असम में 8 महीने की बच्ची संग मां लापता, वीडियो में बांग्लादेश में मिली! क्या चुपचाप बॉर्डर पार भेजे जा रहे हैं 'घोषित विदेशी'?
असम के दरांग जिले से लापता मनीकजान बेगम और उनकी 8 महीने की बच्ची की लोकेशन एक बांग्लादेशी न्यूज वीडियो में सामने आई, जिसमें उन्हें सीमा पार बांग्लादेशी सुरक्षाबलों से घिरा दिखाया गया. मनीकजान 2019 में 'विदेशी' घोषित की गई थीं और दो साल डिटेंशन में रही थीं. 25 मई को उन्हें दस्तावेज़ों के साथ थाने बुलाया गया था, जिसके बाद से उनका कोई अता-पता नहीं था. इसी तरह कई अन्य लोगों को भी असम से हिरासत में लिया गया और चुपचाप सीमा पार भेजे जाने की आशंका जताई जा रही है. इस पर अब तक न पुलिस ने और न ही BSF ने कोई साफ बयान दिया है.

Assam foreigners deported to Bangladesh: असम के दरांग जिले के 22 वर्षीय बरेक अली को 28 मई को एक बांग्लादेशी न्यूज़ चैनल की वीडियो क्लिप भेजी गई. इसमें हथियारबंद बांग्लादेशी बॉर्डर गार्ड्स के बीच एक समूह खड़ा नजर आया. स्थानीय लोगों के अनुसार, उन्हें तड़के 3 बजे सुरक्षा बलों द्वारा बॉर्डर पार भेजा गया था. उस समूह में एक महिला अपनी गोद में बच्चे को लिए हुए थी, जिसे अली ने तुरंत अपनी मां मनीकजान बेगम और 8 महीने की बहन के रूप में पहचान लिया. दोनों 25 मई को पुलिस कस्टडी में लिए जाने के बाद से लापता थीं.
अली का कहना है, “जब से वीडियो देखा है, सांस लेना मुश्किल हो गया है. बस यही सोच रहा हूं कि उन्हें वापस कैसे लाया जाए.” मनीकजान उन कई लोगों में शामिल हैं, जिन्हें पिछले हफ्ते असम के विभिन्न हिस्सों से हिरासत में लिया गया है और जिनके परिवारों को अब तक कोई जानकारी नहीं दी गई है. अधिकांश लोगों की तरह मनीकजान को भी 2019 में असम की विदेशी न्यायाधिकरण (Foreigner Tribunal) द्वारा 'विदेशी' घोषित किया गया था और उन्होंने दो साल डिटेंशन में बिताए थे. उन्हें 2022 में जमानत पर रिहा किया गया था.
“वह आखिरी बार था, जब हमने उन्हें देखा”
परिवार का आरोप है कि 23 मई की सुबह मनीकजान को ढुला थाने ले जाया गया और अगले दिन घर भेजा गया. फिर 25 मई को उन्हें सारे दस्तावेजों के साथ फिर से बुलाया गया, जहां से उन्हें मंगलदोई पुलिस रिज़र्व और फिर एसपी कार्यालय ले जाया गया. अली के अनुसार, “हम बाहर घंटों इंतजार करते रहे. मेरी छोटी बहन रोने लगी तो पिता ने उसे मां को सौंप दिया- वह आखिरी बार था, जब हमने उन्हें देखा.”
असम में भय और भ्रम की स्थिति
इस घटना से एक दिन पहले असम के मोरीगांव निवासी खैरुल इस्लाम का वीडियो सामने आया था, जिसमें वह कह रहे थे कि उन्हें भी 26 मई की सुबह बांग्लादेश की सीमा में धकेल दिया गया. ऐसी कई वीडियो क्लिप्स के चलते असम में भय और भ्रम की स्थिति बनी हुई है.
