Begin typing your search...

असम पुलिस हुई फिट, BMI टेस्ट में सिर्फ 2.06% अफसर हैं मोटे, तीन साल में देखने को मिली बड़ी गिरावट

असम पुलिस की फिटनेस मुहिम ने इस साल एक नया रिकॉर्ड बना दिया है. एनुअल BMI टेस्ट में सिर्फ 2.06% पुलिसकर्मी ही ‘ओबेस’ कैटेगरी में पाए गए, जो पिछले तीन सालों में लगातार गिरावट को दिखाता है. यह बदलाव बताता है कि खाकी अब पहले से कहीं ज्यादा फिट, चुस्त और मिशन-रेडी हो चुकी है.

असम पुलिस हुई फिट, BMI टेस्ट में सिर्फ 2.06% अफसर हैं मोटे, तीन साल में देखने को मिली बड़ी गिरावट
X
( Image Source:  AI SORA )
हेमा पंत
Edited By: हेमा पंत

Updated on: 14 Nov 2025 2:10 PM IST

असम पुलिस अपनी फिटनेस को लेकर अब पहले से ज्यादा सजग हो चुकी है. लगातार तीसरे साल किए गए वार्षिक BMI टेस्ट ने यह दिखा दिया कि पुलिस बल न सिर्फ फिटनेस पर जोर दे रहा है, बल्कि इसमें शानदार सुधार भी हो रहा है.

इस साल के आंकड़े बताते हैं कि महज 2.06 प्रतिशत पुलिसकर्मी ‘ओबेस’ कैटेगरी में आए हैं, जो पिछले वर्षों की तुलना में एक साफ गिरावट है. यह बदलाव बताता है कि असम पुलिस अपने बल को चुस्त, फुर्तीला और मिशन-रेडी रखने की दिशा में कितनी गंभीर है.

फिटनेस मिशन की कहानी

असम पुलिस ने 2023 में BMI टेस्ट को आधिकारिक रूप से लागू किया था, ताकि हर जवान और अधिकारी अपनी सेहत को लेकर जागरूक हो सके. यह शुरुआत एक साधारण टेस्ट से हुई थी, लेकिन अब यह पूरे पुलिस बल के लिए सालाना अभियान बन चुका है. इस साल 73,317 पुलिसकर्मियों की स्क्रीनिंग की गई और सोशल मीडिया पर जारी रिपोर्ट ने साफ कर दिया कि फिटनेस अब सिर्फ एक ऑप्शन नहीं, बल्कि जरूरत बन चुकी है.

DGP हरमीत सिंह ने खुद संभाली कमान

इस बार भी BMI ड्राइव की शुरुआत गुवाहाटी के कहिलिपाड़ा स्थित 10वीं APBN हेडक्वार्टर से हुई, जहां DGP हरमीत सिंह और अन्य वरिष्ठ अधिकारी खुद मौजूद थे. उन्होंने फिटनेस अभियान की मॉनिटरिंग की और जवानों से बातचीत कर उन्हें BMI के महत्व को समझाया. DGP सिंह का कहना है कि पुलिस का काम बेहद तनावपूर्ण होता है. अनियमित ड्यूटी, नींद की कमी और समय पर भोजन न मिलना कई पुलिसकर्मियों की सेहत पर असर डालता है. ऐसे में BMI टेस्ट उन्हें यह समझने का मौका देता है कि उनकी फिटनेस किस स्तर पर है और क्या सुधार किया जा सकता है.

पुलिस हेल्दी यानी परिवार भी सुरक्षित

बीएमआई ड्राइव का असर सिर्फ व्यक्तिगत स्तर तक सीमित नहीं. डीजीपी का मानना है कि एक अगर पुलिस कर्मी हेल्दी रहता है, तो इससे उसका परिवार भी सुरक्षित रहता है. बीमारी न सिर्फ मानसिक तनाव लाती है, बल्कि अस्पताल जाने, जांच कराने और दवाइयों में पूरा परिवार प्रभावित होता है. फिट पुलिसकर्मी न सिर्फ बेहतर तरीके से ड्यूटी निभाता है, बल्कि आत्मविश्वास और ऊर्जा के साथ अपने परिवार और समाज के लिए भी ताकत का स्तंभ बनता है.


असम न्‍यूज
अगला लेख