कचरे से गुवाहाटी का हाल बेहाल, लोगों पर पड़ रहा बुरा असर, अब क्या करेगी सरकार?
पश्चिम गुवाहाटी के विधायक रामेंद्र नारायण कलिता ने डफिल साइट और उसके आसपास पॉल्यूशन पर प्रस्ताव उठाया था. इस पर जयंत मल्लाबरुआ ने कहा कि शहर के कचरे को सही तरीके से डिस्पोज करने के लिए सही जगह ढूंढना लगातार चुनौतीपूर्ण होता जा रहा है.

गुवाहाटी में बेलोरटोल लैंडफिल में फिलहाल में रोजाना 400 से 500 मीट्रिक टन कचरा आता है, लेकिन सरकारी आंकड़ों के अनुसार, केवल 150 मीट्रिक टन ही प्रोसेसिंग के लिए जाता है. ऐसे में गुवाहाटी में कचरे को निपटाने के लिए हाउसिंग एंड अर्बन अफेयर्स मिनिस्टर जयंत मल्लाबरुआ ने स्थानीय विधायकों को कूड़े को प्रोसेस करने के लिए जगहों की पहचान करने और वेस्ट प्रोसेसिंग प्लांट्स सेटअप करने में मदद करने के लिए कहा है.
पश्चिम गुवाहाटी के विधायक रामेंद्र नारायण कलिता ने डफिल साइट और उसके आसपास पॉल्यूशन पर प्रस्ताव उठाया था. इस पर जयंत मल्लाबरुआ ने कहा कि शहर के कचरे को सही तरीके से डिस्पोज करने के लिए सही जगह ढूंढना लगातार चुनौतीपूर्ण होता जा रहा है.
60 नगरपालिका वार्ड का कचरा
इसके आगे उन्होंने कहा कि ' लोग किसी भी प्रस्तावित साइट का विरोध करते हैं, लेकिन डंपिंग ग्राउंड या ट्रीटमेंट प्लांट के बिना हम शहर के कचरे को सही तरीके से मैनेज कैसे कर सकते हैं? इस पर कलिता ने कहा कि इस लैंडफिल के कारण इसके आसपास रहने वाले लोगों हेल्थ प्रॉब्लम्स हो रही हैं. यहां 60 नगरपालिका वार्डों का कचरा वहां फेंका जाता है, जिससे दीपोर बील सहित आसपास के एनवायरमेंट खराब होता है.
बढ़ाई जाएगी कैपेसिटी
कलिता ने यह भी बताया कि लैंडफिल साइटों पर कचरे को जलाया जाता है, जिससे एयर पॉल्यूशन होता है. इसके चलते स्थानीय निवासियों के लिए गंभीर खतरा पैदा होता है. वहीं, मल्लाबरुआ ने बताया कि बेलोरटोल साइट की प्रोसेसिंग कैपेसिटी को 300 मीट्रिक टन तक बढ़ाने की कोशिश की जा रही है.
2 लाख मीट्रिक टन
लैंडफिल में 2 लाख मीट्रिक टन कचरा है. जयंत मल्लाबरुआ ने विधानसभा को बताया कि नेशनल ग्रीन ट्रिब्यूनल (एनजीटी) के निर्देश के बाद 2021 में वेस्ट बोरगांव डंपिंग ग्राउंड को बेलोरटोल में ट्रांसफर कर दिया गया था.