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20 साल बाद बांग्लादेश जैसी होगी असम की स्थिति... प्रवासी मुसलमानों की देशभक्ति पर सवाल उठाने लगे सीएम हिमंता

27 दिसंबर 2025 को गुवाहाटी में संपन्न हुई भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) की असम राज्य कार्यकारिणी की दो दिवसीय बैठक में मुख्यमंत्री हिमंता बिस्वा सरमा ने आगामी 2026 विधानसभा चुनाव को 'सभ्यतागत लड़ाई' करार दिया. उन्होंने कहा कि भाजपा सरकार का लक्ष्य विकास के साथ-साथ असम की सांस्कृतिक पहचान, भूमि और अस्तित्व की रक्षा करना है.

20 साल बाद बांग्लादेश जैसी होगी असम की स्थिति... प्रवासी मुसलमानों की देशभक्ति पर सवाल उठाने लगे सीएम हिमंता
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( Image Source:  ANI )
रूपाली राय
Edited By: रूपाली राय

Updated on: 28 Dec 2025 10:29 AM IST

शनिवार को खत्म हुई भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) की असम राज्य कार्यकारिणी की दो दिवसीय बैठक में, असम के मुख्यमंत्री हिमंता बिस्वा सरमा ने आगामी विधानसभा चुनाव को 'सभ्यताओं की लड़ाई' बताया. उन्होंने कहा कि भाजपा सरकार का मुख्य लक्ष्य तो राज्य का विकास है, लेकिन अपनी अस्तित्व और पहचान की रक्षा करना भी उतना ही जरूरी है. मुख्यमंत्री ने पार्टी कार्यकर्ताओं को संबोधित करते हुए कहा, 'हमारी राजनीति विकास पर टिकी हुई है, साथ ही हम अपनी सांस्कृतिक पहचान और परंपराओं को बचाने के लिए भी काम कर रहे हैं. आज अगर हम असम को देखें, तो यहां दो अलग-अलग सभ्यताएं नजर आती हैं. एक सभ्यता हमारी प्राचीन सनातन सभ्यता है, जो हजारों साल पुरानी है. यह सभ्यता बहुत समावेशी है यहां हर तरह की पूजा-प्रार्थना को जगह मिलती है और सभी को अपनाया जाता है.'

उन्होंने आगे कहा, 'लेकिन कांग्रेस पार्टी की कमजोर नीतियों और तुष्टीकरण की राजनीति की वजह से राज्य में धीरे-धीरे एक दूसरी सभ्यता का निर्माण हो गया. 2011 की जनगणना के अनुसार, असम में मुस्लिम आबादी 34 प्रतिशत थी. इसमें से करीब 3 प्रतिशत असमिया मूल के मुसलमान हैं, तो बाकी 31 प्रतिशत बांग्लादेश से अलग-अलग समय पर आए लोग हैं. हर जनगणना में मुस्लिम आबादी में लगभग 4 प्रतिशत की बढ़ोतरी होती रही है इसलिए 2027 में आने वाली अगली जनगणना में बांग्लादेशी मूल के मुसलमानों की आबादी करीब 40 प्रतिशत तक पहुंच जाएगी.'

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विकास कार्यों का जिक्र

यह बैठक अगले साल मार्च-अप्रैल में होने वाले असम विधानसभा चुनाव से पहले आयोजित की गई थी. इसमें भाजपा के नए राष्ट्रीय कार्यकारी अध्यक्ष नितिन नवीन, राष्ट्रीय उपाध्यक्ष बैजयंत जय पांडा, राष्ट्रीय महासचिव (संगठन) बी.एल. संतोष और असम भाजपा के कई वरिष्ठ नेता शामिल हुए. कार्यकर्ताओं को चुनाव अभियान की रणनीति बताते हुए सरमा ने अपनी सरकार के कार्यकाल में किए गए विकास कार्यों का जिक्र किया. उन्होंने राज्य में चलाई जा रही कल्याणकारी योजनाओं के बारे में विस्तार से बताया, जो आम लोगों तक पहुंच रही हैं.

हम सब साथ-साथ रह सकते हैं

उन्होंने बांग्लादेश में हाल की हिंसा का भी उदाहरण दिया, जहां एक हिंदू युवक दीपू चंद्र दास की भीड़ ने पीट-पीटकर हत्या कर दी और शव को जला दिया. सरमा ने कहा, 'कोई कह सकता है कि हम सब साथ-साथ रह सकते हैं. हमारा धर्म तो सभी को अपनाने वाला है. लेकिन बांग्लादेश की हाल की घटनाएं दिखाती हैं कि दूसरी तरफ अलगाववादी सोच है. उनके लिए धर्म देश से बड़ा है दीपू दास की स्थिति आज बांग्लादेश में है, तो कल 20 साल बाद असम के लोग भी ऐसी ही स्थिति का सामना कर सकते हैं.'

किस तरफ होगी वफादारी

भारत और बांग्लादेश के बीच तनाव के बीच उन्होंने बंगाली मूल के मुसलमानों की देशभक्ति पर सवाल उठाया. उन्होंने कहा, 'चिकन नेक कॉरिडोर (जो असम को भारत के मुख्य भाग से जोड़ता है) की दोनों तरफ कौन रहते हैं? हिंदू नहीं, बल्कि बांग्लादेश से आए लोग. अगर कल भारत और बांग्लादेश के बीच युद्ध होता है, तो इन लोगों की वफादारी किस तरफ होगी? उनके रिश्तेदार अभी भी बांग्लादेश में हैं.' इसके अलावा, उन्होंने राज्य में एकता की अपील की. हाल ही में कार्बी आंग्लोंग में स्थानीय कार्बी आदिवासियों और वहां बसे बिहारी हिंदुओं के बीच हुए तनाव का जिक्र करते हुए कहा कि हमें अपने बीच फूट नहीं पड़ने देनी चाहिए. अंत में सरमा ने जोर देकर कहा, 'जब तक हम जीवित हैं, हर चुनाव हमारे लिए सभ्यताओं की लड़ाई है. यह लड़ाई हम अपनी जाति, संस्कृति और पहचान को बचाने के लिए लड़ रहे हैं. हमें एकजुट होकर इस चुनौती का सामना करना होगा.

असम न्‍यूजहिमंत बिस्वा सरमा
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