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कौन थे 'लोकप्रिय' गोपीनाथ बोरदोलोई, जिन्हें अमित शाह ने किया याद? कहा- अगर वे न होते तो आज असम भारत का हिस्सा नहीं होता

केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह ने असम में एक कार्यक्रम के दौरान भारत रत्न गोपीनाथ बोरदोलोई को याद करते हुए कहा कि बोरदोलोई की राजनीतिक दूरदर्शिता और अहिंसात्मक नेतृत्व ने असम और उत्तर-पूर्व को भारत का अभिन्न हिस्सा बनाए रखने में निर्णायक भूमिका निभाई. वे असम के पहले मुख्यमंत्री और एक महान नेता थे, जिन्होंने आजादी के समय अल्पसंख्यक राजनीतिक दबावों के बीच भी असम की एकता और विकास के लिए संघर्ष किया.

कौन थे लोकप्रिय गोपीनाथ बोरदोलोई, जिन्हें अमित शाह ने किया याद? कहा- अगर वे न होते तो आज असम भारत का हिस्सा नहीं होता
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( Image Source:  X/@DilipSaikia4Bjp/ANI )

Who was Gopinath Bordoloi: केंद्रीय गृहमंत्री अमित शाह ने असम के एक कार्यक्रम में महान नेता और भारत रत्न गोपीनाथ बोरदोलोई को याद करते हुए उनके योगदान की जमकर तारीफ की. उन्होंने कहा कि अगर बोरदोलोई जैसे नेता न होते तो असम और पूरा नॉर्थ ईस्ट आज भारत का हिस्सा नहीं हो सकता था. शाह ने विशेष रूप से यह भी कहा कि बोरदोलोई ने ही तत्कालीन प्रधानमंत्री जवाहरलाल नेहरू को प्रेरित किया कि असम को स्वतंत्र भारत में शामिल किया जाए.

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कौन थे गोपीनाथ बोरदोलोई?

गोपीनाथ बोरदोलोई का पूरा नाम गोपीनाथ बोरदोलोई था. वे असम के पहले मुख्यमंत्री थे, लेकिन इससे भी बढ़कर वे एक ऐसे विजनरी नेता और स्वतंत्रता सेनानी थे जिन्होंने न केवल असम की राजनीतिक और सामाजिक पहचान बनाई, बल्कि इसे भारत के नक्शे में स्थायी रूप से जोड़े रखने में निर्णायक भूमिका निभाई. उनका जन्म असम के राहा में हुआ था. मात्र 12 साल की उम्र में ही उन्होंने अपनी मां को खो दिया. कानून की पढ़ाई करने के बाद वे राजनीति में सक्रिय हो गए और महात्मा गांधी के अहिंसात्मक सिद्धांतों के अनुयायी बन गए.

बोरदोलोई ने कैबिनेट मिशन प्लान के खिलाफ किया संघर्ष

आजादी से पहले असम को भारत के हिस्से में बनाए रखने के लिए बोरदोलोई ने कैबिनेट मिशन प्लान के खिलाफ संघर्ष किया, जहां मुस्लिम लीग नॉर्थ-ईस्ट को भारत से अलग करके अलग राज्य बनाने की मांग कर रही थी. बोरदोलोई ने महात्मा गांधी और अन्य राष्ट्रीय नेताओं का सहयोग लेकर जनहित और अहिंसा के माध्यम से आंदोलन चलाया, जिससे अंततः असम को भारत के संघ में शामिल रखने में सफलता मिली.

स्वतंत्रता के बाद भी बोरदोलोई ने किए महत्वपूर्ण काम

स्वतंत्रता के बाद भी बोरदोलोई ने असम के विकास के लिए महत्वपूर्ण काम किए. उन्होंने शिक्षा, स्वास्थ्य और कृषि जैसे क्षेत्र में बुनियादी ढांचे को मजबूत किया. उनके नेतृत्व में मेडिकल कॉलेज, इंजीनियरिंग कॉलेज और कृषि शिक्षा की स्थापना हुई, जिससे असम के युवाओं को बेहतर अवसर मिले.

असम के पूर्व राज्यपाल ने गोपीनाथ को दिया 'लोकप्रिय' नाम

गोपीनाथ के जन्म और कार्यों के कारण असम के पूर्व राज्यपाल जयराम दास ने उन्हें 'लोकप्रिय' नाम से सम्मानित किया. बोरदोलोई को 1999 में सर्वोच्च नागरिक सम्मान भारत रत्न से भी सम्मानित किया गया. उनके योगदान को असम और भारत दोनों में आज भी सम्मान और आदर के साथ याद किया जाता है.

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