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बिहार के चुनावी क्रिकेट में कांग्रेस की 'बल्लेबाजी' फेल, मुश्किल से पूरा हो पाया 'पंजा'

Bihar Election Results 2025: बिहार चुनाव परिणाम 2025 में कांग्रेस का प्रदर्शन बेहद कमजोर रहा. कई दौर की रणनीति, गठबंधन राजनीति और बड़े-बड़े दावों के बावजूद पार्टी केवल एक जीत के साथ पांच सीटों पर ही बढ़त बना पाई. वह भी पंजे की पांच उंगलियों की तरह गिनी-चुनी. महागठबंधन के भीतर कांग्रेस की कमजोर पकड़, उम्मीदवार चयन में गड़बड़ी और जमीन पर संगठन की कमी एक बार फिर साफ दिखाई दी.

बिहार के चुनावी क्रिकेट में कांग्रेस की बल्लेबाजी फेल, मुश्किल से पूरा हो पाया पंजा
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Bihar Election Results 2025: बिहार विधानसभा चुनाव 2025 के नतीजों में कांग्रेस के हाथ बड़ा झटका लगा है. महागठबंधन का हिस्सा होने के बावजूद पार्टी केवल 5 सीटों पर जीत दर्ज कर पाई. यह प्रदर्शन इतना कमजोर है कि कांग्रेस की पूरी ताकत मानो “पंजे की पांच उंगलियों” तक सिमट गई हो. हालांकि, एक अन्य सीट पर भी वो आगे है. चुनाव अभियान में कांग्रेस को उम्मीद थी कि महागठबंधन की लहर उसके आंकड़े सुधार देगी, लेकिन नतीजों ने साफ कर दिया कि बिहार की राजनीति में पार्टी का जनाधार लगातार सिकुड़ता जा रहा है. इससे पार पाने की उम्मीद भी बहुत कम है.

देश को आजादी दिलानी पार्टी और दशकों तक शासन करने वाली पार्टी का बिहार में इतना बुरा हाला होगा, ऐसा शायद ही किसी ने सोचा होगा. पर हुआ वहीं, जिसके बारे ने ​कांग्रेस के नेता सपने में भी नहीं सोचा होगा. वो भी तब, जब चुनाव प्रक्रिया शुरू होने से पहले कांग्रेस ने एसआईआर के खिलाफ मुहिम चलाकर सबको चौंका दिया था. उस समय सभी कह रहे थे कांग्रेस इस बार बिहार में उम्दा प्रदर्शन करेगी.

कांग्रेस के तेवर क्यों पड़ गए कमजोर

लेकिन, हुआ इसका उलटा. जुलाई-अगस्त 2025 में बिहार विधानसभा चुनाव 2025 की तैयारी जोरदार तरीके से शुरू करने वाली कांग्रेस मुश्किल से 'पंजे की पांच अंगुली की तरह 5 सीट जीत पाई' है. जबकि चुनाव आयोग के एसआईआर प्रक्रिया के दौरान राहुल गांधी ने 'वोटर अधिकार यात्रा निकाल, अपनी पार्टी को प्रदेश की राजनीति के केंद्र में लाकर रख दिया था, लेकिन तेजस्वी यादव के बिहार अधिकार यात्रा निकालते की कांग्रेस के नेताओं और कार्यकर्ताओं उत्साह मंद पड़ने लगा था. उस समय तो प्रदेश के मतदाता और सियासी जानकारी यही दावा करते नजर आते थे कि कांग्रेस अपने पुराने तेवर में लौट आई है. अबकी बार कांग्रेस के तेवर कुछ और हैं.

पर ये क्या, महागठबंधन में शामिल दलों के बीच टिकट वितरण में विवाद होने के बाद राहुल गांधी पीछे हट गए. उन्होंने और प्रियंका गांधी ने प्रचार तो किया, लेकिन पार्टी के कार्यकर्ताओं में जान नहीं फूंक पाए. चुनाव लड़ने वाले प्रत्याशी और लड़ाने वाले कार्यकर्ता कभी रंगत में नहीं दिखे.

यही वजह है कि कांग्रेस चुनाव तो लड़ी 61 सीटों पर, लेकिन पांच सीटों पर ही जीतने की संभावना है. इनमें बिहार विधानसभा चुनाव में कांग्रेस को करारा झटका लगा है. 61 सीटों पर लड़ी पार्टी सिर्फ पांच सीटों पर बढ़त बनाती दिख रही है. इसमें से किशनगंज सीट जीतकर कांग्रेस जीत चुकी है.

किशनगंज से जीते मोहम्मद कमरुल होदा

किशनगंज से कांग्रेस उम्मीदवार मोहम्मद कमरुल होदा ने 80 हजार से ज्यादा वोट लाकर जीत हासिल की है. उन्होंने बीजेपी की स्वीटी सिंह को 20 हजार से ज्यादा वोटों से हराया है. किशनगंज के अलावा कांग्रेस मनिहारी सीट पर लीड कर रही है. यहां से पार्टी प्रत्याशी मनोहर प्रसाद सिंह लगभग तीन हजार वोटों से आगे चल रहे हैं. साथ ही वाल्मिकीनगर में सुरेंद्र प्रसाद , चनपटिया में अभिषेक रंजन और अररिया से अब्दुल रहमान आगे चल रहे हैं.

कांग्रेस के प्रदेश अध्यक्ष राजेश कुमार राम और विधायक दल (सीएलपी) के नेता शकील अहमद खान भी अपनी सीटों पर पीछे चल रहे हैं. राजेश राम औरंगाबाद जिले की कुटुंबा और खान कटिहार जिले की कदवा विधानसभा सीट पर उम्मीदवार हैं.

कांग्रेस की हार पार्टी की कमजोरियों का नतीजा - निखिल कुमार

कुल मिलाकर बिहार विधानसभा चुनाव 2025 में कांग्रेस को करारा झटका लगा है. 61 सीटों पर लड़ी पार्टी सिर्फ पांच सीटों पर बढ़त बनाती दिख रही है. संभवत: बिहार में कांग्रेस पार्टी की अब तक की सबसे खराब प्रदर्शन है. इस बीच कांग्रेस के वरिष्ठ नेता और पूर्व राज्यपाल निखिल कुमार ने पार्टी की चुनावी तैयारी, उम्मीदवार चयन और संगठनात्मक क्षमता पर खुलकर हमला बोला है.

निखिल कुमार ने स्पष्ट शब्दों में कहा कि कांग्रेस की हार किसी और की नहीं, बल्कि पार्टी की अपनी कमजोरियों का नतीजा है. उनके बयान ने पार्टी के भीतर खलबली मचा दी है और संकेत दिया है कि आने वाले दिनों में कांग्रेस के अंदर बड़े बदलावों की मांग और तेज होगी. उन्होंने कांग्रेस की इस करारी हार के 3 बड़े कारण गिनाए हैं.

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