बैन के बावजूद चल रहीं 263 अवैध कोयला खदानें, आखिर असम में कब तक मजदूरों की जान लगेगी दांव पर?
रैट होल माइनिंग यह एक खतरनाक प्रोसेस है, जिसमें खदान के अंदर चूहों की तरह छोटे छेद बनाकर खुदाई का काम किया जाता है. झारखंड, छत्तीसगढ़ और उत्तर-पूर्वी राज्यों में इस प्रक्रिया का इस्तेमाल किया जाता है. हालांकि, कई जगहों पर इस प्रोसेस पर बैन लगाया जा चुका है.

जनवरी के महीने में असम के एक कोयला खदान में अचानक से पानी भर गया था. इसके कारण 9 मजदूर फंस गए थे. दरअसल इस खदान में रैट होल माइनिंग प्रोसेस से खनन का काम चालू था. असम सरकार ने बताया कि राज्य के सेंट्रल रिजन कम से कम 263 इलीगल रैट-होल कोयला खदान मिले हैं. यह कोयला खदान दो ऑटोनॉमस काउंसिल के अंदर आते हैं.
खान एवं खनिज मंत्री कौशिक राय ने विधानसभा को बताया कि उत्तरी कछार हिल्स स्वायत्त परिषद (एनसीएचएसी) में 248 ऐसी खदानों का पता चला है, जो दीमा हसाओ जिले को कवर करती है. इसके अलावा, कार्बी आंगलोंग ऑटोनॉमस काउंसिल में 15 अवैध रैट-होल खदानें पाई गईं. इसमें पूर्वी और पश्चिमी कार्बी आंगलोंग जिले शामिल हैं.
इन इलाकों में निकाला जाता है कोयला
नेशनल ग्रीन ट्रिब्यूनल ने साल 2014 में रैट-होल खनन पर प्रतिबंध लगा दिया था. हालांकि, पूर्वोत्तर में अभी भी इस खतरनाक तरीके से कोयला निकाला जाता है. इस पर कौशिक राय ने बताया कि डिब्रूगढ़, तिनसुकिया और चराईदेव जिलों में भी कोयला निकाला जाता है.
इनते टन कोयला किया गया जब्त
कौशिक राय ने एआईयूडीएफ विधायक अशरफुल हुसैन के एक अलग सवाल के जवाब में कहा कि सरकार ने पिछले तीन वर्षों में राज्य के विभिन्न हिस्सों से अवैध रूप से खनन और परिवहन किए गए 25,631.98 टन कोयले को जब्त किया है. इसके आगे कौशिक ने कहा कि 'हमने राज्य में अवैध कोयला खनन को रोकने के लिए कदम उठाए हैं. ऐसी अवैध गतिविधियों की जांच के लिए डीजीपी के नेतृत्व में एक निगरानी समिति भी बनाई गई है.'
क्या होती है रैट होल माइनिंग?
यह एक खतरनाक प्रोसेस है, जिसमें खदान के अंदर चूहों की तरह छोटे छेद बनाकर खुदाई का काम किया जाता है. झारखंड, छत्तीसगढ़ और उत्तर-पूर्वी राज्यों में इस प्रक्रिया का इस्तेमाल किया जाता है. हालांकि, कई जगहों पर इस प्रोसेस पर बैन लगाया जा चुका है. अब सवाल यह उठता है कि आखिर कब तक इस खतरनाक रैट होल माइनिंग से मजदूरों की जान को दांव पर लगाया जाएगा.