असम में खास समुदाय के लोगों को हथियार रखने की होगी छूट! जानें CM सरमा ने क्यों लिया फैसला
Assam News: असम में अब "संवेदनशील और दूरदराज़" क्षेत्रों में रहने वाले स्वदेशी लोगों को शस्त्र लाइसेंस प्रदान किया जाएगा. मुख्यमंत्री ने बताया कि इन इलाकों में स्वदेशी लोग अल्पसंख्यक हैं और बांगलादेश में हालिया घटनाओं के कारण उन्हें असुरक्षा का सामना करना पड़ रहा है.
Assam News: असम के मुख्यमंत्री हिमंत बिस्वा सरमा ने बुधवार (28 मई) को जनता की सुरक्षा को देखते हुए बड़ा फैसला लिया है. असम में अब "संवेदनशील और दूरदराज़" क्षेत्रों में रहने वाले स्वदेशी लोगों को शस्त्र लाइसेंस प्रदान किया जाएगा. यह निर्णय असम की संस्कृति, भूमि और पहचान की रक्षा के लिए उठाया गया है.
सीएम सरमा ने कहा, शस्त्र लाइसेंस देने का फैसला उन लोगों की मांगों के आधार पर लिया गया है जो इन क्षेत्रों में असुरक्षा का सामना कर रहे हैं. संवेदनशील क्षेत्रों में धुबरी, मोरीगांव, बारपेटा, नगांव और दक्षिण सलमारा-मांकाचर जिलों शामिल है.
सुरक्षा के लिए हथियार रखने का लाइसेंस
मुख्यमंत्री ने बताया कि इन इलाकों में स्वदेशी लोग अल्पसंख्यक हैं और बांगलादेश में हालिया घटनाओं के कारण उन्हें असुरक्षा का सामना करना पड़ रहा है. उन्होंने कहा कि इन क्षेत्रों में रहने वाले स्वदेशी लोग यदि शस्त्र लाइसेंस के लिए आवेदन करते हैं, तो सरकार उनकी मदद करेगी.
उन्होंने यह भी कहा कि यह मांग असम आंदोलन (1979-1985) के समय से चली आ रही है, लेकिन किसी भी सरकार ने इसे लागू करने की हिम्मत नहीं दिखाई. अगर उस समय शस्त्र लाइसेंस प्रदान किए गए होते, तो कई लोग अपनी जमीन बेचकर अन्य स्थानों पर नहीं जाते.
पहले होगी आपराधिक मामले की जांच
मुख्यमंत्री ने कहा, पहले जांच की जाएगी कि जो भी लाइसेंस के लिए अप्लाई कर रहा है वह कोई अपराधी तो नहीं. उपयुक्तता की जांच के लिए उप-जिलाधिकारी (डीसी) यह सुनिश्चित करने के बाद ही लाइसेंस दिया जाएगा.
नागरिक कर रहे थे मांग
सीएम सरमा ने कहा, असम के लोग लंबे समय से हथियार लाइसेंस की मांग कर रहे हैं. कैबिनेट ने असम के कमजोर और दूरदराज के इलाकों में मूल निवासियों और भारतीय मूल के नागरिकों को हथियार लाइसेंस देने की विशेष योजना को मंजूरी दी. सरकार हथियार खरीदने में मदद नहीं
क्या है ARMS एक्ट?
आर्म्स एक्ट, 1959 भारत की संसद द्वारा पारित एक महत्वपूर्ण कानून है, जिसका उद्देश्य अवैध हथियारों और उनसे जुड़ी हिंसा को नियंत्रित करना है. यह कानून 1 अक्टूबर 1962 से लागू हुआ और इसने 1878 के भारतीय आर्म्स एक्ट की जगह ली. इसका उद्देश्य यह सुनिश्चित करना है कि केवल योग्य और जिम्मेदार नागरिकों के पास ही हथियार हों, ताकि सार्वजनिक सुरक्षा और शांति बनी रहे.
इस कानून में समय-समय पर संशोधन किए गए हैं. 2019 में आर्म्स (संशोधन) अधिनियम के तहत अवैध हथियारों के लिए दंड बढ़ाना और लाइसेंस प्राप्त करने की प्रक्रिया को सरल बनाना. बता दें कि भारत में हथियार रखना न तो संविधानिक अधिकार है और न ही कानूनी अधिकार। यह एक नियंत्रित और प्रतिबंधित अधिकार है, जिसे कानून के तहत लाइसेंस प्राप्त करने पर ही अनुमति दी जाती है.





