दोबारा गिरफ्तार हुए पत्रकार दिलवर, लेकिन सीएम ने क्यों कहा वह नहीं है जर्नलिस्ट?
असम में बैंक के खिलाफ विरोध प्रदर्शन हो रहा था, जिसे पत्रकार दिलवर हुसैन मजूमदार ने कवर किया. इसके बाद उन्हें गिरफ्तार कर लिया गया. बता दें कि जिस बैंक के विरुद्ध ये धरना दिया जा रहा था, उसके डायरेक्टर असम के मुख्य मंत्री हिमंत बिस्वा सरमा हैं.

दिलवर हुसैन मजूमदार असम सहकारी शीर्ष बैंक के खिलाफ हो रहे प्रदर्शन को कवर करने गए थे. जहां सुरक्षा गार्ड द्वारा दर्ज कराई गई शिकायत के आधार पर पत्रकार दिलवर हुसैन मोजुमदार को गिरफ्तार किया गया. इसके बाद चीफ ज्यूडिशियल मजिस्ट्रेट की कोर्ट ने उन्हें जमानत दी. लेकिन वह गुरुवार को पूरे दिन गुवाहाटी सेंट्रल जेल में रहे. रात करीब 8 बजे उन्हें जेल से फिर से पान बाजार पुलिस स्टेशन ले जाया गया.
इस मामले में एमडी डोमबारू सैकिया का कहना है कि उन्होंने इलीगल तरीके से बैंक की पहली मंजिल में एंट्री ली. इसके बाद डॉक्यूमेंट छीनने की कोशिश की. वहीं, इस पर सीएम हिमंत बिस्वा सरमा ने गिरफ्तारी से पहले कहा कि उनके खिलाफ दो-तीन मामले दर्ज किए गए हैं और उन्हें सभी में गिरफ्तार किया जाएगा और वह चाहे, तो जमानत मांग सकते हैं.
'वह पत्रकार नहीं है'
जहां अब दिलवर की गिरफ्तारी के बाद पत्रकार संगठनों ने इसका विरोध किया. साथ ही, इस कदम को प्रेस की आज़ादी पर हमला बताया. जहां 27 मार्च को सीएम ने दिलवर के पत्रकार होने पर सवाल उठाया. उन्होंने कहा कि क्या मोजुमदार को पत्रकार कहा जा सकता है? असम सरकार ऑनलाइन न्यूज़ पोर्टल में काम करने वाले लोगों को आधिकारिक तौर पर पत्रकार के रूप में मान्यता नहीं देती है.
यूट्यूब और पोर्टल को मान्यता नहीं
सीएम ने अपने बयान में कहा कि लेगेसी मीडिया को पत्रकार माना जाता है, लेकिन यूट्यूब चैनल और पोर्टल को अभी तक मान्यता नहीं मिली है. इस पर कोई फ़ैसला नहीं हुआ है. हम उन्हें एड और पहचान पत्र नहीं देते हैं. साथ ही, ऐसे पोर्टल को रजिस्टर भी नहीं किया गया है. इसलिए सरकार उसे पत्रकार नहीं मानती है. साथ ही, उन्होंने दिलवर पर आरोप लगाया कि वह बिजनैस मैन है.
आर्टिकल के लिए कोई गिरफ्तारी नहीं
हिमंत बिस्वा सरमा ने कहा कि हो सकता है कि वह बैंक अपने पर्सनल काम से गया हो. अगर कोई पत्रकार किसी से झगड़ा करता है, तो क्या उसे गिरफ्तार नहीं किया जाएगा? हम आर्टिकल लिखने पर गिरफ्तार नहीं करते हैं. मेरे खिलाफ लिखने वाले लोगों को गिरफ्तार नहीं किया जाएगा. पत्रकारों को लिखने की आजादी है, लेकिन वह किसी ऑफिस में जाकर जो बोलते हैं. वह दूसरा मामला है.