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देश भर के कई इलाकों में बारिश का प्रकोप, लेकिन असम के ये जिले झेल रहे सूखे की मार

एक ओर देश के कई राज्य भारी बारिश और बाढ़ से जूझ रहे हैं, तो दूसरी ओर असम के कुछ ज़िले पानी की एक-एक बूँद को तरस रहे हैं. यह मौसम का अजीब विरोधाभास है. जहां एक तरफ बारिश ने तबाही मचा रखी है, वहीं असम के पश्चिमी हिस्से के कई ज़िलों में बारिश की भारी कमी के कारण सूखे जैसी स्थिति बन गई है. ऐसे में राज्य सरकार ने हालात की गंभीरता को देखते हुए कई ज़िलों को सूखाग्रस्त घोषित कर दिया है.

देश भर के कई इलाकों में बारिश का प्रकोप, लेकिन असम के ये जिले झेल रहे सूखे की मार
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( Image Source:  AI Perplexity )
हेमा पंत
Edited By: हेमा पंत

Updated on: 24 July 2025 12:07 PM IST

देश के कई हिस्सों में भारी बारिश और बाढ़ ने जीवन अस्त-व्यस्त कर दिया है, वहीं पूर्वोत्तर के राज्य असम के कुछ जिले अब भी पानी की एक-एक बूंद को तरस रहे हैं. सवाल ये उठता है कि जब मानसून पूरे देश को तर कर रहा है, तो असम के कुछ इलाकों में बादल खाली क्यों लौट गए? यह असंतुलन सिर्फ मौसम का संकेत नहीं, बल्कि जलवायु परिवर्तन की एक गंभीर चेतावनी भी है.

असम के मुख्यमंत्री हिमंत बिस्वा सरमा ने बुधवार को डिब्रूगढ़ में कैबिनेट बैठक के बाद मीडिया को संबोधित करते हुए घोषणा की कि राज्य के पश्चिमी क्षेत्र के पांच ज़िलों को सरकारी तौर पर सूखाग्रस्त घोषित किया जा रहा है. ये जिले कोकराझार, बारपेटा, धुबरी, बक्सा और बोंगाईगांव हैं. मुख्यमंत्री ने बताया कि भारतीय मौसम विज्ञान विभाग और केंद्रीय भूजल बोर्ड की रिपोर्टों के अनुसार, इन क्षेत्रों में औसतन 40% तक कम वर्षा दर्ज की गई है, जिससे वहां सूखे जैसी गंभीर स्थिति उत्पन्न हो गई है.

किसानों के लिए राहत की उम्मीद

मुख्यमंत्री ने यह भी कहा कि प्रधानमंत्री फसल बीमा योजना के अंतर्गत जिन किसानों ने अपनी फसलों का बीमा करवाया है, उन्हें सूखे के कारण हुए नुकसान का मुआवज़ा दिया जाएगा. उन्होंने बताया कि यह निर्णय ऐसे समय में लिया गया है, जब खेतों में दरारें पड़ चुकी हैं और फसलें मुरझाने लगी हैं, जिससे कृषक समुदाय भारी संकट का सामना कर रहा है.

पूरब में बारिश, पश्चिम में सूखा

मुख्यमंत्री सरमा ने जानकारी दी कि पूर्वी असम में वर्षा की स्थिति असमान रही है. कुछ क्षेत्रों में अत्यधिक बारिश हुई, जबकि कुछ जगहों पर बारिश की बेहद कमी देखी गई. फिलहाल वे ऊपरी असम के दौरे पर हैं, जहां वे सरकारी योजनाओं के अमल की वास्तविक स्थिति का जायज़ा ले रहे हैं और स्थानीय प्रशासनिक तैयारियों की समीक्षा कर रहे हैं.

केंद्र से मदद की पहल

इससे पहले असम के कृषि मंत्री अतुल बोरा ने नई दिल्ली में केंद्रीय कृषि मंत्री शिवराज सिंह चौहान से मुलाकात की. इस बैठक में असम कृषि विभाग के वरिष्ठ अधिकारी भी उपस्थित थे. अतुल ने बातचीत को "सार्थक और सकारात्मक" बताया और कहा कि उन्हें केंद्र सरकार से शीघ्र सहायता मिलने की उम्मीद है. इस बैठक की खास बात यह रही कि केंद्रीय मंत्री ने स्वयं राज्य का दौरा करने पर सहमति जताई, जिससे समस्या के समाधान में और गति आने की संभावना है.

क्या ये जलवायु परिवर्तन की चेतावनी है?

देश के कुछ हिस्से बाढ़ में डूबे हुए हैं, वहीं असम जैसे राज्य में सूखे ने दस्तक दी है. सवाल ये है कि क्या हमारा मौसम अब चरम सीमाओं तक जा पहुंचा है? क्या इस असंतुलन के पीछे मानवजनित जलवायु परिवर्तन का हाथ है? और क्या सरकारें सिर्फ आपदा के बाद चेतेंगी, या अब सुधारात्मक कदम भी उठाए जाएंगे? असम के पश्चिमी ज़िलों का सूखा एक स्थानीय आपदा नहीं, बल्कि राष्ट्रीय जलवायु संकट की एक कड़ी है। सरकार की तत्परता और किसानों को राहत देने की कोशिशें सराहनीय हैं. मगर अब वक्त आ गया है कि हम बारिश और सूखे के इस असंतुलन को गंभीरता से लें. वरना अगले साल स्थिति और भयावह हो सकती है.

असम न्‍यूज
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