दरांग में 60 वर्षीय माजेदा खातून को हिरासत में लिया गया
इसी तरह, दरांग जिले से 24 मई को 60 वर्षीय माजेदा खातून को हिरासत में लिया गया था. उनके बेटे मलिक ओस्तार ने बताया कि उन्हें उनकी मां का कोई सुराग नहीं मिल रहा है. माजेदा भी एक घोषित विदेशी हैं और उनके केस की सुनवाई गुवाहाटी हाई कोर्ट में जारी है.
25 मई से लापता हैं धुबरी की डॉयजान बीबी
धुबरी की डॉयजान बीबी, जिनके केस पर NGO Citizens for Justice and Peace के वॉलंटियर हबीबुल बेपारी काम कर रहे हैं, 25 मई से लापता हैं. इसी दिन गोलाघाट के अब्दुल हनीफ को पुलिस ने उठाया, लेकिन उनके भाई को मटिया डिटेंशन कैंप में भी उनके बारे में कोई जानकारी नहीं मिली. असम पुलिस और BSF ने अब तक इस मामले पर कोई आधिकारिक प्रतिक्रिया नहीं दी है. एक वरिष्ठ BSF अधिकारी ने बताया कि यह प्रक्रिया जारी है. जो भी विदेशी पाया जाएगा, उसे या तो वापस भेजा जाएगा या सीमा पार धकेला जाएगा.
भारत-बांग्लादेश सीमा के नो-मैन्स लैंड में भेजने की प्रक्रिया तेज
असम सरकार ने विदेशी न्यायाधिकरणों द्वारा 'अवैध विदेशी' घोषित व्यक्तियों को भारत-बांग्लादेश सीमा के नो-मैन्स लैंड में भेजने की प्रक्रिया तेज कर दी है. 27 और 29 मई को पश्चिमी और दक्षिणी असम से कम से कम 49 ऐसे लोगों को वापस भेजा गया, जिसके बाद उनके परिजनों ने सुप्रीम कोर्ट और गुवाहाटी हाई कोर्ट में याचिकाएं दायर की हैं.
मुख्यमंत्री हिमंत बिस्वा सरमा ने क्या कहा?
मुख्यमंत्री हिमंत बिस्वा सरमा ने कहा कि विदेशी घोषित किए गए 30,000 लोग गायब हैं, और सरकार उन्हें खोजकर वापस भेजने की प्रक्रिया को तेज कर रही है. उन्होंने स्पष्ट किया कि जिन लोगों ने उच्च न्यायालयों में अपील नहीं की है, उनका भारत में रहने का अधिकार समाप्त हो जाता है. हालांकि, जिनके पास अपील लंबित है या जिनके पक्ष में न्यायालय ने स्थगन आदेश दिया है, उन्हें नहीं छेड़ा जाएगा.
कई परिवारों ने अदालतों का किया रुख
इस कार्रवाई के खिलाफ कई परिवारों ने अदालतों का रुख किया है, गुवाहाटी हाई कोर्ट ने दो भाइयों के मामले में राज्य सरकार को नोटिस जारी किया है, जिन्हें विदेशी घोषित कर जमानत पर रिहा किया गया था, लेकिन अब उनका कोई पता नहीं है. इसके अलावा, ऑल BTC माइनॉरिटी स्टूडेंट्स यूनियन ने सुप्रीम कोर्ट में याचिका दायर की है, जिसमें कहा गया है कि यह 'पुशबैक' नीति मौलिक अधिकारों का उल्लंघन है और इससे नागरिकता विहीनता का खतरा बढ़ता है.
बांग्लादेश के सीमा सुरक्षा बल ने भी जताई आपत्ति
इस मुद्दे पर बांग्लादेश के सीमा सुरक्षा बल (BGB) ने भी आपत्ति जताई है, जिससे सीमा पर तनाव की स्थिति बनी हुई है. दोनों देशों के सीमा सुरक्षा बलों के वरिष्ठ अधिकारी इस मामले को सुलझाने के लिए बातचीत कर रहे हैं.