बेटा चला गया, लेकिन अजनबियों की लौटा गया सांसें, दो परिवारों के लिए वरदान बना माता-पिता का यह फैसला
कभी-कभी ज़िंदगी सबसे कठिन मोड़ पर खड़ी होकर भी उम्मीद की किरण दिखा देती है. असम के नागांव जिले में एक ऐसा ही लम्हा तब सामने आया, जब एक मां-बाप ने अपने जवान बेटे को हमेशा के लिए खो दिया. दिल टूट गया, सपने बिखर गए, लेकिन उस असहनीय दर्द के बीच उन्होंने ऐसा फैसला लिया जो दो अनजान ज़िंदगियों के लिए जीवनदान बन गया.

असम के नागांव जिले के पानीगांव गांव में एक माता-पिता ने मिसाल पेश की. दरअसल उनके बेटे की गुवाहाटी मेडिकल कॉलेज अस्पताल मौत हो गई. जैसे ही यह दुखद ख़बर आई, उनके जीवन का हर रंग फीका पड़ गया. एक मां की ममता, एक पिता की उम्मीद सब कुछ टूटकर बिखर गया.
लेकिन जहां अधिकतर लोग इस दर्द से टूट जाते, वहीं इस माता-पिता ने एक ऐसा कदम उठाया, जिसने उन्हें सिर्फ दुःख में नहीं, बल्कि दूसरों के लिए रोशनी बनने में बदल दिया. उन्होंने अपने बेटे की किडनी दान करने का फैसला लिया.
दर्द के बीच साहसी फैसला
दरअसल अस्पताल के डाक्टर्स ने मृतक के पेरेंट्स से उसकी दोनों किडनी दान करने के लिए पूछा, ताकि मरीजों की जिंदगी खुशहाल हो सके. ऐसे में उन्होंने अपनी टूटती हुई भावनाओं के बीच हां कह दिया. उन्होंने अपने बेटे को खोया ज़रूर, लेकिन दो अजनबियों को जीवन देने का फैसला लिया. एक ऐसा फैसला जिसने ना सिर्फ दो ज़िंदगियां बचाईं, बल्कि पूरे राज्य में उम्मीद और इंसानियत की रौशनी फैलाई.
सफल रहा ट्रांसप्लाट
सूत्रों के अनुसार, दोनों किडनी ट्रांसप्लांट सफल रहे और दोनों मरीज अब हेल्दी हो रहे हैं. अस्पताल में जब यह खबर फैली, तो नर्सों से लेकर डॉक्टरों तक, हर किसी की आंखें नम थीं और दिल गर्व से भरे. यह कहानी अस्पताल की दीवारों से निकलकर पूरे राज्य में फैल गई.
राज्य स्तर पर सराहना और सम्मान
असम के मुख्यमंत्री डॉ. हिमंत बिस्वा सरमा ने खुद इस नेक कार्य के लिए सिंह परिवार को धन्यवाद दिया और नागांव के जिला आयुक्त देबाशीष शर्मा को उनके घर जाकर राज्य की ओर से संवेदना और आभार व्यक्त करने का निर्देश दिया. सोमवार को डीसी शर्मा ने परिवार से मुलाकात की और मीडिया को बताया, अपने बेटे को खो देने के बावजूद, इस परिवार ने दो ज़िंदगियां बचाकर मानवता का एक अद्वितीय उदाहरण पेश किया है.