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बांग्लादेश की सीमा पर क्‍यों नहीं देते गोली मारने के आदेश? AASU की सख्त मांग, घुसपैठियों को तुरंत भगाओ

असम में बांग्लादेश से घुसपैठियों की संख्या बढ़ती जा रही है, जो राज्य के लिए एक बड़ी समस्या बन चुका है. इस पर ऑल असम स्टूडेंट्स यूनियन ने मांग की है उन्हें हर हाल में अपने देश भेजा जाए. साथ ही, सवाल उठाया कि पाकिस्तान की तरह बांग्लादेश की सीमा पर गोली मारने के आदेश क्यों नहीं दिए गए?

बांग्लादेश की सीमा पर क्‍यों नहीं देते गोली मारने के आदेश? AASU की सख्त मांग, घुसपैठियों को तुरंत भगाओ
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( Image Source:  ANI )
हेमा पंत
Edited By: हेमा पंत

Updated on: 27 May 2025 1:19 PM IST

हाल ही में भारत-पाकिस्तान संघर्ष के दौरान बांग्लादेश के रुख ने असम में एक बार फिर अवैध प्रवासियों के मुद्दे को सुर्खियों में ला दिया है. लेकिन यह मामला केवल राजनीतिक बयानबाजी या सीमा सुरक्षा तक की सीमित नहीं बल्कि यह असम के लोगों की सांस्कृतिक अस्मिता, सामाजिक संतुलन और भविष्य की सुरक्षा से जुड़ा सवाल है.

ऑल असम स्टूडेंट्स यूनियन के मुख्य सलाहकार समुज्जल भट्टाचार्य ने असम पुलिस द्वारा हाल में चलाए गए अवैध प्रवासियों की पहचान के अभियान को स्थानीय लोगों ने जरूरी कदम माना है, लेकिन साथ ही, उन्होंने चिंता जताई कि असम समझौते के बाद ही अगर ठोस कदम उठाए जाते, तो आज हालात इतने गंभीर न होते.

पाकिस्तान जैसे आदेश क्यों नहीं?

यह मुद्दा अब सिर्फ आंकड़ों या NRC की समीक्षा तक सीमित नहीं है. हाल ही में जिहादी तत्वों की गिरफ्तारी से यह साफ हो गया है कि अवैध प्रवासियों के साथ-साथ असम की सुरक्षा पर भी बड़ा खतरा मंडरा रहा है. भट्टाचार्य ने यह सवाल उठाया कि अगर पाकिस्तान से लगी सीमा पर सीधे गोली मारने जैसे कड़े कदम उठाए जा सकते हैं, तो बांग्लादेश सीमा पर क्यों नहीं.

सुप्रीम कोर्ट भी जता चुका है चिंता

समुज्जल भट्टाचार्य ने बताया कि सुप्रीम कोर्ट और गुवाहाटी हाई कोर्ट ने कई बार बांग्लादेश से हो रहे अवैध प्रवास को लेकर गंभीर सुरक्षा खतरे की चेतावनी दी है. यह खतरा न केवल असम बल्कि पूरे पूर्वोत्तर क्षेत्र के लिए चिंता का विषय बना हुआ है.

सरकार की नाकामी पर सवाल

लेकिन भट्टाचार्य ने दुख जताया कि केंद्र और राज्य सरकारें अवैध प्रवासियों की पहचान कर उन्हें वापस भेजने के लिए ठोस और सख्त कदम नहीं उठा पा रही हैं. इस कारण असम और पूर्वोत्तर में सुरक्षा और सामाजिक स्थिरता पर खतरा बना हुआ है.

नागरिकता संशोधन अधिनियम पर भट्टाचार्य की मांग

विवादित नागरिकता (संशोधन) अधिनियम (CAA) के बारे में भट्टाचार्य ने कहा कि पूर्वोत्तर के अधिकांश हिस्सों और असम के आठ जिलों में यह अधिनियम लागू नहीं है. उन्होंने सरकार से आग्रह किया कि पूरे असम को इस अधिनियम से बाहर रखा जाए ताकि स्थानीय लोगों की भावनाओं और हितों की रक्षा हो सके.

असम न्‍यूज
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