पर वही समुदाय शहरी विधानसभा क्षेत्र में घनत्व बनाकर निर्णायक साबित होते रहे हैं. यानी स्थानीय असर बड़ा, राज्यव्यापी असर सीमित है.
3. पटना के आसपास किन सीटों पर असर सबसे ज्यादा
कुम्हरार में BJP ने मौजूदा कायस्थ विधायक का टिकट काट दिया है. स्थानीय रिपोर्टों के मुताबिक लगभग 1.25 लाख कायस्थ मतदाता हैं. यदि वे एकजुट होकर वोट बदलें तो ये सीट पर निर्णायक हो सकता है. दीघा, बँकिपुर और पटना में कायस्थ मतदाता काफी संख्या में हैं. इन सीटों में कायस्थ मतदाता अलग अपना रुख बदलते हैं तो परिणाम बीजेपी के खिलाफ जा सकता है.
4. घर बैठने पर बीजेपी को होगा बड़ा नुकसान
कई कायस्थ वोटर सिर्फ स्थानीय फैक्अर के लिहाज से विरोध करते हैं. अगर इनका विरोध संगठित रूप धारण न करे तो BJP को ज्यादा नुकसान नहीं होगा. यदि कायस्थ समुदाय Jan Suraaj या महागठबंधन की चला जाए, नोटा बटन दबा दे या घर बैठ जाए तो दीघा और कुम्हरार जैसे सीटें BJP के लिए मुश्किल बन सकती हैं. खासकर जहां टर्न-आउट पहले से कम रहता है और जीत-हार का मार्जिन छोटा होता है.
5. महागठबंधन को फायदा पहुंचा सकता है?
इसका जवाब हां में हो सकता है. ऐसा तभी होगा जब कायस्थ वोट किसी विकल्प के प्रति संगठित हो जाए. अगर ऐसा प्रशांत किशोर के की Jan Suraaj जैसी नई ताकतों की ओर हुआ तो स्थानीय स्तर पर उन्हें फायदा हो सकता है. खासकर उन सीटों पर जहां BJP का मार्जिन कम है. कुछ रिपोर्टों में इस तरह के झुकाव के संकेत देखे जा रहे हैं.





