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असम में बार-बार क्यों मुसीबत बन रहा 'Japanese Encephalitis' वायरस? जान लीजिए बचने के तरीके

Japanese Encephalitis Virus: असम में हर साल मानसून आते ही जापानी इन्सेफलाइटिस (JE) वायरल फैलने लगता है. इस साल अब तक 26 लोगों की इसकी चपेट में आने से जान चली गई है. डॉक्टर ने बताया कि JE का वायरस क्यूलेक्स मच्छरों के काटने से फैलता है.

असम में बार-बार क्यों मुसीबत बन रहा  Japanese Encephalitis वायरस? जान लीजिए बचने के तरीके
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( Image Source:  ANI )
निशा श्रीवास्तव
Edited By: निशा श्रीवास्तव

Updated on: 23 July 2025 2:36 PM IST

Assam News: असम में मानसून की दस्तक के बाद से लगातार बारिश हो रही है. रोजाना हल्की से भारी बारिश यहां होती है और तेज हवाएं भी चलती है. राज्य में हर साल बारिश के मौसम में इंफेक्शन का खतरा भी बढ़ जाता है. असम में इन दिनों एक पुरानी बीमारी जापानी इन्सेफलाइटिस (JE) का कहर देखने को मिल रहा है.

assamtribune.com की रिपोर्ट के मुताबिक, असम में जापानी इन्सेफलाइटिस के 15 जुलाई तक असम में 26 लोगों की जान जा चुकी है. इस साल अब तक लगभग 300 मामले सामने आए हैं, जिसमें 33 में से 35 जिले प्रभावित हैं.

असम में तेजी से फैल रहा JE

गुवाहाटी मेडिकल कॉलेज और अस्पताल (GMCH) में अप्रैल से जुलाई तक लगभग 100 पीड़ितों का इलाज हुआ, जिनमें से 22 की मौत हो चुकी है. वहीं 15 ठीक होकर घर लौट चुके हैं. इस बीमारी को लेकर लोग काफी डरे हुए हैं. स्थिति को देखकर उन्हें कोविड-19 काल की याद आ रही है.

GMCH अस्पताल के उप-सुपरिंटेंडेंट डॉ. उज्जल कुमार सरमा ने बताया कि स्वास्थ्य अधिकारियों ज्यादा प्रभावित जिले जैसे- दारंग, नलबाड़ी, कामरूप, बारपेटा, गोरघाट, जोरत, नागांव में निगरानी और फॉगिंग तेज कर दी है. खासकर ग्रामीण क्षेत्रों में ज्यादा ध्यान दिया जा रहा है. इलाकों में जल-भराव और पानी से भरे धान के खेतों में निगमित कीट नियंत्रण और जागरूकता अभियान चलाए जा रहे हैं.

कैसे फैल रहा JE वायरस?

डॉक्टर ने बताया कि JE का वायरस क्यूलेक्स मच्छरों के काटने से फैलता है, जो संक्रमित सूअरों या पक्षियों से वायरस प्राप्त करते हैं. डॉ. सरमा ने बताया कि ऐसे मच्छर जब इंसान को काटते हैं, तो संक्रमण फैल जाता है. इसलिए घरों के आसपास स्वच्छता, सूअर और पशु आश्रयों का मानव बस्तियों से दूर होना, मच्छरदानी और लॉन्ग-स्लीव कपड़ों का उपयोग अत्यंत आवश्यक है.

बचाव के तरीके

इस बीमारी की चपेट में आने से बचने के लिए लोग कई तरीके अपना रहे हैं. गाय के शेड घरों के पास बनाए जाते हैं, जिससे मच्छर पहले न्यून रोग वाहकों को काटें और मनुष्यों तक पहुंच कम हो सके. स्वास्थ्य विभाग की रणनीति में यह उपाय, साथ में फॉगिंग, लार्विसाइड छिड़काव और उच्च-जोखिम जिलों में इम्यूनाइजेशन ड्राइव शामिल हैं.

बता दें कि साल 2013 से असम में JE टीकाकरण अभियान चलाया जा रहा है. इसके तहत अब हर साल 1 करोड़ से अधिक लोगों को टीका लगाया जाता है. साथ ही JE वैक्सीन को नवजात शिशुओं की नियमित इम्यूनाइजेशन सूची में शामिल कर लिया गया है. इस कारण 2020-23 में राज्य में 600 से अधिक मामले दर्ज हुए, लेकिन शुरुआती पहचान और उपचार से मौतों में कमी आई है. अभी JE का कोई पूर्ण इलाज नहीं है. डॉ. सरमा ने कहा, जागरूकता बढ़ाने, समय पर इलाज शुरू करने, और जोखिम प्रबंधन से ही इससे बचा जा सकता है.

असम न्‍यूज
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